पाकिस्तान इस वक्त कंगाली के हाल से गुजर रहा है. ये देश आज अराजकता की स्थिति की तरफ बढ़ रहा है. हालांकि, एक सच ये भी है कि उसके दोस्त मदद के लिए सामने आ रहे हैं. तुर्की के पास तो पैसा नहीं है, वे खुद ही परेशान है. उनकी खुद की भी मजबूरी है और वे खुद परेशान है. अभी तक जितना भी बेलआउट किया है, वो पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने किया है. चीन का पैसे देने का अपना एक स्टाइल है. उसका ब्याज बहुत ज्यादा है, वो सब बढ़ता जा रहा है, जो ये चुका नहीं पा रहे हैं. ये भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है.


इतने मेगा प्रोजेक्ट्स जो चीन ने लगाए हैं, चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के नाम पर, उन प्रोजेक्ट्स से ये उम्मीद थी की इस्लामाबाद में काफी नई नौकरियां आएंगी.  पाकिस्तान के सामने दुनियाभर की बातें की गई थी. लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. उन प्रोजेक्ट्स का फायदा केवल चीन को ही हो रहा है.



बिना सोचे-समझे पाक ने चीन से लिए पैसे


बिजली इतनी महंगी बन रही है उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते. वो भी चीन चली जाती है. ग्वादर पोर्ट से जो सामान जाएगा, उसके लिए जो सड़कें बनी हैं या बन रही हैं, उसका पाकिस्तान को काफी कम फायदा हो रहा है.


इसके अलावा, दक्षिण का विकास कैसे होगा जब बिजली की कीमत इतनी ज्यादा होगी. ये सारी समस्याएं हैं. बगैर सोचे-समझे इन लोगों ने वहां से पैसा ले लिया है. ऐसी स्थिति में सिर्फ शाहबाज की सरकार ही नहीं बल्कि अगर इमरान खान की सरकार भी होती तो वे भी कुछ नहीं कर पाते. इमरान खान फेल प्राइमिनिस्टर थे. जब उन्होंने देखा कि गद्दी जा रही है तो उन्हें भारत से दोस्ती की बात की. अमेरिका की आलोचना की. लेकिन जब तक वो गद्दी पर बैठे रहे, उन्होंने कुछ भी नहीं किया.


पाकिस्तान को कृषि से थोड़ा बहुत पैसा मिल जाता था. लेकिन पानी का सैलाब आने के चलते एग्रीकल्चर के सामने संकट आ गया है. एक तिहाई पाकिस्तान डूब गया है. लाखों लोगों के पास मकान नहीं है और वे खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं. प्लास्टिक के टेंट बनाकर रह रहे हैं. 30 बिलियन डॉलर इनको जमीन ठीक करने और लाखों लोगों के रिहैबिलिटेशन के लिए चाहिए. केवल 9 बिलियन डॉलर मिलने का वायदा हुआ है, वो भी पता नहीं कब आएगा. इसलिए काफी खराब स्थिति है. डर ये रहता है कि कहीं अराजकता न फैल जाए. आतंकी समूह इस  स्थिति का फायदा उठाने में लगे रहते हैं.


पॉलिटिकल लीडरशिप फेल


एक तो पॉलिटिकल लीडरशिप फेल है, उसका कोई असर नहीं है, न ही कोई सम्मान है. ये लोग भ्रष्टाचार में संलिप्त है, वो चाहे बात खुद वहां के पीएम शाहबाज शरीफ की करें या फिर उनके बड़े भाई नवाज शरीफ की. 


दूसरी बात ये हैं कि अर्थव्यवस्था की जो हालत है, उसकी कोई रिकवरी प्लान भी नहीं है. प्लान बनाना भी आसान काम नहीं है. वर्ल्ड बैंक से इन्हें पैसा चाहिए, खासतौर से आईएमएफ से. अगर आईएमएफ लोन देगा तो फिर सऊदी और यूएई अन्य देश भी कह रहे हैं कि वे भी लोन दे देंगे.


पाकिस्तान को उम्मीद है कि किसी तरह से दोबारा उनके पास पैसे आने लगे. जो लोग विदेशों में काम कर रहे हैं, उनसे पैसे आएं. वो चाहे सऊदी अरब हो या फिर अरब देश. उस पर बहुत उम्मीद है. लेकिन इस तरह से काम नहीं चलता है. 


मुल्क चलता है इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट से. रोजगार का जो सृजन करें. नहीं तो पैसा आया और खा गए. इतनी बार वर्ल्ड बैंक से लोन ले चुके हैं. आईएमएफ से लोन ले चुके हैं. कोई बाहर का निवेशक आने को तैयार नहीं है. जब मस्जिद में बम फटेगा तो फिर वहां पर कौन आएगा और कौन निवेश करेगा.


[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]