हिज़ाब आखिर है क्या? अपने सिर को ढकने का एक कपड़ा लेकिन महज़ इस छोटे-से कपड़े ने अपने देश से लेकर ईरान की सियासत को हिलाकर रख दिया है. ईरान में मुस्लिम महिलाएं इस हिज़ाब से आज़ादी चाहती हैं लेकिन हमारे कर्नाटक के स्कूल-कॉलेजों में जाने वाली लड़कियां इसे अपना बुनियादी व संवैधानिक हक मानती हैं और चाहती हैं कि उन्हें ये पहनकर शिक्षण संस्थानों में जाने की छूट मिले.
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है जिसे इस मसले पर आखिरी फैसला देना है. लेकिन इसी हिज़ाब ने देश की सियासत में अचानक तूफ़ान ला दिया है. दरअसल, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा पर निकले राहुल गांधी की एक ऐसी तस्वीर पर राजनीति गरमा गई है, जिसमें वह हिज़ाब पहने हुई एक छोटी-सी बच्ची का हाथ थामे हुए चलते नजर आ रहे हैं. दरअसल, यह तस्वीर सोमवार को कांग्रेस पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर शेयर की गई थी.
जाहिर है कि इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस नेताओं के बीच तीखी ज़ुबानी जंग तो छिड़ना ही थी सो छिड़ भी गई. लेकिन एक बड़ा सवाल ये है कि बहुसंख्यकवाद के इस दौर में राहुल गांधी ने हिज़ाब वाली बच्ची के साथ हाथ में हाथ डाले चलकर क्या कोई बड़ा संदेश देने की कोशिश की है? इसका माकूल जवाब तो देश की जनता के पास ही है जो चुनावों के वक़्त ही देती है. लेकिन बता दें कि यह यात्रा शुरू होने से पहले राहुल गांधी ने कहा था कि पिछले कुछ सालों में साम्प्रदायिकता की नफ़रत फैलाकर जिस तरीके से देश को तोड़ा जा रहा है, उसे दोबारा जोड़ना भी इस यात्रा का एक अहम मकसद होगा.
हम नहीं जानते कि हिज़ाब पहनी बच्ची का हाथ थामकर उसके साथ आगे बढ़ते हुए वे देश की जनता तक अपना संदेश पहुंचाने में किस हद तक कामयाब हुए हैं. लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि उन्होंने इसके जरिये सियासत में ऐसी तिलमिलाहट पैदा कर दी है जिसकी तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है.
हालांकि राहुल की ये यात्रा फिलहाल केरल में है और 1 अक्टूबर को वह उस कर्नाटक में प्रवेश करेगी जहां से सबसे पहले मुस्लिम लड़कियों ने हिज़ाब पहनने के अपने हक की आवाज़ उठाई थी. इस साल जनवरी में शुरू हुआ ये बवाल इतना बढ़ गया कि छह लड़कियों को इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. हालांकि कर्नाटक हाइकोर्ट ने उनके हक़ में फैसला नहीं दिया जिसके ख़िलाफ़ वे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं. मंगलवार को लगातार आठवें दिन सर्वोच्च अदालत में इसकी सुनवाई जारी रही और अब आज यानी बुधवार को फिर आगे की सुनवाई होगी.
सरकार की दलील है कि हिज़ाब किसी भी स्कूल-कॉलेज की यूनिफार्म का हिस्सा नहीं है और न ही ये इस्लाम का अनिवार्य अंग है लिहाज़ा इसे पहनकर आने की छूट नहीं दी जा सकती. मंगलवार को कर्नाटक सरकार की ओर से दलील पेश करते हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ''2004 से कोई भी हिजाब नहीं पहन रहा था लेकिन दिसंबर 2021 में अचानक छात्राएं इसे पहन कर कॉलेज आने लगीं. साल 2022 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने हिजाब पहनने के लिए सोशल मीडिया पर आंदोलन शुरू कर दिया. उन्होंने ये भी कहा कि, ''ये स्टूडेंट्स की ओर से अचानक शुरू किया गया आंदोलन नहीं था. ये छात्र-छात्राएं एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे. ये लोग किसी के इशारे पर काम कर रहे थे.'' उनके मुताबिक हिजाब अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं है. यूनिफॉर्म का मकसद एकरूपता और समानता के लिए होता है जिसे तोड़ा नहीं जा सकता. कर्नाटक सरकार ने कोर्ट को ये भी बताया कि कट्टरपंथी इस्लामी मुल्क ईरान में भी हिजाब का विरोध हो रहा है.
ये तो रही कानूनी पहलुओं से जुड़ी बात. लेकिन असली सियासत हिजाब वाली बच्ची के साथ राहुल की तस्वीर को लेकर हो रही है. दरअसल, बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस तस्वीर को ट्वीट करते हुए लिखा कि, "जब धार्मिक आधार पर वोट का 'हिसाब' किया जाता है, तब वो तुष्टिकरण कहलाता है." पात्रा के इस ट्वीट पर कांग्रेस को तो भड़कना ही था, सो पार्टी नेताओं ने जोरदार तरीके से पलटवार किया. कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की रेस में शामिल पार्टी सांसद शशि थरूर ने पत्रा को जवाब देते हुए ट्वीट किया कि, "क्या बीजेपी प्रवक्ता इससे ज्यादा नीचे भी जा सकते हैं? वह एक छोटी बच्ची है और किसी भी वोट बैंक का हिस्सा बनने के लिए बहुत छोटी है. कृपया उसे अपनी छोटी सोच से दूर रखें. जो राहुल गांधी कर रहे हैं, वह एक बच्चे के प्रति एक साधारण अच्छा व्यवहार है.
न्यूज़ चैनलों की डिबेट में अक्सर पार्टी की राय को बेबाकी से रखने वाली कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत भी बीजेपी प्रवक्ता को जवाब देने में पीछे नहीं रहीं. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि, "एक छोटी सी बच्ची को भी नहीं बख्शा. यात्रा में अपार जनसमूह देख कर बौखलाना एक बात है, पर नफरत में इस तरह अंधा हो जाना! कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने सुप्रिया श्रीनेत के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा कि, "ये उससे भी बदतर हैं." कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के अध्यक्ष पवन खेड़ा ने भी ट्वीट किया कि, "भारत तोड़ने वाला मिल गया. जो कपड़ों तक में आपस में लड़ाई कराए, वो देश भक्त नहीं, सिर्फ मोदी भक्त हो सकता है."
कोई नहीं जानता कि हिज़ाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का क्या फैसला आयेगा लेकिन राहुल गांधी ने इस तस्वीर के जरिये जो संदेश दिया है क्या वो वाकई 'भारत जोड़ो यात्रा' को सफल बनाने का कारगर सियासी औजार बन पायेगा?
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