अमेरिका में आखिर क्यों नहीं लग पाती बंदूकों पर लगाम?
तकरीबन 50 साल पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति लिन्डन बेन्स जॉनसन ने कहा था - "अमेरिका में अपराधों में जितने लोगों की जान जाती है, उनमें मुख्य वजह आग्नेयास्त्र (फ़ायरआर्म्स) होते हैं. ये मुख्य तौर पर इन हथियारों को लेकर हमारी संस्कृति के लापरवाही भरे रवैये और उस विरासत का परिणाम है जिसमें हमारे नागरिक हथियारबंद और आत्मनिर्भर रहते आये हैं".
इस बार वहां के फिलाडेल्फिया (Philadelphia) से फायरिंग की खबर आई है. पुलिस के मुताबिक यहां की एक मशहूर सड़क पर शनिवार की रात कई हमलावरों ने भीड़ पर गोलियां (Street) चला दीं, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल हो गए. इस हमले में दो पुरुष और एक महिला की मौत हुई है. इस घटना पर प्रतिक्रिया देने वाले अधिकारियों ने "कई सक्रिय निशानेबाजों (Shooters s) को भीड़ में गोली मारते देखा." जब गोलीबारी शुरु हुई, तब वीकेंड के चलते सैकड़ों लोग वहां की साउथ स्ट्रीट पर एन्जॉय कर रहे थे. पिछले तीन दिनों में गोलीबारी की ये लगातार तीसरी वारदात है.
बंदूक और इस तरह के हथियारों से अमेरिका में गोलीबारी में सामूहिक हत्याओं की ख़बरें अक्सर आती रहती हैं. पिछले महीने 24 मई को टेक्सास के एक स्कूल (Texas School Shooting) में हुई भीषण गोलीबारी की घटना सामने आई थी, जिसमें 19 बच्चों और दो टीचर की मौत हो गई थी. हालांकि हमलावर को पुलिस ने मार गिराया था. आंकड़ों के मुताबिक अकेले इस साल अमेरिका के स्कूलों में गोलीबारी की अब तक 27 घटनाएं हो चुकी हैं. पिछले महीने ही न्यूयॉर्क में सामूहिक गोलीबारी की एक घटना हुई थी, जिसमें 10 लोग मारे गए थे.
ऐसे में अमेरिका में जब भी ऐसी किसी गोलीबारी की ख़बर आती है तो ये सवाल उठने लगता है कि अमेरिका में ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं और उन पर रोक क्यों नहीं लगती? 50 साल पहले अमेरिका में लगभग 9 करोड़ बंदूकें थीं, लेकिन आज ये आंकड़ा कई गुना बढ़ चुका है. इसके साथ ही मारे जाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. अमेरिका में आज कितनी बंदूकें हैं? या फिर दुनिया भर में लोगों के हाथों में कितनी बंदूकें हैं ये बताना कठिन है. मगर स्विट्ज़रलैंड की एक नामी रिसर्च संस्था ने स्मॉल आर्म्स सर्वे नाम के एक अध्ययन में अनुमान लगाया था कि 2018 में दुनिया भर में 39 करोड़ बंदूकें थीं.
वहीं अमेरिका में प्रति 100 नागरिकों के पास 120.5 हथियार हैं, जबकि 2011 में ये आंकड़ा 88 था. दुनिया के किसी भी देश के मुक़ाबले अमेरिका के लोगों के पास सबसे ज़्यादा हथियार हैं. हाल ही में जो आंकड़े आए हैं, उनसे भी ऐसा संकेत मिलता है कि अमेरिका में पिछले कुछ वर्षों में बंदूक रखने वालों की संख्या में भारी इज़ाफ़ा हुआ है. एक रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2019 से अप्रैल 2021 के बीच 75 लाख अमेरिकी नागरिकों ने पहली बार बंदूक खरीदी थी. इसका मतलब ये हुआ कि अमेरिका में और एक करोड़ 10 लाख लोगों के घर में बंदूक आ गई, जिनमें से 50 लाख बच्चे थे. बंदूक ख़रीदने वाले इन लोगों में आधी संख्या औरतों की थी.
पिछले साल एक और रिपोर्ट में बताया गया कि कोरोना महामारी के दौर में बंदूकों की वजह से बच्चों के हाथों गोलीबारी होने की और बच्चों के हताहत होने की घटनाओं में जो वृद्धि हुई है उसका संबंध बंदूकों की बढ़ती ख़रीदारी से है. अमेरिका में बंदूकों से अब तक कितने लोगों की मौत हुई? इसका जवाब तलाशने के लिए जो आंकड़े सामने आए हैं, वो हैरान कर देने वाले हैं. वहां 1968 से 2017 के बीच बंदूकों से लगभग 15 लाख लोगों की जान गई है.पिछले साढ़े चार साल के आंकड़े जोड़ दिए जाने के बाद इस संख्या में और इजाफ़ा ही होगा. बताते हैं कि ये संख्या अमेरिका में 1775 की स्वतंत्रता की लड़ाई के बाद से जितनी भी लड़ाइयां हुई हैं, उनमें हर युद्ध में भी मारे जाने वाले सैनिकों की संख्या से भी ज़्यादा है.
अमेरिका के यूएस सेंटर्स फ़ॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) के अनुसार केवल साल 2020 में ही अमेरिका में 45,000 से ज़्यादा लोग बंदूकों की वजह से मारे गए. इनमें हत्याएं भी शामिल हैं और आत्महत्याएं भी. हालांकि अमेरिका में हुई सामूहिक हत्याओं की चर्चा ज़्यादा होती है, मगर वास्तव में ऊपर जो संख्या है उनमें 24,300 मौतें यानी 54% आत्महत्याएं थीं. यानी लोगों के पास हथियार होने का सीधा व बड़ा संबंध आत्महत्याओं की बढ़ती घटनाओं से भी है.
एक बड़ा सवाल ये है कि आखिर वहां बंदूकों पर लगाम क्यों नहीं लग पा रही है? इसका सीधा जवाब ये है कि ये अमेरिका के लिए एक राजनीतिक मुद्दा है. इसमें एक तरफ़ हथियारों पर रोक लगाने वाले हिमायती हैं तो दूसरी तरफ़ वो लोग हैं जो हथियार रखने के उस हक़ को बचाए रखना चाहते हैं, जो उन्हें अमेरिकी संविधान से मिला है.
बंदूकों पर नियंत्रण के लिए क़ानून में सख़्ती की ज़रूरत को लेकर 2020 में अमेरिका में एक सर्वे हुआ था. इसमें 52% लोगों ने सख्ती का समर्थन किया था, जबकि 35% लोगों का मानना था कि किसी बदलाव की ज़रूरत नहीं है. 11% लोग ऐसे भी थे जिनका मानना था कि अभी जो क़ानून हैं उन्हें और नरम बनाया जाना चाहिए. दरअसल, वहां डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक तो क़ानून को सख़्त किए जाने की हिमायत करते हैं, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी के समर्थक इसके खिलाफ हैं.
असल में अमेरिका में बंदूकों का समर्थन करनेवाली एक बड़ी लॉबी है जिसका नाम है -नेशनल राइफ़ल एसोसिएशन (एनआरए). बताते हैं कि इस लॉबी के पास इतना पैसा है, जिसके ज़रिये वे अमेरिकी संसद के सदस्यों को आसानी से प्रभावित कर लेते हैं. शायद यही वजह है किपिछले कई चुनावों में, एनआरए और उसके जैसे अन्य संगठनों ने बंदूकों पर रोक लगाने वाले गुटों की तुलना में बंदूकों के समर्थन को लेकर कहीं ज़्यादा पैसा ख़र्च किया.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)