नई दिल्लीः क्या महाराष्ट्र सरकार ने देश से एक बड़ा सच छिपाया है कि मुंबई में ऑक्सीजन की समस्या का समाधान उसने नहीं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार ने किया था? क्या यह भी सच है कि बीते दिनों दिल्ली में ऑक्सीजन संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई महानगर पालिका की तारीफ करते हुए जो बीएमसी मॉडल अपनाने की बात कही थी, वह राज्य सरकार की नहीं बल्कि दिल्ली में बैठे  कैबिनेट सचिव के दिमाग की उपज थी? 



एक सवाल यह भी कि क्या 17 अप्रैल को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने यह गलतबयानी की थी कि संकट की इस घड़ी में भी प्रधानमंत्री को उनसे बात करने की फुर्सत नहीं है? ये सवाल इसलिए उठे हैं क्योंकि अब तक ऑक्सीजन के मसले पर वाहवाही लूट रही महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार के इस झूठ से खुद बीएमसी के कमिश्नर ने ही पर्दा हटाते हुए उसे कटघरे में ला खड़ा किया है.



कोरोना महामारी के इस संकटकाल में किसी न किसी मुद्दे पर विपक्षशासित राज्य सरकारों की केंद्र के साथ तनातनी सबके सामने है, लेकिन केंद्र सरकार की किसी अच्छी पहल का श्रेय खुद लेने का यह अजीबोगरीब उदाहरण शायद पहली बार सामने आया है. एक तरफ राज्य के मुख्यमंत्री यह आरोप लगाएं कि  पीएम के पास बात करने का वक़्त नहीं है, तो वहीं मुम्बई में बैठे उनके सबसे बड़े अधिकारी केंद्र सरकार की मदद की तारीफ करें, तो यह तय करने में कोई मुश्किल नहीं है कि इस मुद्दे पर सियासत आखिर कौन कर रहा है.



दरअसल बीएमसी के कमिश्नर इक़बाल सिंह चहल ने हाल ही में वह सच उजागर किया है, जिसे अब तक जानबूझकर छिपाया गया और जिस पर सियासी रोटियां सेकी जा रही थीं. चहल के मुताबिक "16-17 अप्रैल की रात मुंबई में अचानक ऑक्सीजन का संकट पैदा हो गया, तब मैंने इस संबंध में केंद्र से मदद मांगी." किसी भी राज्य को जब केंद्र से मदद लेनी होती है, तो संबंधित अफसर सबसे पहले दिल्ली में बैठे काबीना सचिव के आगे ही गुहार लगाते हैं क्योंकि केंद्र की ब्यूरोक्रेसी के मुखिया वही हैं.



चहल कहते हैं कि " उस रात मैंने कैबिनट सचिव राजीव गाबा को इस बारे में मैसेज किया. मैसेज करने के 15-20 सेकंड में ही गाबा का फोन मेरे पास आ गया. उन्होंने ऑक्सीजन की समस्या पर मुझसे न सिर्फ विस्तार  से चर्चा की, बल्कि उसी वक़्त पूरी तत्परता से इसके समाधान में भी जुट गए." चहल के इस खुलासे से जाहिर है कि उन्होंने पूरी समस्या को वक़्त पर हल करने का सारा श्रेय पूरी ईमानदारी के साथ केंद्र सरकार को ही दिया है. अब यह अलग बात है कि राज्य सरकार उन्हें यह सच उजागर करने की सजा देने का कोई रास्ता तलाशे.



चहल का यह इंटरव्यू सोशल मीडिया की सुर्खियां में है और नेताओं के अलावा आम मुम्बईकर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र सरकार के त्वरित रिस्पॉन्स देने की जमकर तारीफ की है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया है कि कौन सच बोल रहा है- बीएमसी कमिश्नर या फिर महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के मंत्री? 



हिमांशु जैन नाम के व्यक्ति ने ट्वीट किया है, “विपक्षी दलों के शासन वाले राज्य का एक वरिष्ठ अधिकारी सच्चाई बता रहा है कि केंद्र सरकार ने किस प्रकार जरूरत पड़ने पर मदद की, लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि एक तरफ जहां केंद्र के अधिकारी मदद में जुटे थे, वहीं महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे 17 अप्रैल को यह आरोप लगा रहे थे कि प्रधानमंत्री उनसे बात करने का समय नहीं दे रहे हैं.“



कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल के इंटरव्यू पर टिप्पणी की है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया कि "बीएमसी कमिश्नर अपने बयान में कह रहे हैं कि भारत सरकार की सहायता से मुंबई में ऑक्सीजन संकट को खत्म किया गया." वहीं केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने ट्वीट किया है, “बीएमसी कमिश्नर ने अपनी बात स्पष्ट तौर पर कही है कि किस प्रकार केंद्र ने तत्काल मदद की है, फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री क्यों इस समय राजनीति कर रहे हैं.“



आलोक भट्ट नाम के शख्स ने भी ट्वीट कर केंद्र सरकार के कदम की सराहना की है. वहीं बीजेपी महिला मोर्चा की सोशल मीडिया इंचार्ज ने भी ट्वीट कर सवाल उठाया है कि जब 17 अप्रैल को ही मुंबई को ऑक्सीजन की समस्या के लिए केंद्र सरकार से मदद मिल गई थी, तो फिर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री से बात नहीं हो पाने का मुद्दा क्यों उठाया?