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'मोदी मित्र' से BJP कैसे कम करेगी मुसलमानों के बीच दूरी, क्यों शुरू किया गया ये अभियान? जानें पार्टी का पूरा प्लान

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ये हमेशा बात कहा करते थे कि जरूरी नहीं कि देश की सेवा के लिए हम बॉर्डर पर ही जाएं और फौज में भर्ती हों. इसी तरह जरूरी नहीं कि हम राजनीतिक दलों में शामिल होकर काम करें. हम परिवार के साथ रहकर भी देश की सेवा कर सकते हैं. समाज की सेवा कर सकते हैं. इसी थीम को हमने पकड़ा है और प्रधानमंत्री मोदी का समर्थन करने के लिए जो लोग चाहते हैं कि भारत विश्व गुरु बने, जो लोग पीएम मोदी का विश्व पटल पर देश को चमकाने के लिए उनकी सराहना करते हैं, जो लोग चाहते हैं कि वे जिस समाज से उठकर आएं हैं, वहां पर खुशहाली आए, जन-जन तक मोदी सरकार की योजनाएं पहुंचे, ऐसे लोगों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ जोड़ना चाहते हैं, उनका मित्र बनाकर. इसलिए हमने मोदी मित्र अभियान चलाया है. 

इसमें जो लोग गैर-राजनीतिक हैं, वो चाहे पत्रकार भी हो सकते हैं, डॉक्टर-इंजीनियर से लेकर नाई के दुकानदार तक हो सकते हैं. ऐसे वो लोग जो समाज में अपना एक वर्चस्व रखते हैं, लेकिन, राजनीति में कोई उनकी रुचि नहीं है, ऐसे लोगों को 'मोदी मित्र' बनाकर प्रधानमंत्री की योजनाओं को उनके समाज में लेकर जाना चाहते हैं. उनके माध्यम से उन समाज का उत्थान करना चाहते हैं, उनका विकास करना चाहते हैं. इसलिए मोदी मित्र बनाया जा रहा है. 

क्यों पड़ी मोदी मित्र की जरूरत?
मोदी मित्र बनाने का काम तो हम देशभर में करना चाहते हैं, लेकिन हमारी एक मजबूरी संगठन के लिहाज से है. जो हमारी ताकत है, उसके मुताबिक जहां पर अधिक संख्या में मुस्लिम समाज है, ऐसे 67 लोकसभा सीटों का हमने चयन किया है. वहां पर राष्ट्रीय पदाधिकारी को हमने प्रभारी बनाया  है. प्रदेश पदाधिकारी को लोकसभा का प्रभारी बनाया है. एक लोकसभा में करीब 7-8 विधानसभा आते हैं, वहां पर विधानसभा प्रभारी बनाकर एक विधानसभा में 700 से 700 मोदी मित्र बनाने का अभियान शुरू किया है. यही लक्ष्य है कि एक लोकसभा में हम 5000 मोदी मित्र बनाएं. 

उन मोदी मित्रों के साथ हम उनके समाज में जाएं और उस मुस्लिम समाज में जाकर प्रधानमंत्री की विचारधारा, नरेन्द्र मोदी की योजनाएं और भारत सरकार के काम, प्रदेश सरकारों के काम  के माध्यम से उन समाज के लोगों को उत्थान करें.

कैसे कम होगी मुसलामनों से बीजेपी की दूरियां?   
एक शेर है- 
दूरियां हद से बढ़ी, फासले बढ़ते गए
उन्होंने वो भी सुना, जो हमने कभी कहा ही नहीं

बीजेपी को लोगों ने इसलिए भी बदनाम करने में कामयाबी हासिल की क्योंकि हमारी आवाज वहां तक पहुंच ही नहीं पाती थी. ये बात सही है कि मुस्लिम समाज बीजेपी से काफी कम जुड़े थे. लेकिन, पिछले 9 सालों में मुस्लिम समाज ने बीजेपी को अनुभव किया है. करीब से देखा है. भारतीय जनता पार्टी की योजनाओं का लाभ लिया है. प्रधानमंत्री के शासनकाल को जीया है. इसलिए वो दूरियां खत्म हो गईं हैं. अब लोग प्रधानमंत्री को प्यार करते हैं, बीजेपी सरकार के कामकाज को सराहते हैं. इसलिए जहां-जहां हम जा रहे हैं, अच्छा-खासा लोग साथ दे रहे हैं. लेकिन जो कुछ भी गलतफहमियां बची हुई हैं, उसे मोदी मित्र के माध्यम से समाज में पहुंचाकर जो भ्रांतियां हैं, उन्हें सपा-बसपा और कांग्रेस के लोगों ने जहर घोलकर रखा है, उस जहर को साफ करने का काम करेंगे.

एक तरफ जहां भारत विश्व गुरु बनने के दहलीज पर खड़ा है, आगे बढ़ रहा है, पीएम मोदी जहां को विश्व नेतृत्व देने के लिए तैयार खड़े है, ऐसे में जो हमारे सशक्त समाज मुस्लिम भाई हैं, जो पीएम मोदी और देश से प्यार करते हैं, उनका मोदी मित्र बनाकर सहयोग लेंगे.

मोदी मित्र कैसे होंगे मददगार?

मोदी मित्र वो लोग होंगे जो राजनीति में सहभागी नहीं हो सकते हैं, या तो उनकी कोई व्यक्तिगत समस्या रही होगी. जैसे कोई सरकारी कर्मचारी हो, जो किसी राजनीतिक दल से नहीं जुड़ सकता है. लेकिन वो चाहता है कि अपने समाज के लिए काम करे. ऐसे लोग जो राजनीति में नहीं जुड़ सकते हैं लेकिन समाज के लिए अच्छा करना चाहते हैं, ऐसे लोगों को मोदी मित्र बनाकर समाज में जागरुकता लाने का काम करेंगे. समाज में विकास की गंगा को लेकर जाने का काम करेंगे.

ऐसा नहीं है कि मोदी मित्र का काम अभी शुरू किया गया है. बीजेपी साल के 365 दिन काम करती है. हमने इस साल जनवरी से ही इस पर काम करना शुरू कर दिया है. किसी की काम में देर लगती है. हमारा काम सिर्फ हंगामा करना नहीं था, इसे नीचे तक लेकर जाना था. पहले हमें इसको लेकर संगठन को बनाना था. संगठन बनाने में समय लगा है और अब ये काम शुरू हो चुका है. 
पीएम मोदी ने साफतौर पर कई बार बैठकों में कहा है कि वोट के लिए काम नहीं करना है. देश के नागरिक का विकास होना चाहिए. कोई भी ऐसा न हो जिन तक विकास की गंगा न पहुंचे. जब सबका सहभाग होगा तभी भारत विश्व गुरु बनेगा. इसका वोट से कोई ताल्लुक नहीं है.

मोदी मित्र बनना कैसी चुनौती?

अब तो देश का मुसलमान मोदी-मोदी करता है. दूरी है न खाई है, मोदी हमारा भाई है... ये नारा सुनने को मिलता है. मोदी भाई जान... ये नारा सुनने को मिलता है. कई मुस्लिम भाई ये कहते हैं कि बारिश में हम रातभर सो नहीं पाते थे, लेकिन पीएम मोदी जी ने हमें घर दिया है, जबकि हमने उन्हें वोट नहीं दिया था. कई मुस्लिम बहने कहती हैं कि हमारी आंखें धुआं से खराब हो गई. कई मुस्लिम भाई बताते हैं कि हमारा व्यापार मुद्रा योजना के चलते शुरू हो पाया. 

विपक्ष कोई भी मौका प्रधानमंत्री को बदनाम करने का मौका नहीं छोड़ता है. लेकिन विपक्ष को भी ये मौका नहीं मिला कि वो बता पाए कि योजना में किसी तरह का भेदभाव किया गया है. सभी को इस योजना का लाभ मिला है. मुसलमान तो काफी वफादार होता है, जो वो किसी से जुड़ता है तो टूटता नहीं है. वो काफी भावुक होता है. आज पीएम मोदी का नाम से जुड़ना लोगों को अपना सौभाग्य लगता है. वो बीते दिनों की बात हो गई जब लोग बीजेपी से नफरत करते थे.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

   

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