कोलंबो टेस्ट मैच चेतेश्वर पुजारा के लिए खास था. उन्होंने अपने इस खास टेस्ट मैच को खास बना भी दिया. अपने करियर के 50वें टेस्ट मैच में चेतेश्वर पुजारा ने शानदार शतक लगाया. पहले दिन का खेल खत्म होने तक चेतेश्वर पुजारा ने नॉट आउट शानदार 128 रन बना लिए हैं. उनके और अजिक्य रहाणे की शतक की बदौलत भारतीय टीम ने पहले दिन स्कोरबोर्ड पर 3 विकेट पर 344 रन जोड़ लिए हैं.
इस स्कोर के साथ ही टेस्ट मैच पर भारत की पकड़ मजबूत होती दिखाई देने लगी है. आपको याद दिला दें कि पिछले टेस्ट मैच में शानदार जीत के साथ भारतीय टीम सीरीज में 1-0 की बढ़त बना चुकी है. भारतीय टीम इसी इरादे से इस टेस्ट मैच में उतरी थी कि उसे यहीं सीरीज पर कब्जा भी कर लेना है. पुजारा और रहाणे की पारियों की बदौलत इन इरादों को मजबूती मिली है. पिछले एक साल में चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाजी के अंदाज में बदलाव साफ दिखाई दे रहा है और इस बदलाव के पीछे है कप्तान विराट कोहली की डांट का असर.
क्या है डांट पड़ने की कहानी
चेतेश्वर पुजारा के ‘क्लास’ पर अब किसी को शक नहीं है. इस बात में कोई दो राय नहीं है कि राहुल द्रविड़ के संन्यास के बाद चेतेश्वर पुजारा ने नंबर-3 की जगह पर भरोसेमंद प्रदर्शन किया है. उनकी बल्लेबाजी में संयम दिखाई देता है जो नींव रखने के लिए जरूरी है. लेकिन करीब एक साल पहले यही संयम जब जरूरत से ज्यादा हो गया तो उन्हें विराट कोहली से कड़े शब्द सुनने पड़े थे. यहां तक कि उन्हें टीम से बाहर भी बिठाया गया था.
पिछले साल की बात है. भारतीय टीम वेस्टइंडीज के दौरे पर थी. भारतीय टीम सेंटपीटर्स में खेल रही थी. उस टेस्ट मैच की पहली पारी में चेतेश्वर पुजारा ने 67 गेंद पर 16 रन बनाए थे. ये वही टेस्ट मैच है जिसमें विराट कोहली ने दोहरा शतक लगाया था और आर अश्विन ने शतक लगाया था. जिसकी बदौलत भारतीय टीम एक पारी और 92 रन से जीती थी. 67 गेंद पर सिर्फ 16 रन की पारी विराट कोहली को अखर रही थी लेकिन चूंकि टीम जीत गई तो विराट कोहली ने उस बात को नजरअंदाज कर दिया.
अगला टेस्ट मैच किंग्सटन में था. इस टेस्ट मैच में पुजारा ने 159 गेंद खेलकर सिर्फ 46 रन बनाए. ये टेस्ट मैच वेस्टइंडीज ने ड्रॉ करा लिया था. वो भी तब जबकि पहली पारी में भारतीय गेंदबाजों ने वेस्टइंडीज के 200 रनों के भीतर ही समेट दिया था और स्कोरबोर्ड पर करीब पांच सौ रन भी जोड़ दिए थे. इस टेस्ट मैच के ड्रॉ होने के बाद विराट कोहली इस बात को पचाने के लिए तैयार ही नहीं थे कि कोई बल्लेबाज इतनी धीमी बल्लेबाजी भी कर सकता है.
इतनी धीमी बल्लेबाजी एक ही सूरत में पचाई जा सकती थी कि दूसरे छोर पर लगातार विकेट गिर रहे हों या फिर आपको मुश्किल परिस्थिति में टेस्ट मैच को ड्रॉ कराना है. इन दोनों ही टेस्ट मैच में ऐसा कुछ भी नहीं था. बल्कि दूसरे टेस्ट मैच के ड्रॉ होने में एक वजह पुजारा की धीमी बल्लेबाजी भी मानी जा सकती है. सीरीज के तीसरे टेस्ट मैच में चेतेश्वर पुजारा प्लेइंग 11 में नहीं थे. विराट ने खुले शब्दों में पुजारा को इस बात के लिए डांट लगाई थी कि दबाव झेलने के साथ साथ उन्हें रन भी बनाने होंगे.
पुजारा को भी समझ आ गई बात
चेतेश्वर पुजारा को भी ये बात जल्दी ही समझ आ गई कि आखिर कप्तान और कोच उनसे क्यों नाराज हैं. इसके बाद उन्होंने अपने ‘रनरेट’ पर तुरंत मेहनत करना शुरू किया. उन्होंने घरेलू क्रिकेट में बेहतर स्ट्राइक रेट के साथ बल्लेबाजी की. एक बार फिर उन्हें टीम इंडिया में जगह मिली. पिछले एक साल में चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाजी में आया फर्क साफ देखा जा सकता है.
128 रनों की उनकी पारी में 10 चौके और 1 छक्का भी शामिल है. उनका स्ट्राइक रेट 57 के करीब है. कोच और कप्तान की नसीहत का फर्क ये भी पड़ा है कि चेतेश्वर पुजारा ने 1 अगस्त 2016 के बाद से अब तक खेले गए 16 टेस्ट मैचों में सोलह सौ से ज्यादा रन बनाए हैं. उनकी औसत 70 से ज्यादा की है. जो इससे पहले के उनके करियर से करीब 17 रन ज्यादा है. उनकी हालिया पारियां इस बात को दर्शाती हैं कि क्रीज पर खड़े रहने की बजाए उन्होंने रन बटोरने पर कितनी मेहनत की है.