कोरोना (Corona) के बढ़ते खतरों के बीच एक अच्छी खबर ये आई है कि देश की अर्थव्यवस्था (Economy) की माली हालत कुछ सुधरने लगी है और पिछले वित्तीय साल के मुकाबले मौजूदा चालू वित्त वर्ष (Financial Year) यानी 2021-22 में जीडीपी (GDP) 9.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. लेकिन इस लक्ष्य को तभी हासिल किया जा सकता है जबकि राज्यों में सम्पूर्ण लॉकडाउन (Lockdown) लगाने की नौबत न आने पाये. अगर ओमिक्रोन (Omicron) वायरस मुंबई (Mumbai) व दिल्ली (Delhi) की तरह ही बाकी राज्यों में भी अपना कहर बरपाते हुए जानलेवा साबित होने लगा, तब सरकारों के पास भी लॉकडाउन लगाने के सिवा कोई और रास्ता नहीं बचेगा. ऐसी सूरत में इकॉनमी (Economy) के इंजन को पटरी से उतरने में ज्यादा देर नहीं लगेगी.


कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद महाराष्ट्र व दिल्ली की सरकार पूर्ण लॉकडाउन लगाने से फिलहाल परहेज़ कर रही हैं क्योंकि ऐसा करते ही अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी जिसे सुधरने में लंबा वक्त लगेगा. लिहाज़ा, वे नाईट और वीकेंड कर्फ्यू जैसी पाबंदी लगाकर एक तरफ जहां कोरोना के संक्रमण को रोकने के उपाय कर रही हैं, तो वहीं उनकी कोशिश है कि कारोबार पर भी बहुत ज्यादा असर न पड़े.


राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने आज जो आंकड़े जारी किए हैं, उसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 9.2 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. इसमें सुधार की वजह मुख्य रूप से कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों के प्रदर्शन में सुधार को बताया जा रहा है. जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 7.3 फीसदी दर्ज किया गया था. हालांकि, सरकार द्वारा जो आंकड़े जारी किए गए हैं वो आरबीआई के अनुमान 9.5 फीसदी से कम है.


वैसे कोरोना काल में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के तमाम देशों की अर्थव्यवस्थाओं को तगड़ा झटका लगा था. हालांकि, टीकाकरण में तेजी और संक्रमण के मामले घटने के बाद प्रतिबंध हटाए गए और आर्थिक गतिविधियां फिर से पटरी पर लौटने लगीं. इसी का असर है कि अर्थव्यवस्था फिर से आगे की ओर बढ़ रही है. क्रेडिट सुइस ने कहा था कि भारत में आर्थिक गतिविधियां सकारात्मक रहेंगी और अगले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 9 फीसदी रहने की संभावना है. इसी तरह  ब्रोकरेज कंपनी का चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि दर लगभग 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि अन्य रेटिंग एजेंसियों द्वारा पूर्व में जताए गए औसत अनुमान 8.4 से 9.5 प्रतिशत से कहीं अधिक है.


लेकिन, भारत समेत दुनियाभर में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के मामले जिस रफ्तार से बढ़ रहे हैं, उसे लेकर तमाम अर्थशास्त्री भी चिंतित हैं कि आखिर ये लक्ष्य कैसे हासिल होगा. इस बीच चालू वित्त वर्ष में भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ के अनुमान को घरेलू रेटिंग एजेंसी 'इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च' ने कम कर दिया था. इंडिया रेटिंग्स के मुताबिक ओमिक्रॉन के संक्रमण की रफ्तार को देखते हुए एहतियात के तौर पर कई राज्यों ने पाबंदी लगानी शुरू कर दी है. इससे आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों पर असर पड़ेगा, जिससे चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर 0.10 फीसदी तक घटकर 9.2 फीसदी रह सकती है.


वैसे सांख्यिकी मंत्रालय के जीडीपी से जुड़े इन आंकड़ों का इस्तेमाल बजट बनाने में बेस के तौर पर ही किया जाएगा. इन आंकड़ों के मुताबिक 2021-22 में कृषि क्षेत्र 3.9 फीसदी के दर से ग्रोथ दिखाएगा जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में ये 3.6 फीसदी रहा था. वहीं मैन्युफैकचरिंग सेक्टर 12.5 फीसदी के दर से विकास करेगा जबकि 2020-21 में सबसे बुरा असर इसी सेक्टर पर पड़ा था और वह -7.2 फीसदी रहा था. माइनिंग और क्वैरिंग सेक्टर में 14.3 फीसदी की दर से ग्रोथ होने का अनुमान है.


कंस्ट्रक्शन, ट्रेड होटल्स, ट्रांसपोर्ट, कम्यूनिकेशन और ब्रॉडकास्टिंग से जुड़े सर्विसेज में 10.7 प्रतिशत से लेकर 11.9 फीसदी की विकास दर का अनुमान लगाया गया है. इलेक्ट्रिसिटी, गैस, वाटर सप्लाई और दूसरे यूटिलिटी की ग्रोथ रेट भी 8.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है. हालांकि, जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी -7.4 फीसदी से बढ़कर अब 8.4 फीसदी हो गई है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि नये-नये रुप बदलकर आ रहा कोरोना वायरस क्या हमें इस लक्ष्य को हासिल करने देगा?


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