जब बात राजनीति की होती है, वो भी खासकर बिहार की राजनीति की तो सबसे पहले परिवारवाद की चर्चा होती है और निशाने पर होते हैं आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार. उनके दोनों बेटे, पत्नी राबड़ी देवी और बेटियों को भी लालू यादव ने राजनीति में ला दिया है. पत्नी राबड़ी देवी अभी विधानपरिषद में विपक्ष की नेता हैं, जो राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. 


विधानसभा में उनके छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव विपक्ष के नेता हैं, जो दो बार उप-मुख्यमंत्री रह चुके हैं. लालू के एक बड़े बेटे तेज प्रताप यादव राज्य में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में विधायक हैं. मीसा भारती राज्यसभा में रहीं और इस बार रामकृपाल यादव को हराकर लोकसभा पहुंची हैं. बेटी रोहिणी को छपरा से लड़वाया गया, हालांकि सफलता नहीं मिली. इसके बाद लगता है कि रोहिणी को विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है.


कुल मिला-जुलाकर एक जो राजनीतिक परिदृश्य है, जहां एनडीए के नेता खासकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार लालू यादव के ऊपर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर उन पर हमले करते रहे हैं. इन सबके बीच सवाल इस वक्त  जेडीयू के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संदर्भ में ज्यादा उठ रहा है. निशांत कुमार, सीएम नीतिश कुमार के इकलौते बेटा हैं और इसलिए ये चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या निशांत अब राजनीति में आएंगे?


निशांत पर जोर पकड़ती चर्चा


नीतीश कुमार का परिवार खासकर उनके भाई अब ये चाहते हैं कि निशांत राजनीति में आएं. जेडीयू के कार्यकर्ता और समर्थक भी चाहते हैं कि निशांत राजनीति में एंट्री करें. खुद निशांत की शैक्षित पृष्ठभूमि की अगर बात करें तो उन्होंने बीआईटी मिश्रा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो पूरी नहीं की, लेकिन इंजीनियरिंग की पढ़ाई है. ठीक उसी तरह से जैसे उनके पिता नीतीश कुमार ने पटना के इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनयरिंग की पढ़ाई पूरी की.


निशांत कुमार मुख्यमंत्री आवास में रहते हैं. सत्ता की हनक, विरासत देख रहे हैं, उसके बावजूद वे कभी किसी विवाद में नहीं आए. ऐसी कभी चर्चा नहीं होती है कि उनका राजनीति में कोई हस्तक्षेप हो. वे लो प्रोफाइल में रहते हैं. खासकर लोकसभा चुनाव और उसके बाद जब आगे विधानसभा चुनाव होना है, इससे पहले निशांत के राजनीति में आने की चर्चा जोरों पर है. 


हाल में तीन बार निशांत मीडिया से मुखातिब हुए. मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में यानी जब मीडिया वालों ने उनसे पूछा तब उन्होंने आने वाले चुनाव में अपने पिता के लिए समर्थन की मांग की.


विवादों से दूर निशांत कुमार


उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने अच्छा काम किया जिससे बिहार में बदलाव हुआ है. इसलिए निशांत ने इस बार के चुनाव में भी बिहार की जनता से नीतीश के नाम पर वोट करने की अपील की. इसके अलावा, निशांत ने एक बड़ी बात ये भी कही कि एनडीए को ये एलान करना चाहिए कि वे नीतीश कुमार के नाम पर ही चुनाव लड़ेंगे.


जब निशांत कुमार से ये सवाल किया जाता है कि क्या वे चुनाव लड़ेंगे तो इस जवाब का जवाब नीतीश कुमार के बेटे टाल जाते हैं. हालांकि, राजनीति में राजनेताओं का आना कोई बुरी बात नहीं है. ऐसे में कहा जा सकता है कि अब जबकि होली निकल गई है, अब निशांत का राजनीति में आना तय है.


आखिर राजनीति में नहीं आएंगे तो निशांत कुमार और क्या करेंगे. उनके पास कोई और काम धंधा नहीं है. नीतीश कुमार की बढ़ती उम्र और सेहत चिंता की बात है. ऐसे में लोग ये कहते हैं कि जिस तरह से लालू यादव ने खुद अपने रहते हुए तेजस्वी को स्थापित किया, ठीक उसी तरह से निशांत को भी स्थापित करना चाहिए.


लेकिन, निशांत की राजनीति में आने में खुद नीतीश कुमार ही अवरोध बनकर खड़े हैं. वो इसलिए क्योंकि राजनीति में परिवारवाद को प्रश्रय देने के वो हिमायती नहीं है और भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलते हैं. वे कर्पूरी ठाकुर की हमेशा बात करते हैं. कर्पूरी ठाकुर ने अपने जीवन में कभी परिवारवाद को नहीं बढ़ाया. उनके बेटे केन्द्र में मंत्री है रामनाथ ठाकुर, लेकिन वे कर्पूरी ठाकुर के बाद ही राजनीति में आए थे. ऐसे में जरूर ये सवाल उठता है कि अपने जीते जी क्या निशांत को राजनीति में नीतीश कुमार आने देंगे?


लेकिन ऐसा लगता है कि नीतीश कुमार थक चुके हैं और ऐसा लोगों का मानना है कि अगर जेडीयू के बचाना है तो निशांत को पार्टी में लाना है. यही सोच आज पार्टी समर्थकों का है. ऐसे में बिहार की राजनीति में निशांत का आना अब तय लग रहा है. ये हो सकता है कि उन्हें कोई पद न दे, लेकिन कार्यकर्ता के तौर पर काम कर सकते हैं.


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