एक्सप्लोरर

चुनाव परिणाम 2024

(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

BLOG: इन चुनावों में औरतें हैं ही कहां

महिलाओं के खिलाफ रोजाना अलग-अलग रूपों में हिंसा जाहिर होती रहती है, स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों, यहां तक कि राजनीति में भी. इस हिंसा में कई बार उन्हें शारीरिक जख्म लगते हैं, लेकिन वे प्रायः मन पर घाव सहते हुए जीवन जीती रहती हैं.

चुनाव आयोग ने एक ऐतिहासिक फैसला किया है. 29 अप्रैल को मुंबई उपनगर में सखी मतदान केंद्रों में वोट करने आने वाली हर महिला को सैनिटरी पैड गिफ्ट किया जाएगा. यह एक गुडविल जेस्चर है. ज्यादा से ज्यादा महिलाएं वोट करने आएं, इस मकसद से यह फैसला किया गया है. सखी मतदान केंद्र ऐसे पोलिंग बूथ हैं जिन्हें सिर्फ महिलाएं मैनेज करती हैं. यह महिला स्वास्थ्य से जुड़ा मसला है जिस पर एक छोटी सी पहल की गई है. यह बात और है कि चुनावी वादों में महिला स्वास्थ्य का मुद्दा, कोई मुद्दा ही नहीं है.

महिला मुद्दे मानो चुनावी चर्चाओं से गायब ही हैं. वादें हैं, नोट बांटने के. नारे हैं, पिछली कामयाबियों के, पिछली नाकामियों के. सत्ता पक्ष छाती ठोंक रहा है- विपक्ष बंदूक ताने खड़ा है. दोनों तरफ से वार हो रहे हैं- व्यक्तिगत लांछन की बौछार हो रही है. असल मुद्दे नदारद हैं, असल समस्याएं दुबकी बैठी हैं- हम बेफिजूल की तूतू-मैंमैं के साक्षी बन रहे हैं. महिला मुद्दे ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जिन्हें गैरजरूरी बना दिया गया है. चुनाव आयोग जरूर महिला स्वास्थ्य को एक गंभीर मुद्दा मानता हो, लेकिन राजनैतिक दलों के लिए यह कोई मसला ही नहीं है. हाल ही में नन्ही कली नाम के एक प्रॉजेक्ट में कहा गया कि देश में 50 परसेंट टीएज लड़कियां अंडरवेट हैं, 52 परसेंट में खून की कमी है, 39 परसेंट खुले में शौच को मजबूर हैं और लगभग 46 परसेंट सैनिटरी पेड, टैम्पन या मैन्स्ट्रुएल कप्स का इस्तेमाल नहीं करतीं. इसकी जगह वे क्या इस्तेमाल करती हैं, यह सोचना मुश्किल है... स्वास्थ्य मंत्रालय के अपने आंकड़े कहते हैं कि देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 60,000 मामले दर्ज होते हैं जिनमें से दो तिहाई का कारण मैन्स्ट्रुएल हाइजीन की कमी है. पर नेताओं के लिए मंदिर-मस्जिद और देशभक्त-देशद्रोह के स्लोगन ज्यादा मायने रखते हैं. जनतंत्र का मतलब सिर्फ चुनाव लड़ने और उसमें जीतने की जुगत लगाना भर रह गया है.

जहां कोई मसला नहीं, वहां मसले गढ़े जाते हैं और झूठ की आड़ में असल मसले छीन लिए जाते हैं. महिलाओं से जुड़ा सुरक्षा का मुद्दा भी ऐसा ही है. महिलाओं के खिलाफ रोजाना अलग-अलग रूपों में हिंसा जाहिर होती रहती है, स्कूलों, सार्वजनिक स्थलों, यहां तक कि राजनीति में भी. इस हिंसा में कई बार उन्हें शारीरिक जख्म लगते हैं, लेकिन वे प्रायः मन पर घाव सहते हुए जीवन जीती रहती हैं.

इन चुनावों में तो महिला उम्मीदवारों के साथ भी जुबानी हिंसा खूब हुई है. पार्टी कोई भी हो, महिला उम्मीदवार से टक्कर में जुबान से फूल झड़ने शुरू हो जाते हैं. मनोवैज्ञानिक हिंसा की जानें कितनी शक्लें हैं. प्रियंका गांधी से लेकर स्मृति ईरानी, हेमा मालिनी से लेकर जया प्रदा तक, शायद ही किसी महिला नेता को इस बदजुबानी का शिकार न होना पड़ा हो. लेकिन क्या खुद महिला नेताओं ने महिला सुरक्षा का मसला किसी चुनावी सभा में उठाया? नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, 2016 में पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के तीन लाख से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए.महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध उत्तर प्रदेश और फिर पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए हैं. लेकिन महिला नेता भी मर्दवादी झुनझुने को बजाने को मजबूर हैं. शायद वे भी जानती हैं कि उनके साथ के पुरुष ऐसे ही हैं, बदलने वाले नहीं हैं. इसलिए उनकी हरकतों को बर्दाश्त करना स्वभाव में शुमार हो चुका है. इसीलिए अपने नारों में अपने आकाओं के कसीदे पढ़ने के अलावा असल मुद्दों पर चर्चा की ही नहीं जाती.

असल मुद्दा रोजगार का भी है. रोजगार न मिलने का, और एक बराबर काम करने के बावजूद एक बराबर मेहनताना न मिलने का. ऑक्सफेम इंडिया का कहना है कि देश में चार में से तीन औरतें घर से बाहर निकलकर काम नहीं करती और काम करने वाली औरतों को पुरुषों के मुकाबले 34 परसेंट कम मेहनताना मिलता है. पर इस तरफ किसी की नजर नहीं मुड़ती. नेतागण चुनावों में इन विषयों पर भाषण नहीं देते- औरतों को एहसास नहीं दिलाते कि उन्हें आजादी के सत्तर साल बाद भी बुनियादी जरूरतें पूरी करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ता है.

यूं इन चुनावों में औरतें हैं ही कहां? नंबर में कम हैं और जो हैं, उनके चेहरों पर भी मर्दवादी मुखौटे चढ़ा दिए गए हैं. वही लहजा, वही घिसे-पिटे विषय. राष्ट्रवादी हड़बड़ी में मानो विक्षिप्त होकर बड़बड़ा रहे हैं. सन्निपात में भूल गए हैं कि आधी आबादी की समस्याएं बाकी की आधी आबादी से अलग हैं. इनके लिए कौन खड़ा होगा... खुद महिला उम्मीदवार या महिला वोटर.. महिला उम्मीदवारों की ही तरह महिला वोटर भी बहकाए हुए मुद्दों में उलझा दी जाती हैं. जाति, धर्म और खास विचारधारा की खेत हो जाती हैं. उन्हें अपनी शिक्षा, नौकरियों, हिफाजत और इंसाफ के सवाल सुनाई ही नहीं देते. पर इस घड़ी औरतों की समझदारी की परीक्षा की होगी. क्या वे अपने हक के लिए बोलेंगी या अपनी आवाज को डूब जाने देंगी? क्या वे राजतंत्र के बढ़ते अहंकार को समझेंगी?

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

IND vs AUS: पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त, ऑस्ट्रेलिया के उड़े होश
पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज खान को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, खूब उड़ा मजाक
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
ABP Premium

वीडियोज

Assembly Election Results: देवेंद्र फडणवीस ने जीत के बाद क्या कहा? Devendra Fadnavis | BreakingMaharashtra Election Result : विधानसभा चुनाव के रुझानों पर महाराष्ट्र में हलचल तेज!Maharashtra Election Result : देश के अलग-अलग राज्यों में हो रहे उपचुनाव में बीजेपी की बड़ी जीतMaharashtra Election Result : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शानदार जीत पर CM Yogi की आई प्रतिक्रिया

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
IND vs AUS: पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त, ऑस्ट्रेलिया के उड़े होश
पर्थ टेस्ट में टीम इंडिया का दबदबा, यशस्वी-राहुल के दम पर 218 रनों की बढ़त
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज खान को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, सोशल मीडिया पर उड़ा मजाक
56 लाख फॉलोवर्स वाले एजाज को चुनाव में मिले सिर्फ़ 100 वोट, खूब उड़ा मजाक
Maharashtra Election Result: शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
शिवसेना-एनसीपी में बगावत, एंटी इनकंबेंसी और मुद्दों का अभाव...क्या हिंदुत्व के सहारे महाराष्ट्र में खिल रहा कमल?
Maharashtra Assembly Election Results 2024: शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
शिंदे की सेना या उद्धव ठाकरे गुट, चाचा या भतीजा और बीजेपी कांग्रेस... कौन किस पर भारी, जानें सारी पार्टियों का स्ट्राइक रेट
Housing Prices: रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
रेसिडेंशियल हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का निर्माण हो गया 39 फीसदी महंगा, ये है इसकी बड़ी वजह!
शादी में क्यों नाराज हो जाते हैं फूफा, क्या आपने कभी पता किया इसका कारण?
शादी में क्यों नाराज हो जाते हैं फूफा, क्या आपने कभी पता किया इसका कारण?
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में हिंदुत्व का बिग बॉस कौन? आंकड़े गवाही दे रहे कि बीजेपी के सामने अब कोई नहीं है टक्कर में
महाराष्ट्र में करोड़ों महिलाओं को मिलेगा BJP की जीत का फायदा, जानें कितना बढ़ सकता है लाडली बहन योजना का पैसा
महाराष्ट्र में करोड़ों महिलाओं को मिलेगा BJP की जीत का फायदा, जानें कितना बढ़ सकता है लाडली बहन योजना का पैसा
Embed widget