अगर आपने पिछले 20 साल में बॉलीवुड की दो-चार फिल्में भी देखी होंगी, तो आप फराह खान का नाम जरूर जानते होंगे. जिनकी टिप्स के दम पर कई मशहूर अभिनेता-अभिनेत्री के डांस को आपने सिल्वर स्क्रीन पर देखते हुए उनकी जबरदस्त तारीफ भी की होगी. फराह की गिनती हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे काबिल और मशहूर कोरियोग्राफर व डायरेक्टर के रुप में होती है. लेकिन आज उन्हीं फराह खान को सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा निशाने पर इसलिए लिया जा रहा है कि वो आखिर इतनी मोटी क्यों हैं और पूछा जा रहा है कि उनके बच्चों का मजहब क्या है.


लिहाजा, सवाल ये उठता है कि क्या किसी के मोटा होने को भी समाज में एक बुराई बनाकर परोसा जा सकता है और एक मां से उसके बच्चों का धर्म पूछकर उसे बेइज्जत करना. आखिर देश के संविधान के किस अध्याय में लिखा हुआ है? हम तालिबान के खिलाफ हर मुमकिन जहरीली भाषा का इस्तेमाल करने से जरा भी नहीं घबराते, लेकिन फराह को जिस तरह से निशाने पर लिया जा रहा है, वो हमारे समाज की उसी तालिबानी सोच को दर्शाता है जो बेहद अफसोसजनक है.


दरअसल, फराह खान एक ऐसी मां हैं जिन्हें मानव-विज्ञान की भाषा में 'ट्रिप्लेट मदर' कहा जाता है, यानी उन्होंने एक ही दिन और एक ही समय पर तीन बच्चों को जन्म दिया है. फराह-शिरीष की दो बेटियां और एक बेटा है. बेटियों के नाम दीवा और अन्या कुंदर है जबकि बेटे का नाम है जार कुंदर. पिछली 11 फरवरी को उन्होंने अपने तीनों बच्चों का 13वां जन्मदिन मनाया था लेकिन सोशल मीडिया पर उन्होंने इसकी तस्वीर शेयर नहीं की.


फराह खान पारसी-मुस्लिम माता-पिता की संतान हैं. उनकी मां मेनका ईरानी पारसी हैं तो वहीं फराह के पिता कामरान खान मुस्लिम परिवार से थे. जबकि फराह के पति शिरीष कुंदर हिंदू हैं लेकिन फ़िल्म जगत में रहते हुए न तो उन्हें और न ही उनके बच्चों को कभी इस फर्क का अहसास हुआ होगा कि वे दो अलग धर्मों से रिश्ता रखते हैं. लेकिन सोशल मीडिया ऐसा नामुराद प्लेटफ़ॉर्म है जो बगैर किसी जवाबदेही के समाज में नफरत फैलाने का जहर मुफ्त में बांट रहा है. इसीलिए तीन दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट को ये कहना पड़ा कि अब इस पर लगाम कसना बेहद जरुरी हो गया है.


मशहूर एक्टर सलमान खान के भाई हैं अरबाज खान जो खुद भी एक अभिनेता-निर्देशक हैं. उनका एक चैट शो है जिसका नाम है-पिंच. इसमें फिल्मी दुनिया की नामी हस्तियों को बुलाकर उनकी जिंदगी के तमाम पहलुओं पर चर्चा की जाती है. इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा वो है जब उस हस्ती से इस बारे में पूछा जाता है और बताया भी जाता है कि सोशल मीडिया पर उनके किसी एक ट्वीट को लेकर उन्हें किस कदर ट्रोल किया गया. यानी, लोगों ने उनके खिलाफ अपनी कितनी जबरदस्त भड़ास निकाली. उस पर उनकी प्रतिक्रिया कैसी रही, वो भी बताया जाता है.


इस शो में इस बार फराह खान को बतौर मेहमान बुलाया गया था जिसके प्रोमो वीडियो को अरबाज खान ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है.इसमें फराह खान ने अपना दर्द बयान करते हुए ट्रोलर्स को करारा जवाब भी दिया है.


इस शो में फराह खान ने बताया है कि सोशल मीडिया पर उन्हें किस बेरहमी से ट्रोल किया जाता है. शो के दौरान ही फराह खान ने कई सोशल मीडिया यूजर्स के कमेंट्स भी पढ़े हैं. इसमें वे कहती हैं कि अगर मैं "हैलो" भी लिखती हूं, तो ट्रोलर्स कहते है, 'नमस्ते नहीं बोल सकती, सलाम नहीं बोल सकती क्या.' वे आगे बताती हैं कि एक बार एक ट्रोलर ने मुझसे पूछा कि मोटी के बच्चे इतने सूखे क्यों हैं? तो मैंने उसे जवाब दिया कि "सुन, तू तेरे बच्चों को संभाल, मैं मेरे बच्चों को संभाल लूंगी.' 


अरबाज के शो में फराह ने यह भी बताया है कि पिछली दिवाली पर अपने परिवार की कोई तस्वीर शेयर न करने पर उन्हें किस तरह के ताने-उलाहने दिए गए थे. इसकी वजह पूछने पर वे कहती हैं, "जब आप मेरे मोटापे का मज़ाक उड़ाएंगे और मेरे बच्चों का धर्म पूछकर उनके कोमल मन में नफरत की दीवार खड़ी करना चाहोगे, तो उससे बेहतर है कि मैं सोशल मीडिया को इससे दूर ही रखूं."


हालांकि उन्होंने ये बात भी कबूल की है कि वो उन ट्रोलर्स को ब्लॉक करती हैं, जो उन्हें 'तीस मार खान' के लिए ट्रोल करते हैं. दरअसल, इस फ़िल्म का निर्देशन उनके पति शिरीष ने किया था, जो बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई थी. वे ऐसे ट्रोलर्स से कहती हैं कि "भाई अब 10 साल हो चुके, आगे बढ़ जा अब." वो ट्रोलर्स के खिलाफ अपना गुस्सा कुछ ये कहते हुए उतारती हैं कि  जिसके पास फोन है, वो क्रिटिक है और वो इस मुगालते में रहता है कि फिल्मों के बारे में उसे सब मालूम है.


फराह खान ने माना कि वो ट्रोलर्स को कभी सीरियसली नहीं लेतीं लेकिन उनकी संकुचित सोच कहीं न कहीं समाज पर असर डालती है, जो खतरनाक है. नेपोटिज्म के मुद्दे पर बात करते हुए फराह कहती हैं कि नेपोटिज्‍म के बारे में बात करने के बाद भी आप शाहरुख की बेटी या करीना कपूर के बेटे की तस्वीरों को तो ही देखना पसंद करते हैं. लेकिन सबसे अहम बात ये है कि इस शो के बहाने फराह खान ने समाज के सामने कुछ बुनियादी सवाल उठाए हैं कि दूसरे धर्म के व्यक्ति से शादी करना क्या गुनाह है? अगर हां, तो फिर देश का संविधान बदलना होगा और यदि गुनाह नहीं है, तो फिर ऐसे दंपत्ति के बच्चों का धर्म पूछने की कट्टरवादी सोच पर रोक लगानी होगी. तालिबानी सोच और एक सभ्य समाज की विचारधारा के बीच कहीं तो लक्ष्मण-रेखा खिंचनी ही पड़ेगी या नहीं? 


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