कहने को वो भी एक स्टेडियम ही है. वहां भी मैच ही खेले जाते हैं. दुनिया के किसी भी क्रिकेट स्टेडियम में जो जो होता है वो सब चेपॉक में भी होता है. फर्क बस इतना है कि भारतीय क्रिकेट के जाने कितने बड़े इतिहास इसी मैदान पर कायम हुए हैं. इसी मैदान पर भारत को टेस्ट इतिहास की पहली जीत हासिल हुई थी. विश्व क्रिकेट के इतिहास का दूसरा ‘टाई’ टेस्ट मैच इसी मैदान पर खेला गया था. सुनील गावस्कर ने सर डॉन ब्रैडमैन का रिकॉर्ड तोड़ते हुए करियर का 30वां शतक इसी मैदान पर लगाया था. इसी मैदान पर वीरेंद्र सहवाग ने तिहरा शतक लगाया था. इसी मैदान पर भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ चौथी पारी में 387 रन का लक्ष्य हासिल करके एतिहासिक जीत हासिल की थी. इसीलिए चेपॉक में हर मैच कुछ खास हो जाता है.
ऐसे में इंग्लैंड के खिलाफ शुक्रवार से शुरू हो रहे सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच में भी असली दिलचस्पी इसी बात को लेकर है कि क्या चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में कुछ और इतिहास रचे जाएंगे? भारतीय टीम इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 3-0 की जीत पहले ही हासिल कर चुकी है. साथ ही इस पूरी सीरीज में भारतीय टीम जिस अंदाज में खेली है उससे इतना तय है कि चेन्नई में भी उसका पलड़ा इंग्लिश टीम पर अच्छा खासा भारी है. अब सवाल ये है कि ‘साइक्लोन’ से परेशान चेन्नई के लोग अगर स्टेडियम जाएंगे तो क्या देखने जाएंगे?
45 साल के रिकॉर्ड पर खतरा
लोगों को स्टेडियम तक खींच कर लाने की पहली वजह है 45 साल के रिकॉर्ड पर खतरा. लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर के 1971 के रिकॉर्ड को विराट कोहली तोड़ सकते हैं. ये रिकॉर्ड एक सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने का है. सुनील गावस्कर ने 1971 में वेस्टइंडीज में 774 रन बनाए थे. विराट कोहली इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज में 640 रन बना चुके हैं. उनके और गावस्कर के रिकॉर्ड्स के बीच 134 रनों की दूरी है. विराट कोहली जिस फॉर्म में हैं उससे लगता है कि रिकॉर्ड्स शायद ही बचेगा. इस सीरीज में उनकी औसत 128 की है. दो शतक और दो अर्धशतक उनके खाते में हैं. रिकॉर्ड तो ये भी है अगर विराट सीरीज का कुल स्कोर 700 रनों के पार पहुंचा पाते हैं. ऐसा करने वाले भारत के इकलौते खिलाड़ी सुनील गावस्कर हैं. इस मैदान में विराट कोहली का रिकॉर्ड शानदार रहा है. टी-20, वनडे और टेस्ट क्रिकेट को मिलाकर विराट ने इस मैदान में 7 मैच खेले हैं. इसमें उनका औसत 65 से ज्यादा रनों का है. पिछले दो मैचों में उन्होंने इस मैदान में शतक लगाया है.
अश्विन का ‘बहुत बड़ा’ रिकॉर्ड
चेन्नई स्पिनर आर अश्विन का ‘होमग्राउंड’ है. पिछले काफी समय से वो जबरदस्त फॉर्म में हैं. इस सीरीज में वो 27 विकेट ले चुके हैं. एक बहुत बड़े रिकॉर्ड से वो सिर्फ 3 विकेट दूर हैं. दरअसल अश्विन के खाते में 43 टेस्ट मैचों में 247 टेस्ट विकेट हैं. अगर वो चेन्नई में 3 विकेट ले लेते हैं तो वो टेस्ट करियर में सबसे जल्दी 250 विकेट पूरे करने के डेनिस लिली के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे. सबसे पहले 250 विकेट लेने वाले गेंदबाजों की फेहरिस्त में डेनिस लिली के बाद डेल स्टेन (49 टेस्ट), एलेन डोनाल्ड (50 टेस्ट) वकार यूनिस (51 टेस्ट) और मुथैया मुरलीधरन (51 टेस्ट) हैं. आर अश्विन अगर 44वें टेस्ट मैच में ही ये कारनामा कर लेते हैं तो उनका ये रिकॉर्ड लंबे समय तक सुरक्षित रहेगा. ये भी दिलचस्प बात है कि चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में जब आर अश्विन पहली बार 1993 में मैच देखने आए थे तो उनकी उम्र सात साल थी और सामने इंग्लैंड की टीम ही थी. तब से लेकर आज तक आर अश्विन ने इस मैदान पर खेला गया कोई भी मैच ‘मिस’ नहीं किया है. आज उनके पास उसी मैदान पर इतिहास कायम करने का मौका है और सामने इंग्लैंड की टीम ही है.
लगातार जीत का रिकॉर्ड
विराट कोहली की अगुवाई में अगर भारतीय टीम चेन्नई टेस्ट मैच में जीत दर्ज करती है तो ये सीरीज में उसकी चौथी जीत होगी. इससे पहले भारतीय टीम ने ये कारनामा 2013 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किया था. बड़ा रिकॉर्ड ये भी है कि अगर भारतीय टीम चेन्नई में ड्रॉ भी कराती है तो ये लगातार 18वां टेस्ट मैच होगा जब उसे हार का सामना ना करना पड़ा हो. भारतीय क्रिकेट के 84 साल के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है. ये आंकडे पिछले करीब 16 महीने के हैं. इस दौरान भारतीय टीम ने श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज खेली है. जिसमें पिछले 17 मैचों से वो अपराजेय है. 13 मैचों में भारतीय टीम ने जीत हासिल की है जबकि 4 टेस्ट मैचों में नतीजा नहीं निकला. भारतीय टीम को आखिरी बार अगस्त 2015 में गॉल टेस्ट मैच में हार का सामना करना पड़ा था.
बस इस बात का रहे ध्यान
अभी पिछले ही टेस्ट मैच के बाद विराट कोहली ने कहाथा कि उन्होंने टीम इंडिया के खिलाड़ियों के दिमाग से व्यक्तिगत उपलब्धियों को हासिल करने का भूत निकाल दिया है. उन्होंने कहा था कि कई बार टेस्ट मैच में एकाध घंटे का खेल ऐसा होता है जिसमें मैच का रूख पलटा जा सकता है लेकिन व्यक्तिगर रिकॉर्ड्स के चक्कर में वो समय खिलाड़ी बर्बाद कर देते हैं. ऐसे में बेहतर होगा कि खिलाड़ी सिर्फ और सिर्फ जीत पर ‘फोकस’ करे. विराट का ये बयान भारतीय क्रिकेट के भविष्य को बदलने वाला बयान है. बस इस बात का ध्यान रखना होगा कि ये बयान सिर्फ बयान ना रह जाए.