मोटिवेशन इंग्लिश शब्द है और अगर आप इसका अर्थ निकालेंगे तो इसका मतलब होता है किसी मोटिव के लिए एक्शन लेना. अब अगर हम इसका नॉर्मल भाषा में मतलब समझें तो इसका मतलब ऐसे समझा जा सकता है कि जैसे अगर मोबाइल को जब तक किसी चार्जर से चार्ज नहीं किया जाता है तो वह फंक्शन में नहीं आता है. चार्जर उसको फंक्शन में लाता है, उसे यूज़ करने के लायक बनाता है. दूसरा उदाहरण गाड़ी का ले सकते हैं. गाड़ी में इंजन कितना भी हाई-परफॉर्मेंस क्यों नहीं हो लेकिन अगर उसमें फ्यूल नहीं हो तो इंजन का कोई मतलब नहीं होता है...तो कहने का अर्थ ये ही इंसान की जिंदगी में भी ऐसा ही होता है. इंसान आज इतनी सारी चीजों से घिरा हुआ है. वह डिस्ट्रैक्टेड है, उसका ध्यान बंटा हुआ है. मोटिवेशनल चीजें मोटिवेशनल कॉन्टेंट या कोई अच्छी चीजें या अच्छा इंसान किसी की जिंदगी में आता है तो उसे उसके लक्ष्यों की प्राप्ती की याद दिलाता है. जैसे पहली बार हनुमान जी समुद्र पार करके लंका गए थे तो उस वक्त जामवंत जी ने पहली बार एक मोटिवेशनल स्पीकर का रोल अदा किया था. अगर वहां जामवंत नहीं होते और हनुमान जी को उनकी शक्तियों की याद नहीं दिलाते तो मैं समझता हूं कि वे कभी भी समुद्र पार नहीं कर पाते...
मैं समझाना यह चाह रहा हूं कि हर इंसान के अंदर हनुमान वाली कैपेसिटी है, लेकिन उसको एक जामवंत चाहिए होता है जो उसको याद दिलाए कि तुम ये कर सकते हो और वो याद दिलाने वाला व्यक्ति ही मोटिवेशनल स्पीकर होता है. मोटिवेशन का बहुत ज्यादा रोल होता है. आज के समय में सोशल मीडिया ऐसी चीज बन गई है कि बहुत सारे लोग इसका मजाक भी उड़ाते हैं. मोटिवेशन नहीं, मोटिवेशन तो शॉर्ट टाइम है. लेकिन मोटिवेशन का उदाहरण तो मैं सीधा हनुमान जी से कनेक्ट करता हूं.
आप भगवान राम से भी सीख सकते हैं, जब सीता जी का हरण हुआ था भगवान राम जी विचलित हो गए थे, परेशान हो गए थे. उस वक्त लक्ष्मण जी ने उनको मोटिवेट किया था. लक्ष्मण ने कहा, भैया आप तो दुनिया को दिशा दिखाने वाले हैं. आप तो पृथ्वी के राजा हैं, अगर आप ऐसे हतोत्साहित हो जाएंगे तो कैसे चलेगा. आपको तो भाभी को लेकर के आना है. उस वक्त लक्ष्मण जी ने मोटिवेशनल स्पीकर का काम किया था...तो कहने का मतलब है कि जब भगवान राम को जरूरत है, हनुमान को जरूरत है, अर्जुन जैसे वीर योद्धा को जरूरत है भगवान कृष्ण के मोटिवेशन की तो फिर हम सब तो बहुत ही मामूली इंसान हैं. हमें तो बिल्कुल मोटिवेशन चाहिए. मैं, बहुत छोटी सी चीज करता हूं. मैं बस लोगों को उनकी शक्तियों को याद दिलाता हूं और उन शक्तियों को याद दिलाने के लिए उन्हें कुछ कहानियां सुना देता हूं. उन लोगों की होती है जिन्होंने अपनी जिंदगी में कुछ किया है और कहानियां सुनाने का तरीका कुछ इस प्रकार होता है कि वह व्यक्ति अपनी जिंदगी से उसे डिलीट कर पाए मतलब यह कि वह कहानी उस व्यक्ति की नहीं है जिसके बारे में बताई जा रही है बल्कि उसकी है जो मुझे सुन रहा है. मैं इस कला का इस्तेमाल करता हूं.
जब मैं, कहानियों की बात कर रहा हूं तो किसी कि भी कहानी हो सकती है. जैसे कोई फिल्म स्टार या भगवान की कहानिया और मैं अपने ईर्द-गिर्द होते हुई चीजों से बहुत सारी कहानियां निकाल लेता हूं. उदाहरण के तौर पर हाल ही में मैंने एक अपनी एक वीडियो में कहा था कि जो शक्तिशाली इंसान होता है वह, हमेशा कमजोर पर हावी हो जाता है. इसके लिए मैं एक उदाहरण दिया था वो ये कि जब हम सड़कों पर चलते हैं अगर किसी गाड़ी वाले को बाइक वाले ने हल्का सा स्क्रैच लगा दिया तो उस वक्त देखो कौन किस पर हावी होता है. जो पहले निकल कर सामने वाले को झाड़ना शुरू कर दिया, उसे डराना-धमकाना शुरू कर दिया वो आदमी दूसरे पर हावी हो सकता है. अगर बाइक वाले ने पहले चिल्ला दिया तो वह कार वाले पर हावी हो जाएगा और अगर कार वाला गेट खोलकर पहले चिल्लाने लग गया तो वह बाइक वाले पर हावी हो जाता है.
इस तरह की घटनाएं देख कर मुझे एक चीज तो समझ में आ गई कि आज दुनिया में हर कोई अपना प्रभाव झाड़ना चाहता है...तो प्रभाव झाड़ने का उदाहरण मैंने वहां ले लिया. आज कल के युवाओं को देखो उनमें आईफोन का बहुत क्रेज होता है. यहां तक की आदमी कुछ भी करने को तैयार है. उसको तीन कैमरे वाला आईफोन चाहिए होता है. वो उसे पाने के लिए चाहे ईएमआई करा ले या पैसा चोरी कर ले या कुछ भी दो नंबर का काम कर ले लेकिन उसे हाथ में आईफोन चाहिए. यहां से उदाहरण क्या निकल कर आता है कि आज का यूथ दूसरों को प्रभावित करने के लिए वो गलत रास्ता भी चुनने को तैयार है...तो कहानियां इस तरह से निकाली जाती हैं. मेरा मानना है कि आपके अंदर ऑब्जरवेशन पावर होना चाहिए. मैं कहानियां फिल्मों से निकाल लेता हूं चूंकि मैं बॉलीवुड का शौकीन हूं.
मेरा मानना है कि आदमी को कभी भी अच्छे समय में इतराना नहीं चाहिए और बुरे समय में कभी घबराना नहीं चाहिए. मैं ऐसा मानता हूं कि ये पुरी सृष्टि भगवान के दिशा-निर्देश पर चलती है. जो आदमी भगवान को नहीं मानता है मैं उसको प्रकृति शब्द से समझा देता हूं कि हर कुछ प्रकृति के दिशा-निर्देश पर चलता है. हमें इस चीज को समझना पड़ेगा. दुनिया में जितने भी आदमी हैं आप भगवान राम से लेकर आज तक की बात कर लो जिसे वे ऊंचा उठाना चाहते हैं उसके सामने कठिन से कठिन परीक्षा रखी जाती है. आपने देखा होगा स्कूल में किसी एक कक्षा में एक बच्चा मैथ्स में बहुत तेज होता है. उसकी तुलना में 99 प्रतिशत बच्चे उसके बराबर नहीं होते हैं. अब मास्टर जी किसको ज्यादा सिखाना पसंद करेंगे उस बच्चे को या उन 99 प्रतिशत बच्चों को जो ज्यादा सक्रिय नहीं हैं. मास्टर जी कठिन से कठिन सवाल को हल करने के लिए किसे देंगे स्वाभाविक है उसी को देंगे जो तेज है. कई बार मास्टर जी उसे अपने घर बुलाकर कठिन प्रश्नों का हल निकालने को देते हैं जो शायद उसकी कैपेसिटी से बाहर हो.
अब ऐसा करने का मास्टर जी का उद्देश्य क्या है क्या वे उसे परेशान करना चाहते हैं. ऐसा तो नहीं है...तो उनका उद्देश्य ये है कि मैं उसे इतना भारी सवाल दूं ताकि वह दुनिया के किसी भी परीक्षा में जाए तो वह टॉप कर जाए. तो मैं अपनी जिंदगी को भगवान से जोड़ कर देखता हूं कि अगर भगवान मुझे तकलीफ देता है या किसी को भी तो आप समझ लीजिए की वो आपसे कुछ चाहते हैं. कुछ बड़ा करवाना चाहता है. आपका एटिट्यूड वहां ऐसा होना चाहिए कि भगवान आपको किसी चीज के लिए तैयार करवाना चाहता है. वह मुसिबत नहीं है बल्कि उसको डट करके, लगकर के उसे ठीक करके आगे बढ़ना है. ये होती है किसी की जिंदगी में तकलीफों का उद्देश्य.
ऐसा कभी नहीं होता है कि मेहनत करने के बाद परिणाम नहीं मिले. हां, ये होता है कि मेहनत करने के बाद किसी को जल्दी रिजल्ट मिल जाता है तो किसी को ज्यादा समय लगता है. उदाहरण से समझते हैं...मैथ की क्लास में दो बच्चे हैं. एक बच्चे का दिमाग इतना तेज है कि वह पहली क्लास में ही सारी चीजों को समझ लेता है. एक बच्चा जो थोड़ा सा कमजोर है उसको दो-तीन बार समझने में लगता है. अब मेहनत तो दोनों बराबर कर रहे हैं लेकिन पहले कौन निकल आएगा तो स्वाभाविक है कि जिसका दिमाग तेज है वो जल्दी निकलेगा लेकिन दूसरे वाले का दिमाग कमजोर है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो टॉप नहीं कर सकता है. हां, फर्क इतना आएगा कि उसको मेहनत थोड़ी सी ज्यादा करनी पड़ेगी. उसे सफलता मिलने में थोड़ा सा ज्यादा समय लगेगा. लेकिन क्या ये कहा जा सकता है कि उसका दिमाग कमजोर है तो उसे बिल्कुल भी सफलता नहीं मिलेगी.
आदमी में न टैलेंट और मेहनत करने का जज्बा होना ये दोनों ही बिल्कुल अलग-अलग चीजें हैं. टैलेंट भगवान देकर के भेजता है लेकिन मेरा मानना है कि टैलेंट की तो कोई औकात ही नहीं है. मैं तो मेहनत करने की जज्बे के साथ खड़ा हूं. एक और उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए कि किसी आदमी का गला बहुत अच्छा है. उसकी आवाज बहुत अच्छी है तो क्या इसका मतलब ये है कि वह अरिजीत सिंह या लता मंगेशकर की तरह गाना गाने लग जाएगा. चूंकि उनके तरह गाने के लिए बहुत लंबे समय का अभ्यास चाहिए. अगर किसी की कलाई बहुत मजबूत है, अच्छी है तो क्या वह सचिन तेंदुलकर की तरह बल्ला घुमाने लग जाएगा, बिल्कुल नहीं. ऐसा करने के लिए उसे लंबे समय तक अभ्यास करना होगा. मैं तो ये मानता हूं कि आपके पास टैलेंट है या नहीं है इससे रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है. फर्क इससे पड़ता है कि आपको जिंदगी में जो बनना है आपने उसके लिए अपने आप को कितना पिरोया है. अपने आप को कितना मंझा है. जितना ज्यादा मंझा है आपकी एक्सपर्टिज की कैपेबिलिटी उतना ही बढ़ जाती है.
समय और ताकत ये किसी को कभी मिलता नहीं है. इसे अपनी काबिलियत से हासिल करना पड़ता है. चाहे आप पुराने जमाने में जो राजा-महाराजा हुआ करते थे उनकी तख्त की बात करें तो देखने को मिलता है कि वे उसे अपनी काबिलियत से छीन कर बनते थे. कहने का मतलब है कि जो ताकतवर है वो बन जाता था और जो नाकाम हो जाता था उसे नहीं मिलता था. इसी तरह से समय है क्योंकि यह एक अनमोल रत्न है...तो क्या ये हर किसी को मिल जाएगा.
बिल्कुल नहीं, इसमें काबिलियत है न उसे निकालने की, मैनेज करने की वो समय को मालिक बन जाता है नहीं तो फिर वही समय उस पर मालिक बनकर बैठा रहता है...
तो मैं इसके लिए सिर्फ इतना करता हूं कि मैं उसे अपनी प्राथमिकता के मुताबिक जीता हूं. अक्सर आप लोगों से ये सुनते होंगे कि अरे..हमें तो योगा करने का समय नहीं मिलता है, किताब पढ़ने का समय नहीं मिलता है...यानी की जितनी भी जरूरी चीजें हैं उसे करने के लिए उसे वक्त नहीं मिलता है. लेकिन उसे रिल देखने का दिन भर का समय मिल जता है, फालतू और उटपटांग वीडियो देखने के लिए समय है, गप्पे लड़ाने के लिए समय है, ये हमने अक्सर सुना है तो मैं इसे कैसे हैंडल करता हूं या किसी को भी कैसे करना चाहिए. तो अपने पूरे दिन को न प्राथमिकता के हिसाब से जिओ. जिसकी प्राथमिकता जिंदगी में सबसे ज्यादा है सुबह उसे पहले करो.
उदाहरण के लिए आदमी की जिंदगी में सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है उसका शरीर..तो उसे सबसे पहले उठ कर के शारीरिक फिटनेस के लिए चाहे वो 15 मिनट ही क्यों न हो उसे उसके लिए काम करना चाहिए. इसके बाद मन की सबसे अधिक जरूरत है...चूंकि अगर स्वस्थ शरीर के साथ स्वस्थ मन है तो आप फिर किसी भी फील्ड में जाओ आप अपने झंडे गाड़ दोगे...तो मन भी उतना ही स्वस्थ होना चाहिए जितना की शरीर. तो इसके लिए 10 से 15 मिनट ध्यान में बैठिए और ये कोई बहुत बड़ी चीज नहीं है बस आप अपनी सांसों की गिनती करना शुरू कर दीजिए. फिर धीरे-धीरे ये आपकी आदत बनती चली जाएगी तो मन पर हमने ऐसे काम कर लिया. तीसरी चीज है स्किल जिससे अपना दाना-पानी चलता है. एक छात्र के लिए उसकी पढ़ाई ही उसका स्कील है. बिजनेस मैन के लिए मीटिंग हो सकती है तो ये तीन काम के लिए अगर समय निकालने लग जाएं तो किसी की भी जिंदगी आसान हो जाती है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)