जल जीवन मिशन कितना कारगर साबित हो सकता है, इसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की नई स्टडी काफी सकारात्मक बातें कहती है. हम सब जानते हैं कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जल जीवन मिशन को सभी घरों तक स्वच्छ जल पहुंचाने के लक्ष्य को लेकर शुरू किया था.


अब डब्ल्यूएचओ की स्टडी में ये पाया गया कि अगर इस मिशन के लक्ष्य को हासिल कर लिाय जाता है, तो डायरिया (अतिसार) से होने वाली करीब चार लाख मौतों को रोका जा सकता है. ये जल जीवन मिशन के महत्व को बताने के लिए काफी है. मोदी सरकार ने  2019 में जल जीवन मिशन (JJM) की शुरुआत की थी. इसका मकसद ग्रामीण क्षेत्रों के सभी घरों में अगले साल तक नल से स्वच्छ जल पहुंचाना है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक 62 फीसदी ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचाने के लिए पाइप लाइन कनेक्शन दिया जा चुका है.


दरअसल डब्ल्यूएचओ ने पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के कहने पर ये स्टडी किया है. मंत्रालय ने डब्ल्यूएचओ से भारत में सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति बढ़ाने से स्वास्थ्य संबंधी फायदे और आर्थिक बचत पर स्टडी करने को कहा था. अब विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि हर घर तक सुरक्षित पीने का पानी पहुंच जाए, तो भारत में करीब 4 लाख जानें बच सकती हैं. हम ये जानते है कि डायरिया गंदे पानी की वजह से होने वाली बीमारी है. 


स्वच्छ जल मिशन से बदलेगी देश की तस्वीर


विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्टडी से ये भी कहती है कि अगर सब तक पीने का साफ पानी पहुंच जाए, तो इससे बहुत बड़ी राशि भी बचाई जा सकती है. डब्ल्यूएचओ ने 101 अरब डॉलर तक की बचत का अनुमान लगाया है. जैसा कि हम जानते हैं और अक्सर खबर भी देखते हैं कि अभी भी देश के अलग-अलग हिस्सों में पीने का पानी के इंतजाम में महिलाओं से लेकर पुरुषों को काफी मशक्कत के साथ टाइम देना पड़ा है. 


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इसी बात को माना है. संगठन का कहना है कि इससे हर दिन 6.66 करोड़ घंटे की बचत हो सकती है. ये घंटे देश भर में पानी के इंतजाम में खर्च होने वाले समय को भी एक तरह से दर्शाता है. महिलाओं को ज्यादा वक्त मिलने लगेगा, जिसका वे दूसरे कामों में सदुपयोग कर पाएंगी. 


इस स्टडी से जुड़े आंकड़े डब्यूएचओ/यूनिसेफ के संयुक्त निगरानी कार्यक्रम के सह-प्रमुख रिचर्ड जॉन्स्टन ने रखे हैं. दुनिया के तमाम देश पेयजल और स्वच्छता पर अपने सतत् विकास लक्ष्य (Sustainable Development Goals) को हासिल करने की दिशा में कदम उठा रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के जल जीवन मिशन को लेकर इतना तक मान लिया है कि अगर दुनिया को पेयजल और स्वच्छता से जुड़े लक्ष्य हासिल होते हैं, तो ये सिर्फ और सिर्फ भारत की वजह से मुमकिन हो पाएगा.


भारत को इस मामले में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रेरणास्रोत मान लिया है. भारत के पास दुनिया में सबसे  ज्यादा आबादी है और क्षेत्रफल के मामले में भी भारत का आकार काफी विस्तृत है. भौगौलिक विविधताओं से भरे भारत में जो भी योजनाएं सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य को हासिल कर लेंगी, तो उसका प्रभाव बाकी देशों पर भी पड़ेगा. ये दुनिया के हर देश के लिए अनुसरण करने का एक उदाहरण बन सकता है. ये भारत जैसे विशाल देश की ताकत ही है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी अंतरर्राष्ट्रीय संस्था का भी मानना है कि भारत अगर चाह ले, तो अपनी मजबूत इच्छाशक्ति और निवेश के जरिए वो कुछ भी हासिल करने में सक्षम है.



बीमारियों पर स्वच्छ जल आपूर्ति का असर


विश्व स्वास्थ्य संगठन की इस स्टडी का भारत के एक्सपर्ट भी सराहना कर रहे हैं. भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉक्टर राजीव बहल ने इस स्टडी के नतीजे को प्रामाणिक बताया है. उनका कहना है कि हमें ये जरूर समझना चाहिए कि पीने का साफ पानी अगर हर तक तक पहुंचा दिया जाए, तो इसके हेल्थ के नजरिए से की फायदे हैं. इससे कई संक्रमण और गैर संक्रमणकारी बीमारियों को रोकने में मदद मिलेगी.


विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने इस स्टडी में पीने के साफ पानी नहीं मिलने से होने वाले जोखिमों को ध्यान में रखा है. हेल्थ पर असर का अनुमान तुलनात्मक जोखिम आकलन (comparative risk assessment) पद्धति के जरिए किया गया है.


क्या है जल जीवन मिशन?


जल जीवन मिशन जरिए ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को उनके घरों में ही पीने के पानी के लिए जल कनेक्शन लगाए जा रहे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार की ओर  इस योजना के अमल के लिए  करीब 360 लाख करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था. 


डिपार्टमेंट ऑफ ड्रिकिंग वाटर एंड सैनिटेशन के आंकड़ों के तहत अब तक 18.33 फीसदी से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों के परिवारों को पानी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है. इस मिशन के तहत जिन इलाकों में पानी नहीं है, वहां पर हर घर में पाइप लाइन के जरिए पानी पहुंचाया जाएगा. इस मिशन को सरकार ने हर घर जल योजना का नाम दिया. इस स्कीम का फायदा शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लोगों तक पहुंचाया जाएगा. इससे जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा. जल जीवन मिशन का फायदा गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, मेघालय, पंजाब, सिक्किम, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के लोगों को दिया जा रहा है. सभी राज्यों में फिलहाल इसे लागू नहीं किया जा सका है.


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