'न नीतीश PM बनना चाहते हैं, न मैं CM बनना चाहता हूं', तेजस्वी के इस बयान के पीछे है बड़ा सियासी खेल
बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में खुश हैं. उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर भी कहा है. तेजस्वी यादव ने कहा ‘‘न तो नीतीश PM बनना चाहते हैं, न मैं CM बनना चाहता हूं’’. बिहार विधानसभा में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पथ निर्माण विभाग के बजट पर चर्चा के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में तेजस्वी ने ये बातें कहीं. ऐसा माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने को लेकर अपनी ही पार्टी के कई नेताओं की बयानबाजी के कारण जेडीयू चीफ के साथ अनबन की अटकलों को शांत करने के लिए तेजस्वी ने ये बात कही.
कुछ ऐसी भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि पिछले साल अगस्त महीने में महागठबंधन में शामिल होने के समय जेडीयू और आरजेडी के बीच एक ‘‘डील’’ हुआ था, जिसके तहत नीतीश अपने डिप्टी के लिए अपनी कुर्सी छोड़ देंगे जो बदले में राष्ट्रीय राजनीति में शीर्ष पद के लिए उनका समर्थन करेंगे. तेजस्वी ने इन अटकलों को खारिज करते हुए खुद और अपने बगल में बैठे नीतीश के बारे कहा, ‘‘ना इनको प्रधानमंत्री बनना है ना हमको CM बनना है. हम जहां हैं खुश हैं .’
तेजस्वी के बयान के पीछे सियासी खेल
दरअसल, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की तरफ से ऐसा बयान यूं ही नहीं दिया गया है, बल्कि इसके पीछे भी एक बड़ा सियासी खेल है. बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 में है लेकिन उससे पहले 2024 में लोकसभा का चुनाव है. विधानसभा चुनाव होने में अभी वक्त है. ऐसे में तेजस्वी का ये बयान विशुद्ध रूप से राजनीतिक बयान है. उसकी वजह ये है कि नीतिश कुमार ने हाल में पत्रकारों के बीच इशारा करते हुए कहा था कि अगला टाइम इनका है. तेजस्वी की ओर इशारा करते हुए उन्होंने ऐसा कहा था.
जेडीयू के अंदर सेकेंड लीडरशिप नहीं है. राष्ट्रीय जनता दल के मुकाबले जेडीयू एक छोटी पार्टी है. इसके अलावा, उपेन्द्र कुशवाहा के जेडीयू छोड़ने से कुशवाहा बिरादरी का वोट भी टूटा है. इसका उनको नुकसान है. विधायक भी आरजेडी के मुकाबले जेडीयू के पास कम हैं. मगर नीतीश कुमार की राजनीतिक समझ है. उस बुनियाद पर जेडीयू के तीसरे नंबर की पार्टी होने के बावजूद भी वे सीएम बने हुए हैं. इस बात को खुद नीतीश कुमार भी भली-भांति समझते हैं और इस बात से आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव भी वाकिफ हैं.
तेजस्वी को सीएम देखना चाहते हैं लालू यादव
इसका मतलब ये है कि लालू यादव ने आरजेडी सुप्रीमो के तौर पर ये कभी नहीं चाहा कि तेजस्वी आने वाले विधानसभा चुनाव में सीएम न बने. लालू यादव अपने बेटे तेजस्वी को बिहार के सीएम के तौर पर देखना चाहते हैं. नीतीश इस बात को अच्छे से जानते हैं कि वे पीएम पद के दौर से बाहर हो चुके हैं. क्योंकि अभी जो गठबंधन हुआ भी है तो वो ममता बनर्जी और अखिलेश यादव के बीच हुआ है.
जिस तरह की चर्चा हो रही थी कि तीसरा मोर्चा बनाकर नीतीश की अगुवाई में आगे बढ़ा जाए, उसके बजाय जिस तरह ममता बनर्जी और अखिलेश यादव ने हाथ मिलाया है, उससे वो चासेंज खत्म हो जाते हैं. इस बात को खुद नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं और अखिलेश यादव भी समझ रहे हैं.
नीतीश कुमार का पॉलिटिकली फेस बचाया गया
इसलिए तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार का राजनीतिक रूप से फेस बचाने के लिए उन्होंने अपना भी नाम जोड़ लिया कि न वे प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं और न वे मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. बिहार में बीजेपी के बाद अगर किसी बड़ी पार्टी की बात होगी तो वो आरजेडी ही है. कांग्रेस पार्टी की बिहार और यूपी में क्या स्थिति है ये तो जगजाहिर है.
ऐसे में देखा जाए तो राहुल गांधी का भारत जोड़ो यात्रा के बाद जिस तरह से कद बढ़ा है, लंदन में उन्होंने जिस तरह से भाषण दिया, इसके बाद बीजेपी के नेता लगातार राहुल के बयान को तूल दे रहे हैं. यानी, राहुल के बयान ने बीजेपी की टेंशन को बढ़ाकर रख दी है. बीजेपी में उनको लेकर एक घबराहट भी है, जो ये जाहिर कर रहा है कि राहुल गांधी विपक्ष का एक बड़ा चेहरा बनकर उभर रहे हैं.
अभी तीन चार महीने में दो उपचुनाव हुए, इसमें दोनों जगहों पर कांग्रेस की ही जीत हुई है. कर्नाटक को लेकर जो रुझान आ रहे हैं वो भी कांग्रेस के पक्ष में ही आ रहे हैं. ऐसे में अगर गैर एनडीए सरकार के गठन की चर्चा होगी तो जाहिर सी बात है कि पीएम उम्मीदवार के तौर पर राहुल गांधी ही रहेंगे, नीतीश कुमार नहीं रहेंगे. यही सब सोचकर पॉलिटिकली फेस सेविंग के लिए तेजस्वी यादव की तरफ से ये बयान दिया गया है कि न वे सीएम बनना चाहते हैं और न ही नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं.
2024 में नीतीश लड़ेंगे लोकसभा का चुनाव
लेकिन, एक बात ये स्पष्ट है कि 2024 में नीतीश कुमार जरूर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे. इसकी काफी संभावना है, क्योंकि नीतीश कुमार एनडीए सरकार में वाजपेयी के कार्यकाल के वक्त केन्द्रीय मंत्री रहे हैं. ऐसे में अगर विपक्ष की सरकार बनेगी तो सौदेबाजी हो सकती है, ये भी हो सकता है कि नीतीश के लिए गृह मंत्रालय या रक्षा मंत्रालय मांग लिया जाए. इसलिए, 2024 चुनाव को ध्यान में रखकर इस तरह के बयान आते रहेंगे. नीतीश कुमार के पॉलिटिकल पारी का अंत केन्द्रीय मंत्री के तौर पर हो सकता है. ऐसे में तेजस्वी के इस बयान को उसी तौर पर देखने की जरूरत हैं.
[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है. ये आर्टिकल राजनीतिक विश्लेषक रुमान हाशमी से बातचीत पर आधारित है]