आश्चर्य होता है कि विश्व में सबसे ज्यादा धार्मिक फिल्म बनाने वाला देश भारत, गणेश जी पर फिल्म बनाने को लेकर उतना उत्साह क्यों नहीं दिखा सका, जितना अन्य देवी देवताओं की फिल्म बनाने में दिखाता रहा है. इसलिए प्रथम पूजनीय श्री गणेश पर बॉलीवुड की यह उदासीनता अखरती है. फिल्मों के सवाक युग के आरंभ से अब तक गणेश जी पर बनी फिल्मों के विश्लेषण पर पढ़िये वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक प्रदीप सरदाना का ब्लॉग. इन दिनों सभी ओर गणेश उत्सव की धूम है. हालांकि कोरोना महामारी के चलते इस बार बड़े बड़े सार्वजनिक पंडाल नहीं लग सके हैं. फिर भी अपने अपने घरों में या सीमित क्षेत्र में गणपति बप्पा के रंगारंग आयोजन खूब हो रहे हैं.


कुछ बरस पहले तक गणेश उत्सव के सबसे ज्यादा आयोजन महाराष्ट्र में ही होते थे. लेकिन पिछले कुछ बरसों में गणेश उत्सव को उत्साह से मनाने की परंपरा धीरे धीरे लगभग पूरे देश में होती जा रही है. फिर भी मुंबई और महाराष्ट्र में आज भी इसे सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है. मुंबई में बड़े बड़े फिल्म सितारे भी गणेश उत्सव को बहुत ही उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं.


इस सबके बावजूद एक बात चौंकाती है कि मुंबई की फिल्म हस्तियाँ गणेश जी की भक्ति तो बहुत ज़ोर शोर से करती हैं लेकिन बात जब गणेश जी पर फिल्म बनाने की आती है तो फिल्म वालों का वह उत्साह दूर दूर तक नज़र नहीं आता. यही कारण है कि भारतीय सिनेमा के लंबे इतिहास में गणेश जी पर गिनी चुनी फिल्में ही बनी हैं. जबकि भगवान राम, भगवान शिव, भगवान कृष्ण और माँ दुर्गा के साथ राम भक्त हनुमान पर सवाक युग में ही अब तक करीब 25-25 फिल्में बन चुकी हैं. अन्य भी कई और धार्मिक प्रसंगों और देवी देवताओं पर हमारे यहाँ फिल्मों की कमी नहीं. लेकिन सवाक युग में गणेश जी पर कुल मिलाकर ढंग से 5 फीचर फिल्में ही हैं.


बोलती फिल्मों की शुरुआत यूं हमारे यहाँ सन 1931 में ही हो गयी थी. लेकिन गणेश जी पर जो फिल्म सबसे पहले बनी वह थी ‘श्री गणेश महिमा’. सन 1950 में प्रदर्शित इस फिल्म के निर्माता, निर्देशक होमी वाडिया थे. जो हंटरवाली, डायमंड क्वीन और फ्लाइंग प्रिंसेस जैसी अपनी हिट फंतासी फिल्मों के लिए मशहूर थे. हालांकि ‘श्री गणेश महिमा’ भी पूरी तरह गणेश जी पर नहीं थी. असल में गणेश जी के चंद्रमा को दिये श्राप को कथानक बनाकर, इसमें भगवान श्रीकृष्ण और सत्यभामा को जोड़ा गया था. श्रीकृष्ण की भूमिका महिपाल ने की थी और सत्यभामा की भूमिका में मीना कुमारी थीं. संगीतकार एस एन त्रिपाठी ने इसमें संगीत देने के साथ अभिनय भी किया था.



यह फिल्म उस दौर में काफी सफल रही थी. मुहम्मद रफी और गीता रॉय के गाये गीत- करतब है बलवान जगत में, गाइए गणपती जय वंदन, तारों के पलने में झूले चाँद हमारा और ओ मोहन मुरली वाले, तो अच्छे खासे लोकप्रिय हुए थे. इस फिल्म की सफलता देख अगले ही बरस यानि 1951 में गणेश जी पर दूसरी फिल्म आ गयी –‘श्री गणेश जन्म’. निर्माता के पिक्चर्स की इस फिल्म के निर्देशक जयंत देसाई थे. फिल्म में उस दौर के मशहूर कलाकार निरुपा राय, त्रिलोक कपूर,जीवन, उल्हास, नीरू और तिवारी थे.


गणेश जी के जन्म की कथा कहने वाली यह ऐसी पहली फिल्म थी जो सही मायने में पूरी तरह गणेश जी पर केन्द्रित थी. खेम चंद्र प्रकाश के संगीत में गीता राय, आशा भोसले, सुलोचना और मन्ना डे के गीतों को भी बहुत पसंद किया गया. जिनमें- बिगड़ी बनाने वाले, जय गणपति विजय हमारी हो और जय जय हे गणेश काटो हमारे क्लेश तो आज भी गणेश महोत्सव के दिनों में कहीं न कहीं सुनने को मिल जाते हैं. यह फिल्म भी सफल रही थी.


इसके बाद गणपति पर सन 1955 में तीसरी फिल्म आई जिसका नाम था-‘’श्री गणेश विवाह’. ‘श्री गणेश’ की तरह इस फिल्म में भी निरुपा राय और जीवन थे. साथ ही दुर्गा खोटे, प्रेम अदीब, सप्रू और बी एम व्यास जैसे शिखर के अन्य कलाकार भी थे. गीत और संगीत की दुनिया के दो बड़े नाम भरत व्यास और चित्रगुप्त भी इस फिल्म से जुड़े थे.


‘जय वंदन, गिरिजा के नन्दन’ जैसा मशहूर धार्मिक गीत भी इसी फिल्म से है. जिसे आशा भोसले ने गाया है. आशा ताई यूं भी अक्सर गणेश उत्सव के पंडालों और खासकर लाल बाग के राजा में जाती रही हैं. साथ ही मन्ना डे का गाया एक और गीत ‘गजनन्द गज वंदन’ भी इसी फिल्म से है. गणेश जी की विवाह कथा को दिखाने वाली इस फिल्म का निर्देशन जसवंत झावेरी ने और निर्माण चित्रवीणा ने किया था.


फिल्म ‘श्री गणेश विवाह’ के सात साल बाद गणेश जी पर चौथी फिल्म 1962 में रिलीज हुई-‘श्री गणेश’. इसका निर्माण कम्बाईन फिल्म ट्रेडर्स ने और निर्देशन एस एच धारवड्कर ने किया था. महिपाल, उमा दत्त, मल्का, साबिरा, इन्दिरा और बेबी विद्या रानी ‘श्री गणेश’ के मुख्य कलाकारों में से थे. यहाँ बता दें कि गणेश जी पर बनी उपरोक्त चारों फिल्में ब्लैक एंड व्हाइट थी. गणेश जी को लेकर पहली बार रंगीन फिल्म बनी ‘जय गणेश’. सन 1978 में यह फिल्म आई थी जिसका निर्माण, निर्देशन आर एन मंडलोई ने किया था. हालांकि यहाँ यह दिलचस्प है कि गणेश जी को फिल्मकारों ने सबसे ज्यादा याद सन 1950 से 1955 के दौर में किया जब इन 6 बरसों में गणेश जी पर 3 फिल्में आ गईं. लेकिन उसके बाद यह सिलसिला कुछ थमा और फिर उन पर सन 1962 में ही एक फिल्म आई. लेकिन उसके बाद रंगीन फिल्मों का युग शुरू होने पर गणेश जी की पिछली फिल्म के 16 बरस बाद 1978 में ही ‘जय गणेश’ आ सकी.


जब पुत्री पर फिल्म के बाद आई पिता पर फिल्म


इतने बरसों बाद सन 1978 में भी गणेश जी पर एक और फिल्म आने के पीछे भी एक खास बात है. वह यह कि 1975 में एक फिल्म आई थी ‘जय संतोषी माँ’. यह फिल्म यूं ‘शोले’ फिल्म के साथ आई थी. ‘शोले’ ने अपार सफलता पाकर जो इतिहास रचा वह किसी से छिपा नहीं है. लेकिन ‘शोले’ फिल्म के साथ आने पर भी ‘जय संतोषी माँ’ भी ऐसी सुपर-डुपर हिट हुई कि सभी की आँखें खुली के खुली रह गईं. संतोषी माँ गणेश जी की पुत्री हैं. फ़िल्मकारों को लगा जब गणेश जी की पुत्री पर बनी फिल्म इस हद तक सफल हो सकती है तो उनके पिता गणेश जी पर फिल्म बनाई जाये तो वह तो और भी ज्यादा हिट होगी. इसलिए ‘जय संतोषी माँ’ फिल्म प्रदर्शित होने के कुछ समय बाद ‘जय गणेश’ का निर्माण शुरू हुआ और ‘जय संतोषी माँ’ के 3 बरस बाद ‘जय गणेश’ फिल्म आ गयी.


‘जय गणेश’ के साथ एक बात यह भी थी कि इस फिल्म में भी ‘जय संतोषी माँ’ के प्रमुख कलाकारों को लिया गया. जैसे आशीष कुमार, कानन कौशल, भारत भूषण और बी एम व्यास. रमेश देव, प्राण नाथ और जयश्री टी फिल्म के अन्य प्रमुख कलाकार थे. फिल्म का संगीत एस एन त्रिपाठी का था. यह फिल्म चली तो सही लेकिन ‘जय संतोषी माँ’ जैसी रिकॉर्ड तोड़ सफलता नहीं पा सकी.


इधर यह बात आश्चर्य देती है कि 1978 के बाद अब 2020 के 42 बरसों में गणेश जी पर विशुद्द धार्मिक फिल्म बनाने की बात किसी फ़िल्मकार ने नहीं सोची.  यह सही कि समय बदला है और अब पिछले बरसों में बहुत कम धार्मिक फिल्म आई हैं. लेकिन गणेश जी को तो हमारी फ़िल्मकार काफी हद तक भूल से गए.



अब कुछ अलग अंदाज़ से आ रहे हैं गणेश जी


असल में सन 2000 के बाद गणेश जी पर कुछ फिल्में बनी तो सही. लेकिन उनमें एनीमेशन फिल्मों का ही बोलबाला रहा है. गणेश जी पर एनीमेशन फिल्मों की शुरुआत सन 2007 में फिल्म ‘बाल गणेश’ से हुई थी. इस फिल्म का निर्माण, मनोरंजन जगत के प्रसिद्द बैनर शिमारू ने किया था. इस एनीमेशन फिल्म को जब अच्छी सफलता मिली तो इसके दो सीक्वेल सन 2009 में ‘बाल गणेश-2’ और फिर 2017 में ‘बाल ‘गणेश-3’ भी आ गए.


एनीमेशन में गणेश जी पर बनीं ये फिल्में बच्चों को काफी पसंद आयीं. ‘बाल गणेश’ की पहली एनीमेशन फिल्म के साथ 2007 में गणेश जी को लेकर एक और फिल्म भी आई जिसका नाम था ‘माइ फ्रेंड गनेशा’. यह फिल्म गणेश जी के जीवन पर नहीं थी और न ही यह कोई विशुद्द धार्मिक फिल्म थी. असल में इस फिल्म में गणेश जी तो एनीमेशन में बने थे. पर फिल्म के बाकी किरदार कलाकारों द्वारा ही निभाए गए.


यह फिल्म एक ऐसे बच्चे की कहानी से शुरू होती है, जो एक दिन एक चूहे की जान बचाता है. तब उनके घर की नौकरानी बच्चे को गणेश जी और चूहे की कहानी सुनाती है. उसके बाद बच्चे को लगता है गणेश जी उसके साथ, उसके आसपास हैं.


‘माई फ्रेंड गनेशा’ की सफलता को देख इस फिल्म के भी दो और सीक्वेल आ गए, माय फ्रेंड गनेशा-2’ और माई फ्रेंड गनेशा-3’. गणेश जी पर इन दो फिल्मों के तीन तीन सीक्वेल को भी, हम गणेश जी पर इससे पहले बनी पाँच फिल्मों में शामिल कर लें तो कुल जमा 11 फिल्में गणेश जी पर हो जाती हैं. हालांकि मुख्य धारा की फीचर फिल्मों के साथ इन 6 एनीमेशन ड्रामा फिल्मों को जोड़ना न्याय संगत नहीं है. फिर भी उन्हें मिलाने के बाद भी सवाक सिनेमा के करीब करीब 90 बरसों में प्रथम आराध्य गणेश जी पर एक दर्जन फिल्म भी नहीं बनतीं. इससे साफ है कि अन्य देवी देवताओं के मुक़ाबले गणेश जी पर फिल्म बनाने में बॉलीवुड काफी पीछे रहा है.


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(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)