अमर सिंह राजनीति में बरसों चर्चा में रहे हैं. कुछ मौकों पर उन्हें ‘किंग मेकर’ भी कहा गया. लेकिन उनके जहां सभी राजनैतिक दलों में कई दोस्त थे, वहां सिने संसार में तो उनके ऐसे बड़े बड़े दिग्गज मित्र थे, जिनसे मिलना भी कई बार मुश्किल होता है. यहां पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग, जिसमें अमर सिंह के फिल्मी रिश्तों को लेकर कई ऐसी दिलचस्प बातें हैं, जिनमें से कुछ बातें शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी.
अमिताभ बच्चन के साथ अमर सिंह के पुराने रिश्ते तो जग जाहिर हैं. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब करीब करीब पूरा बॉलीवुड ही अमर सिंह का दीवाना दिखता था. तब अक्सर यह देखकर आश्चर्य होता था कि अमर सिंह ऐसा कौनसा जादू जानते हैं कि बड़े से बड़ा सितारा उनकी ओर खिंचा चला आता है.
यूं कई सितारे उस व्यक्ति से अपने अच्छे और मधुर संबंध बनाने की कोशिश करते हैं, जो सत्ता में किसी अहम पद पर होता है. कभी पंडित नेहरू, कभी इन्दिरा गांधी, कभी बाल ठाकरे और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति बहुत से सितारों का मोह साफ देखा जाता रहा है. मुकेश अंबानी जैसे बड़े ओद्योगिक घरानों के प्रति भी बहुत से सितारे नतमस्तक रहते हैं. लेकिन अमर सिंह न कभी किसी राज्य के मुख्यमंत्री रहे न केंद्र या राज्य में कभी कोई मंत्री. यहां तक वह कोई बहुत बड़े उद्योगपति भी नहीं थे. लेकिन इस सबके बावजूद अमर सिंह की एक से एक हीरो, एक से एक हीरोइन से ऐसी दोस्ती थी कि उसे देख अच्छे अच्छों को ईर्ष्या हो सकती थी. फिल्म सितारों के अलावा बिड़ला और अंबानी सहित कई उद्योगपति से भी उनके बरसों घनिष्ठ संबंध रहे.
यह ठीक है कि अमर सिंह एक समय में समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता थे. पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव कभी उनपर अपने भाइयों और बेटों से भी ज्यादा भरोसा करते थे. मुलायम सिंह से पहले कांग्रेस में रहते हुए माधवराव सिंधिया भी अमर सिंह के ऐसे मित्र थे कि काफी समय तक विदेशों में छुट्टियाँ मनाने भी ये दोनों साथ जाते थे.
सत्ता के गलियारों में अमर सिंह की पहली एंट्री तब हुई जब नवम्बर 1996 में अमर सिंह पहली बार राज्य सभा सांसद बने. तब से अब तक अमर सिंह चार बार राज्य सभा सांसद रहे. देखा जाये तो उनका राजनीति से नाता इतना ही था कि वह राज्यसभा सांसद रहे और समाजवादी पार्टी के बड़े नेता. इससे सिर्फ कुछ बरसों तक वह उत्तर प्रेदेश में ही काफी शक्तिशाली रहे. क्योंकि समाजवादी पार्टी सिर्फ वहीं सत्ता में रही. लेकिन सिर्फ इसी के बल पर उनका बॉलीवुड में दबदबा हो ऐसा नहीं था.
इसका सबसे बड़ा कारण था अमर सिंह का व्यक्तित्व और व्यवहार. अपनी बातों से वह जल्द ही किसी का भी दिल जीत लेते थे. दूसरा यह कि वह ‘यारों के यार’ थे. सामने वाला उनसे कोई काम कहे या उन्हें पता लगे कि सामने वाले की यह जरूरत और मजबूरी है तो वह उसके ‘संकट मोचन’ बन जाते थे.
डिम्पल की दीवानगी से जागा था सिनेमा प्रेम
अमर सिंह पुराने दौर की फिल्मों और विशेषकर उन फिल्मों के गीत संगीत को शुरू से ही पसंद करते थे. नीरज, साहिर, कैफी आज़मी, शैलेंद्र, हसरत जयपुरी मजरूह और आनंद बक्शी जैसे गीतकारों के कितने ही गीत उन्हें याद रहते थे. अपनी हर बातचीत में वह फिल्मों के दो-चार गीतों को याद कर अपने दिल का दर्द या अपनी फितरत बयां कर लेते थे. लेकिन पहली बार वह बॉलीवुड के सितारों की ओर तब ज्यादा आकर्षित हुए जब वह सिर्फ 19 साल के थे.
एक बार अमर सिंह ने अपना एक पुराना किस्सा बताते हुए कहा था- मैं तब कोलकाता के सेंट जेवियर्स कॉलेज में पढ़ता था. उन दिनों शुक्रवार को यदि चार फिल्म भी लगतीं थीं तो उन चारों फिल्म को शुक्रवार और शनिवार में देख लेता था. यहाँ तक कभी तो शुक्रवार को ही एक दिन में चारों शो देख लेता था. तभी सन 1973 में राजकपूर की फिल्म रिलीज हुई थी –‘बॉबी’. जब मैंने पहली बार ‘बॉबी’ देखी तो उसमें डिम्पल कपाड़िया इतनी अच्छी लगीं कि वह फिल्म में कब स्विमिंग पुल में नहाती हैं, कब झूठ बोले कव्वा काटे गाती हैं, ऐसे दो तीन खास दृश्यों के समय मैंने नोट कर लिए. इससे हर रोज मैं अपने एक दो दोस्तों के साथ उसी समय थिएटर में पहुँच जाता था. यह सिलसिला करीब तीन चार महीने तक लगातार जारी रहा.“
जब अमिताभ को कार से उतारा अमर सिंह ने
मैंने अमर सिंह को पहली बार सन 1997 या 1998 में तब देखा था जब दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक समारोह का आयोजन हुआ था, जिसमें अमिताभ बच्चन भी आए थे. इस समारोह के कार्ड पर जब मैंने मुख्य अतिथि के तौर पर अमर सिंह और उसके नीचे संसद सदस्य लिखा देखा तो मैं कुछ हैरान हुआ. मैंने सोचा इतना बड़ा समारोह है, इसमें तो कोई मंत्री भी मुख्य अतिथि हो सकता था. लेकिन पता नहीं यह अमर सिंह कौनसे सांसद हैं जो इतने बड़े समारोह में मुख्य अतिथि बने हैं.
समारोह समाप्त होने के बाद अमिताभ बच्चन सभागार से बाहर निकले और आयोजकों ने उन्हें एक अच्छी सी कार में बैठा दिया. उनकी वह कार चलने को हुई थी कि तभी अमर सिंह भी बाहर आ गए और अमिताभ बच्चन को इशारा करते हुए बोले अमित जी आप इस कार से उतरिए और पीछे उस कार में बैठ जाइए. मैं तब हैरान रह गया जब अमिताभ बच्चन बिना कुछ कारण पूछे कुछ सहमे से अंदाज़ में, जी अच्छा कहकर तुरंत उस कार से नीचे उतर गए. अमर सिंह ने उन्हें दूसरी कार में बैठाते हुए कहा- आप इस कार में जाइए, मैं थोड़ी देर में आता हूँ.
मैं इस घटना से पहले और बाद में अभी तक कितनी ही समारोहों को करीब से देखता आया हूँ. कभी बड़े सितारे या कोई अन्य बड़ी हस्ती को इस तरह कार में बैठने के बाद सामान्यतः इस तरह नीचे उतारते हुए नहीं देखा. अमिताभ जिस तरह अमर सिंह के एक इशारे पर उस कार से नीचे उतरे वह नज़ारा आज भी मेरे आँखों के सामने घूमता है. तभी मेरी यह जानने में दिलचस्पी बढ़ गयी कि यह अमर सिंह आखिर कौन हैं. बाद में धीरे धीरे पता लगा कि अमिताभ बच्चन से उनकी नज़दीकियाँ बढ़ती जा रही हैं. अमिताभ बच्चन अपनी कंपनी एबीसीएल के भारी घाटे के कारण उन दिनों कर्ज़ में डूबे थे. उनका बंगला तक बैंक के पास गिरवी रखा था. उन्हें कोई अच्छी बड़ी फिल्म नहीं मिल रही थी. ऐसे में अमर सिंह ने अमिताभ की बहुत मदद की.
इसके बाद अमिताभ के संकट कम होते गए. बाद में जब सन 2000 में अमिताभ बच्चन को केबीसी मिला तो उनकी आर्थिक समस्याएँ तो दूर हो ही गईं. साथ ही उन्हें फिल्म भी मिलने लगीं और उनके अच्छे दिन फिर से वापस आ गए. लेकिन इसके बाद भी अमिताभ बच्चन और अमर सिंह के संबंध खत्म नहीं हुए बल्कि दोनों के बीच परस्पर संबंध और भी मधुर हो गए.
अमिताभ के घर में रहता था एक अलग कमरा
अमिताभ बच्चन और अमर सिंह के बीच मधुर सम्बन्धों की बानगी 2000 से 2010 तक के करीब 10 बरसों में तो देखते ही बनती थी. अमर सिंह अपने मुंबई प्रवास के दौरान अमिताभ बच्चन के बंगले में ही रुकते थे. पहले अमिताभ के बंगले ‘प्रतीक्षा’ में और फिर ‘जलसा’ में अमर सिंह का एक कमरा हमेशा अलग से रहता था. बाद में अमिताभ ने अपने एक और बंगले ‘जनक’ में भी अमर सिंह को एक कमरा उनके ऑफिस के रूप में दे दिया था. जहां अमर सिंह लोगों से मिलते जुलते थे.
यह वह दौर था जा अमर सिंह अमिताभ के एक परिवार के सदस्य ही बन गए थे. मुंबई या मुंबई से बाहर या देश से बाहर भी कोई फिल्म समारोह होता था तो अमर सिंह अक्सर अमिताभ बच्चन के साथ ही समारोह में जाते थे. उस दौरान कुछ ऐसे मौके भी देखने को मिले जब अमिताभ और जया बच्चन के बीच अमर सिंह बैठे होते थे. अमिताभ और अमर सिंह के यह संबंध यह दोस्ती लगातार बरसों सुर्खियों में बनी रही.
अमिताभ और अमर सिंह के सम्बन्धों की पराकाष्ठा तो तब देखने को मिली जब जुलाई 2009 में अमर सिंह पहली बार गंभीर रूप से बीमार रूप हुए थे. तब भी वह सिंगापुर के अस्पताल में भर्ती हुए थे. जहां अमर सिंह का किडनी ट्रांसप्लांट करना पड़ा था. तब अमिताभ बच्चन बहुत व्यस्त थे. उनके हाथ में कई प्रोजेक्ट थे. लेकिन अमिताभ अपनी सभी फिल्मों और अन्य प्रोजेक्ट छोड़कर करीब दो महीने तक लगातार अमर सिंह के साथ अस्पताल में ही रहे थे. तब अमिताभ ने खुद अमर सिंह की दिल ओ जान से ऐसी देखभाल की जैसे कोई घर परिवार का सबसे करीबी सदस्य करता है.
जया बच्चन को समाजवादी पार्टी में लाने और उन्हें राज्यसभा सांसद बनवाने का श्रेय भी अमर सिंह को जाता है. यूं अमिताभ बच्चन अपने राजनीति में आने के कटु अनुभवों को देखते हुए जया को राजनीति में लाने के पक्ष में नहीं थे. लेकिन अमर सिंह की बात को वह टाल नहीं सके. अमर सिंह भी राज्यसभा सदस्य थे और जया बच्चन भी. इसलिए कई बार ये दोनों एक साथ ही संसद जाते थे. उसी दौरान एक वह चित्र काफी सुर्खियों में रहा था जब बरसात के दौरान दोनों भीगने से बचते हुए खुद को छाते में ढक कर संसद में प्रवेश कर रहे थे. लेकिन बाद में बच्चन परिवार के साथ अमर सिंह के रिश्तों को किसी की ऐसी नजर लगी कि दोनों झट से अलग हो गए.
असल में जब सन 2010 में अमर सिंह को समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया तो अमर सिंह ने जया बच्चन को भी समाजवादी पार्टी से अलग होने और राज्यसभा सीट से इस्तीफा देने को कहा. लेकिन जया इसके लिए तैयार नहीं हुईं. इससे अमर सिंह नाराज हो गए. इतने नाराज कि बात बात पर बच्चन परिवार का गुण गान करने वाले, उनके बचाव में मुखर होने वाले अमर सिंह ने अमिताभ और जया के खिलाफ तक बोलना शुरू कर दिया. जिसमें अमिताभ को हर वक्त अभिनय करने वाला और एक डरपोक व्यक्ति भी कहा तो और भी बहुत कुछ. हालांकि अमिताभ ने अमर सिंह के खिलाफ कभी खुद कुछ नहीं बोला.
अमर सिंह को अमिताभ के बारे में भला-बुरा बोलने का दुख तब हुआ जब अपने इलाज़ के लिए इस बार अमर सिंह सिंगापुर में दाखिल हुए. तब गत 18 फरवरी को अपने ट्विटर पर तो इस सबके लिए उन्होंने अमिताभ से माफी मांगी ही. साथ ही अस्पताल के बिस्तर से ही अपनी दुर्बल अवस्था में भी एक वीडियो के माध्यम से कहा कि जब मैं अपनी ज़िंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहा हूँ तब मैं अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के लिए की गयी अपनी प्रतिक्रियाओं के प्रति दुख व्यक्त करता हूँ.
इधर अमिताभ बच्चन को भी जब अमर सिंह के निधन का समाचार मिला तो वह भी कोरोना के चलते मुंबई के नानावटी अस्पताल में भर्ती थे. अमिताभ ने तभी सिर झुकाते हुए अपनी एक फोटो सोशल मीडिया पर साझा की. साथ ही अपने ब्लॉग पर अमर सिंह के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए उन्हें नमन किया.
देव आनंद भी थे अमर सिंह के मुरीद
अमिताभ बच्चन के साथ सिने जगत की और भी कई हस्तियाँ अमर सिंह की इतनी दीवानी हो गयी थीं कि अमर सिंह किसी से भी कुछ कहते तो वे उनकी सलाह, उनकी बात मानते. इन हस्तियों में दिग्गज अभिनेता देव आनंद भी थे. यूं देव आनंद अपनी दुनिया, अपने काम में ही जीने वाले व्यक्ति थे. लेकिन अमर सिंह से वह इस कदर प्रभावित थे कि उनसे मिलने के लिए देव साहब कहीं भी पहुँच जाते थे.
हालांकि बाद में अमर सिंह ने अमिताभ के घर तब रहना कम कर दिया, जब उन्हें लगा कि अमिताभ बच्चन के घर के कुछ नियमों के चलते उनसे मिलने आने वाली कुछ हस्तियों को भी काफी देर इंतज़ार करना पड़ता है. इस बात का खुलासा अमर सिंह ने वीर संघवी के साथ अपने एक टीवी इंटरव्यू में किया था. अमर सिंह ने उस बातचीत में बताया था कि एक बार अक्षय कुमार और ट्विंकल खन्ना और एक बार देव आनंद उनसे मिलने आए तो अमिताभ बच्चन के दरबान ने उन्हें काफी देर तक यह कहकर बाहर बैठाये रखा कि हमारे पास आपके यहाँ आने की कोई सूचना नहीं है. मुझे भी उनके आने की सूचना बहुत देर से मिली तो मैं देव साहब को खुद बाहार जाकर अंदर लेकर आया. लेकिन उसके बाद मुझे लगा कि ऐसा किसी और के साथ न हो तो मैं मुंबई के जे डब्लू मेरियट में रहकर लोगों से मिलता था.
देव आनंद के बारे में एक बार अमर सिंह ने बताया था, “देव आनंद ने अपनी आत्मकथा ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ प्रकाशित कराने से पहले उन्होंने मुझे पढ़ाई थी. मैंने ‘रोमांसिंग विद लाइफ’ की पाण्डुलिपि पढ़ने के बाद देव साहब को कई सुझाव दिये. जिसमें उनके कुछ अभिनेत्रियों के साथ अंतरंग संबंध आदि की बातों को मैंने पुस्तक से हटवा दिया था. मुझे खुशी है कि उन्होंने मेरी सलाह ही मानी. मेरा यह मानना था कि कुछ ऐसी बातों को विस्तार और खुलकर बताने से अच्छा है कि उन्हें सिर्फ संकेत में बताया जाये.“
जयाप्रदा से बिपासा तक संबंध रहे सुर्खियों में
अमिताभ बच्चन, देव आनंद के अलावा अमर सिंह के मधुर या घनिष्ठ संबंध और भी कई सितारों के साथ देखे गए. जिनमें अभिनेत्री जयाप्रदा तो सर्व प्रमुख हैं . जया प्रदा के राजनैतिक करियर के लिए भी अमर सिंह ने बहुत कुछ किया. इसी के चलते उनके समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव से लेकर आजम खान तक कइयों से रिश्ते खराब हुए. जयाप्रदा को पिछले आम चुनाव में भाजपा में लाकर उन्हें रामपुर से लोकसभा का टिकट दिलवाने में अमर सिंह की ही अहम भूमिका रही. हालांकि जयाप्रदा इस बार वह चुनाव हार गईं. लेकिन आजाम खान को भी वह चुनाव जीतने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ी. उधर जया प्रदा भी हर वक्त अमर सिंह के साथ मजबूती से खड़ी रहीं. जया बच्चन ने चाहे अमर सिंह के बुरे वक्त में उनका साथ छोड़ दिया लेकिन जयाप्रदा ने हमेशा अमर सिंह की बात मानी.
अमर सिंह के अंतिम संस्कार में भी छतरपुर पहुँचकर जयाप्रदा ने उन्हें अपने श्रद्दा सुमन प्रस्तुत किए. साथ ही सोशल मीडिया पर भी जयाप्रदा ने अमर सिंह के बारे में अपनी भावनाएं लिखीं. जयाप्रदा ने लिखा- अमर सिंह साहब मेरे राजनैतिक मार्ग दर्शक और मेरे गॉड फादर थे. मेरे दुख की घड़ी में उन्होंने हर पल मेरा साथ दिया. हमेशा समाजसेवा करने के लिए मुझे प्रेरित किया. आज मैं राजनीति में उन्हीं की वजह से जीवित हूँ. मुझे यकीन ही नहीं होता कि वह हमारे बीच नहीं रहे.“
इनके अलावा श्रीदेवी और उनके पति बोनी कपूर से भी अमर सिंह के बहुत अच्छे संबंध रहे. ऐसे ही अक्षय कुमार, संजय दत्त, रमेश तौरानी, रीना राय, प्रीति जिंटा, महिमा चौधरी, उर्मिला मतोंदकर सहित कितने ही लोग कितनी ही बार अमर सिंह के साथ देखे गए. इनमें से कुछ लोग तो अमर सिंह की खुले कंठ से प्रशंसा भी करते थे.
हालांकि कुछ वर्ष पूर्व अमर सिंह और बिपासा बसु का एक तथाकथित ऑडियो टेप भी विवादों में रहा जिसमें ‘दोनों’ की बातचीत में काफी कुछ ऐसा था जो बताता था कि अमर सिंह से मिलने में कुछ अभिनेत्रियाँ अच्छी दिलचस्पी लेती हैं. लेकिन वह टेप कितना असली था, कितना नकली इस बारे में कुछ भी दावे से नहीं कहा जा सकता.
कुछ फिल्मों में भी किया काम
फिल्मों में अपने अच्छे सम्बन्धों के कारण ही अमर सिंह ने कुछ फिल्मों में छोटी छोटी भूमिकाएँ भी कीं. इन फिल्मों में सिर्फ तुम, हमारा दिल आपके पास है और नो एंट्री तो बोनी कपूर की ही थीं. इसके अलावा देव आनंद के साथ उनकी अंतिम फिल्म ‘चार्जशीट’ में काम किया. तो खाकी, जे डी और लक्ष्य जैसी फिल्में भी कीं. साथ ही अमर सिंह ने एक मलयालम फिल्म ‘बॉम्बे मिताई’ डिम्पल कापड़िया के साथ और एक बांग्ला फिल्म ‘शेष संघात’ जयाप्रदा के साथ भी की.
अमर सिंह का फिल्म कलाकारों पर कितना रुतबा है कि इस बात का पता तब भी लगा जब वह संजय दत्त को समाजवादी पार्टी में लेकर आए और उन्हें चुनाव भी लड़वा दिया. जबकि संजय के पिता तो हमेशा कांग्रेस मे रहे ही संजय की बहन प्रिया दत्त भी कांग्रेस सांसद थीं.
मुझे वह दिन भी आजतक याद है जब सन 2003 में दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख मल्टीफ़्लेक्स वेव सिनेमा के उदद्घाटन पर अमर सिंह कई फिल्मवालों को एक विशेष जहाज से लेकर नोएडा आए थे. जिसमें श्रीदेवी, बोनी कपूर, जाहन्वी, खुशी से लेकर अभिषेक बच्चन, रितेश देशमुख, रोहित शेट्टी, वासु भगनानी जैसे कितनी ही लोग थे.
अमर सिंह से मेरी फिल्म और राजनैतिक समारोह में अक्सर मुलाक़ात होती रहती थी. मुझे वह दिन भी याद है जब सन 2002 में दिल्ली के ललित होटल में फिल्म ‘दिल है तुम्हारा’ की पार्टी थी. पार्टी से पहले पत्रकार सम्मेलन में भी अमर सिंह को इतना मान दिया गया कि वह निर्माता रमेश तौरानी, निर्देशक कुंदन शाह और अभिनेत्री प्रीति जिंटा व महिमा चौधरी के साथ मंच पर बैठे थे. तब अमर सिंह से पूछा गया कि आपके सभी फिल्म वालों के साथ इतने अच्छे संबंध कैसे बन गए हैं ? इस पर अमर सिंह ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में जवाब दिया था- ‘’यह तो मेरी कुंडली में लिखा है.‘’
आज अमर सिंह चाहे हम सब के बीच नहीं हैं. लेकिन उनकी राजनैतिक बातों के साथ फिल्मी बातें भी बरसों तक याद की जाती रहेंगी.
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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)