एक्सप्लोरर

BLOG: जब कोई राजनेता किसी अन्य राज्य में अधिवास कर शीर्ष पदों पर आसीन हो सकतें हैं, तो मज़दूरों के साथ भेदभाव क्यों?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (डी) और (ई), नागरिक के स्वतंत्रता अधिकार का महत्वपूर्ण अंग है. इस अनुच्छेद के अनुसार कोई भी नागरिक, स्वतंत्र रूप से किसी भी राज्य में आ जा सकतें हैं और भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने की भी स्वतंत्रता है. कुछ राज्यों में इस अनुच्छेद को लेकर कुछ अलग अवच्छेद है, जिसके अपने अलग कारण हैं.

जब कोई राजनेता किसी अन्य राज्य में अधिवास कर शीर्ष पदों पर आसीन हो सकतें हैं, तो मज़दूरों के साथ बेगाने जैसा बर्ताव क्यों? क्या इनका इन राज्यों के विकास में कोई योगदान नहीं है? क्या भारत में मज़दूरों को दूसरे राज्य में अधिवास करने के लिए कोई अलग कानून व्यवस्था है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (डी) और (ई), नागरिक के स्वतंत्रता अधिकार का महत्वपूर्ण अंग है. इस अनुच्छेद के अनुसार कोई भी नागरिक, स्वतंत्र रूप से किसी भी राज्य में आ जा सकतें हैं और भारत के किसी भी हिस्से में निवास करने और बसने की भी स्वतंत्रता है. कुछ राज्यों में इस अनुच्छेद को लेकर कुछ अलग अवच्छेद है, जिसके अपने अलग कारण हैं.

एक नागरिक किसी भी जन तंत्र का प्रमुख अंश होता है. चाहे वे मूल स्थान पर हो, किसी अन्य राज्य में, या विदेश में हो, सरकार को उनकी सुरक्षा और नागरिक को सरकार के प्रति निष्ठा दोनों ही सर्वोपरि है. कोरोना काल में कुछ राज्यों के द्वारा, मज़दूरों के प्रति दुर्व्यवहार ने इस अनुच्छेद को एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना दिया है.

जब कुछ राज्यों के लिए लॉकडाउन का पालन करवाना जटिल समस्या बन गया, तब उन्होंने मजदूरों को सड़क पर ला कर खड़ा कर दिया. बीते कुछ दिनों में न जाने कितनी ही मीडिया साक्षात्कार देखने को मिला है. कुछ साक्षात्कार तो बहुत ही दर्दनाक है. कैसे मासूम बच्चा रहमत अपने मृत मां अर्बीना के शव के साथ मुज़फ़्फ़रपुर रेलवे स्टेशन पर खेल रहा था, जो गुजरात से कटिहार लॉकडाउन के दौरान जा रहीं थी? कैसे 15 साल की ज्योति कुमारी को अपने बीमार पिता को साइकिल पर लेकर 1200 किलोमीटर की यात्रा करने को मजबूर होना पड़ा? ऐसे कितने ही उदाहरण हैं.

लॉकडाउन का मतलब घर के अंदर ही रहना था, फिर कैसे कुछ राज्य सरकारों ने मजदूर को घर वापस भेजने का मन बना लिया, क्यों रेल चलाने की मांग जोड़ पकड़ने लगी, उनके रहने की उचित व्यवस्था क्यूं नहीं हो पाया? राज्य की स्पष्ट रणनीति के अभाव में मजदूर परेशान नजर आ रहे थे. लॉकडाउन के कारण राज्य की बदलती रणनीति से मजदूरों में अपनी स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार को लेकर उनके अंदर एक भ्रम की स्थिति पैदा होने लगी.

दूसरे राज्य से आए मज़दूरों को अपने हाल पर छोड़, लॉकडाउन की उचित व्यवस्था को नजर अंदाज़ कर, कुछ राज्य एक दूसरे के साथ टिका - टिप्पणी करते नजर आये. बहुत सारे ऐसे भी मामले सामने आएं हैं, जहां इन मज़दूरों के मकान मालिकों ने उनको घर छोड़ने को मजबूर किया है. इन मजदूरों की बेबसी ने इनको शहर छोड़ने को मजबूर कर दिया और वे लाचार होकर अपने मूल स्थान की ओर निकल पड़े.

गांव की स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही लचर है, ऐसे में अगर कोरोना वहां फैला, उसकी ज़िम्मेदारी कौन सी राज्य सरकार लेगी? लॉकडाउन का मकसद था, कोरोना को जल्द से जल्द नियंत्रण में लाना, ऐसे में अगर राज्य सरकारों ने मज़दूरों के हित में सही फैसले लेती, और समय रहते उचित प्रवन्ध करती, तो आज स्थिति नियंत्रण में होती.

किसी भी नागरिक की सामाजिक, स्वास्थ्य, खाद्य, इत्यादि की सुरक्षा का दायित्व वहीं रह रहे राज्य सरकार का होता है. लेकिन कोरोना काल में कुछ और ही देखने को मिला. भारतीय संस्कृति में जब हमारे घर कोई अतिथि आता है तो उनका आदर पूर्वक स्वागत किया जाता है, और जाने के वक़्त उनको सम्मान पूर्वक विदा किया जाता है, जिस से उनको दोबारा फिर से आने का मन करे. यहाँ मजदूरों के मूल स्थान भेजने को लेकर रेलवे का टिकट का किराया भी मुदा बना. इन राज्यों ने इनके साथ एक बिन बुलाये मेहमान की तरह बर्ताव किया है. कुछ राज्य, इन मुद्दों पर आपस में उलझते नजर आये.

चैत्र मॉस में नवरात्रि के दिनों में ही लॉकडाउन की शुरुआत हुई थी. इसके शुरुआत होने से कुछ दिनों पहले ही, मेरे पड़ोस के निर्माणाधीन अपार्टमेंट में बिहार, उतर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, और कई अन्य राज्य से काम करने को कुछ मजदूर आएं थे. अचानक लॉकडाउन होने के कारण सारा काम बंद हो चुका था. हर सुबह वे ऊंची आवाज़ में फ़ोन पर अपने मूल स्थान में रह रहे परिवार से बात कर, हाल समाचार जानने की कोशिश करते थे. उनकी बातों से मालूम पड़ता था की इन मजदूरों की मुश्किलें दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रही है. बिना कोई उचित प्रबंध और बिना काम के दिन काटना मुश्किल हो चुका था.

कैसे अपने ही देश के मजदूर, अन्य राज्यों में प्रवासी कामगार बन गए? हर साल की तरह इस बार अष्ठमी के दिन कन्जक पूजन संभव नहीं था. उस दिन मैंने कुछ जरुरत का सामान लाकर उनकी मदद करने की कोशिश की, और मुश्किलात जानी. लॉकडाउन के शुरु होने से कुछ दिन पहले आये और लम्बे अरसे से रह रहे मजदूरों, दोनों की स्थिति एक जैसे ही थी. कई मजदूर तो दशकों से अपने मूल स्थान को छोड़ इन्ही राज्य के विकास के कार्य में जुड़े हैं. लॉकडाउन की अनिश्चितता और राज्य सरकार के रवैये से, उनको खुद की स्थिति में सुधार होने के आसार नजर नहीं आ रहा था. उचित व्यवस्था और काम के अभाव में वे अपने मूल स्थान को वापस जाने का मन बना चुके थे.

भारतीय प्रवासी कामगार दुनिया की कई देशों में जाकर, अपने मेहनत और लगन से उन देशों की आर्थिक विकास में अपना पूर्ण योगदान दिया है. चाहे वे व्यापार, प्राइवेट कम्पनी, सरकारी संस्था, या उन देश को चलाने के लिए प्रमुख पद हो, आज यह भारतीय प्रवासी नहीं बल्कि उस देश के नागरिक हैं.

भारतीय मूल के विदेश में रहने वाले लोगों के बहुत सारे उदाहरण मिल सकते हैं, कई लोग तो वहां की सरकारों के प्रमुख पदों पर आसीन है. शिवसागर रामगुलाम मॉरीशस के प्रथम प्रधानमंत्री जिनके पिता भारतीय प्रवासी मजदूर, जिनका मूल स्थान बिहार था. महेन्द्र पाल चौधरी, फिजी के चौथे प्रधान मंत्री थे, इनके दादा फिजी में गिरमिटिया मजदूर थे, जिनका मूल स्थान रोहतक जिले के हरयाणा राज्य में है. देवन नायर सिंगापुर के तीसरे राष्ट्रपति, जिनके पिता का मूल स्थान केरल हैं. तत्कालीन पुर्तगाल के प्रधानमंत्री एंटोनियो कोस्टा, जो की गोअन मूल के हैं. श्रीमती कमला प्रसाद बिसेसर, त्रिनिदाद और टोबैगो की पहली महिला प्रधान मंत्री जिनके परदादा बिहार के बक्सर जिले के मूल निवासी थे. ब्रिटिश सरकार के गृह विभाग के सचिव प्रीति पटेल, ब्रिटिश राजकोष के चांसलर ऋषि सुनक, कनाडा के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन, निम्रता रंधावा (निक्की हेली) 29 वें अमेरिका के राजदूत संयुक्त राष्ट्र में, उज्जल देव सिंह दोसांझ ब्रिटिश कोलंबिया का 33 वां प्रीमियर, ये सभी भारतीय प्रवासी हैं. एसे कई उदाहरण हैं, जिसे पता चलता है कि कोरोना काल में जिस तरह का दुर्व्यवहार भारत में कुछ राज्य सरकारों ने अपने ही देश की मज़दूरों के साथ किया है, अगर यही दुर्व्यवहार इन भारतीय प्रवासियों के साथ होता तो शायद इन्हे अपने मूल स्थान को वापस आना पड़ता.

भारत में कई सारे राजनेता किसी अन्य राज्य से चुन कर लोकसभा और राज्यसभा में आते है. उदाहरण के तौर पर वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री वाराणसी से दो बार लोकसभा में चुन कर आएं हैं, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री असम से कई बार राज्यसभा में चुन कर आयें हैं, वर्तमान विपक्ष के प्रमुख नेता केरल से चुन कर लोकसभा में आयें हैं, ये सारे नेताओं किसी अन्य राज्य के मूल निवासी है. दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री हरयाणा के मूल निवासी हैं, उतर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री उत्तराखंड के मूल निवासी है. और ऐसे कई उदाहरण हैं, जिस से लगता है भारत में स्वतंत्रता का अधिकार को सही रूप में पालन किया जा रहा है. लेकिन मज़दूरों के साथ राज्य सरकारों द्वारा किया गया दुर्व्यवहार इनकी स्वतंत्रता का अधिकार पर एक कुठाराघात है.

ये कोरोना काल भी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जायेगा, और देश -विदेश की अर्थव्यवस्था भी पटरी पर दौड़ने लगेगी. लेकिन मजदूर वर्ग अपने साथ इन राज्यों में होने वाले अमानवीय बर्ताव को भी याद रखेंगे. केंद्र सरकार ने कई जगहों पर अनलॉक की घोषणा करदी है. कुछ महीनों में, भारत पूरी तरह से अनलॉक होगा, और बहुत सारे राज्यों को विकास की पटरी पर लाने के लिए इन मज़दूरों की आवश्यकता होगी. ये मजदूर फिर से काम की तलाश में अलग-अलग राज्य अवश्य जायेंगे. देखना यह है कि इस बार इन मज़दूरों की सामाजिक सुरक्षा की ज़िम्मेदारी कौन-कौन राज्य सरकारें उठाती हैं?

(हेमन्त झा एक विपुल विचारशील लेखक हैं, नियमित रूप से सार्वजनिक समस्याओं, कार्यक्रमों और शीर्ष प्रकाशनों में पब्लिक मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं)

लेखक से जुड़ने के लिए

https://twitter.com/hemantjha

https://www.facebook.com/hemant.jha

(उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

NDLS भगदड़ पर सियासी बवाल, कांग्रेस-TMC ने मांगा रेल मंत्री का इस्तीफा, सरकार पर जड़े गंभीर आरोप
NDLS भगदड़ पर सियासी बवाल, कांग्रेस-TMC ने मांगा रेल मंत्री का इस्तीफा, सरकार पर जड़े गंभीर आरोप
कब महाकुंभ जाएंगे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी? अजय राय ने कर दिया बड़ा खुलासा
कब महाकुंभ जाएंगे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी? अजय राय ने कर दिया बड़ा खुलासा
प्रतीक बब्बर ने शादी से अपनी ही फैमिली को क्यों रखा दूर? बहन जूही बोलीं- उसे भड़काया गया है'
प्रतीक बब्बर ने शादी से अपनी ही फैमिली को क्यों रखा दूर? बहन जूही बोलीं- उसे भड़काया गया है'
महाकुंभ में ट्रैफिक की समस्या पर CM योगी बोले- 'पार्किंग में ही वाहन खड़े करें श्रद्धालु'
महाकुंभ में ट्रैफिक की समस्या पर CM योगी बोले- 'पार्किंग में ही वाहन खड़े करें श्रद्धालु'
ABP Premium

वीडियोज

New Delhi Railway Station Stampede: दिल्ली से प्रयागराज  वाली ट्रैन में भगदड़ की वजह से कई लोग घायल और  कब होगी कारवाई | ABP NEWSपरीक्षा पे चर्चा 2025: Deepika Padukone के साथ Stress-Free Exam Tips! | Health LiveNew Delhi Railway Station Stampede: नई दिल्ली स्टेशन भगदड़ में 18 लोगों की मौत का कसूरवार कौन? | ABP NEWSNew Delhi Railway Station Stampede: बीती रात हादसे के बाद अभी कैसे हैं प्लेटफार्म पर हालात? Breaking | ABP NEWS

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
NDLS भगदड़ पर सियासी बवाल, कांग्रेस-TMC ने मांगा रेल मंत्री का इस्तीफा, सरकार पर जड़े गंभीर आरोप
NDLS भगदड़ पर सियासी बवाल, कांग्रेस-TMC ने मांगा रेल मंत्री का इस्तीफा, सरकार पर जड़े गंभीर आरोप
कब महाकुंभ जाएंगे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी? अजय राय ने कर दिया बड़ा खुलासा
कब महाकुंभ जाएंगे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी? अजय राय ने कर दिया बड़ा खुलासा
प्रतीक बब्बर ने शादी से अपनी ही फैमिली को क्यों रखा दूर? बहन जूही बोलीं- उसे भड़काया गया है'
प्रतीक बब्बर ने शादी से अपनी ही फैमिली को क्यों रखा दूर? बहन जूही बोलीं- उसे भड़काया गया है'
महाकुंभ में ट्रैफिक की समस्या पर CM योगी बोले- 'पार्किंग में ही वाहन खड़े करें श्रद्धालु'
महाकुंभ में ट्रैफिक की समस्या पर CM योगी बोले- 'पार्किंग में ही वाहन खड़े करें श्रद्धालु'
IPL 2025 CSK Schedule: 23 मार्च को चेन्नई सुपर किंग्स का मुंबई इंडियंस से पहला मुकाबला, यहां देखें CSK का फुल शेड्यूल
23 मार्च को चेन्नई सुपर किंग्स का मुंबई इंडियंस से पहला मुकाबला, यहां देखें CSK का फुल शेड्यूल
मंईयां सम्मान योजना में आ गया बड़ा अपडेट, अब एकमुश्त मिलेंगे इतने रुपये
मंईयां सम्मान योजना में आ गया बड़ा अपडेट, अब एकमुश्त मिलेंगे इतने रुपये
स्मोकिंग नहीं करने वालों में क्यों बढ़ रहे लंग कैंसर के मामले, जानें ऐसा होने की क्या है वजह?
स्मोकिंग नहीं करने वालों में क्यों बढ़ रहे लंग कैंसर के मामले, जानें वजह?
रेलवे स्टेशन पर झगड़ा हो जाए तो कौन देखेगा, जीआरपी या आरपीएफ?
रेलवे स्टेशन पर झगड़ा हो जाए तो कौन देखेगा, जीआरपी या आरपीएफ?
Embed widget

We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking "Allow All Cookies", you agree to our use of cookies.