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'किसी को नहीं बताया', क्यों नहीं लड़ेंगे अब लोकसभा-विधानसभा चुनाव? शकील अहमद के फैसले के पीछे ये है बड़ी वजह

मैंने यह फैसला किया है कि अब आगे से विधानसभा का या फिर लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ूंगा. मैं तीन बार विधानसभा का सदस्य रहा हूं और लोकसभा का भी दो बार सदस्य रहा हूं. इसलिए मैंने दोनों के बारे में कहा है. कांग्रेस की वजह से ही मुझे मान-सम्मान और प्रतिष्ठा मिली. लोगों के लिए काम करने का अवसर मिल पाया. कांग्रेस बिहार के अंदर गठबंधन में चुनाव लड़ती है. पिछले कुछ दिनों यानी 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कंट्रोवर्सी हो गई थी, उसके बाद मैं निर्दलीय चुनाव लड़ गया था. 

लेकिन, जितना मुझे सांसद और मंत्री रहते वोट आया था, उसके कहीं ज्यादा निर्दलीय चुनाव लड़ने पर वोट आया था. इसकी वजह लोगों का स्नेह और प्रेम था. लेकिन, एक फैसला दिल में हुआ. कांग्रेस मजबूत होगी, सब मिलकर लड़ेंगे. इसमें मेरी मौजूदगी कोई बाधक न हो, इसलिए मैंने अपने आपको चुनावी राजनीति से अलग कर लिया है. 

जीवनभर रहूंगा कांग्रेस का समर्थक

मैं जीवनभर कांग्रेस का समर्थक रहूंगा. किसी दूसरी पार्टी में जीवनभर नहीं जाऊँगा. किसी दूसरी पार्टी से चुनाव नहीं लड़ूंगा. मेरा पुराना संबंध है. मेरे दादा स्वतंत्रता सेनानी भी थे और 1937 से पहले के चुनाव में वह विधायक भी हुए थे. उस समय अलग-अलग होता था, मुस्लिम को सिर्फ मुस्लिम ही वोट देते थे. मेरे दादा केवल मुस्लिम वोटों से मुस्लिम लीग को हरा कर कांग्रेस के विधायक हुए. 

मेरे पिता पांच बार बिहार विधानसभा के सदस्य थे. दो बार वो अकेले आदमी अभी तक हैं, जो दो बार बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष रहे. उस जमाने में चीफ व्हीप पार्टी का चुनाव इलेक्शन से होता था, वे चुनाव जीते थे और अलग-अलग पदों पर थे. उसके बाद मैं पांच बार विधायक और सांसद रहा. अपनी पार्टी का जनरल सेक्रेटरी रहा. बिहार सरकार में मंत्री रहा. बिहार में कांग्रेस का प्रसिडेंट रहा. करीब12 साल तक अपनी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता और सीनियर प्रवक्ता था. 

ये सब ऊपरवाले की मेहरबानी, पूर्वजों का नाम और पार्टी का सहयोग... मुझे लगा कि बहुत हुआ. पार्टी से बहुत मिला. पिछली बार कुछ कन्फ्यूजन था इसलिए जो कुछ भी हुआ. लेकिन हम लगातार काम कर रहे हैं. अभी भी पार्टी ने बिहार को लेकर जो पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी बनाई है, उसमें मीरा कुमार, तारीक अनवर, मैं और दो-तीन और सीनियर लोग हैं. जाहिर है कि ये सबकुछ पार्टी की वजह से हुआ है. 

मेरे फैसले की जानकारी किसी कांग्रेस नेता को नहीं

मेरे फैसले से मिथिलांचल के लोगों में काफी नाराजगी है. मैंने किसी को नहीं बताया. मुझे पता था कि अगर मैं बताकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा तो मुझे ये ऐलान नहीं करने दिया जाएगा. अपनी जिंदगी में ऐसा पहली बार किया जब अपने दस्तखत से प्रेस के लोगों को निमंत्रण भेजा. नहीं तो इससे पहले किसी से कह देता था कि प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा, और सारा इंतजाम हो जाता था. लेकिन मुझे पता था कि कांग्रेस के लोग जान जाएँगे और वे ऐसा नहीं करने देंगे, क्योंकि उनका मेरे प्रति ऐसा स्नेह है.

16 अप्रैल को चुपचाप मैं पटना से गया और एक होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस ऑर्गेनाइज कराई थी. मैंने एलान और वहीं से वापस आ गया. इस फैसले की जानकारी किसी कांग्रेस नेता को नहीं दी. इसलिए उन्हें नहीं बताया क्योंकि मैं जानता था कि वो काफी इमोशनल हो जाएंगे और मुझ पर दबाव डालेंगे कि मैं ऐसा नहीं एलान करूं. लेकिन मैंने मन बना लिया था. 

पार्टी अध्यक्ष को पत्र पहले भिजवाया

पार्टी अध्यक्ष मल्लकार्जुन खरगे जी को अपने फैसले के बारे में पत्र लिखकर पहले भिजवा दिया था. इसलिए अब मेरे इस फैसले के बदलने का कोई सवाल नहीं है. वैसे अपने स्तर पर बिहार में जो मीटिंग होती है, दूसरे राज्यों में भी माइनरिटी अफेयर्स को लेकर जो बैठक बुलाई जाती है, हमलोगों की ये जिम्मेदारी है कि उनके साथ खड़े हो. हम उनके साथ खड़े हैं और उनके दुख-सुख में साथ रहेंगे. 

चुनाव नहीं लडऩे का मतलब ये नहीं है कि हम उनके साथ खड़े नहीं हैं. मेरे पास अगर तजुर्बा है तो हम ये बताएँगे कि क्या कीजिए जो आपके लिए सही है और क्या नहीं कीजिए जो आपके लिए, समाज के लिए और मुल्क के लिए, देश के लिए हानिकारक हो. एनएसयूआई के लड़के अक्सर मुझे ले जाते हैं, तो मैं अक्सर उनसे कहता हूं कि मैं भाषण कम दूंगा. बहुत से तुम्हारे मन के अंदर सवाल है, अगर मैं कांग्रेस का लीडर हूं, तो आप मुझसे सवाल पूछो कि इस मामले में क्या करना चाहिए. हम अपना ये काम करते रहेंगे.  

हमारे जिला की आबादी 24-25 लाख हैं, यहां पर 2 लोकसभा और 10 विधानसभा की सीटें है. इन्हीं लोगों को मिलेगा, बाकियों को क्या मिलेगा? इसलिए बाकी लोग समाज के अंदर काम करते हैं. कांग्रेस के तो हजारों वर्कर्स हैं. कांग्रेस के एमपी-एमएलए तो इधर उधर जाते रहते हैं, लेकिन जब मैं पिछले बार जब चुनाव लड़ा तो 95 प्रतिशत से ज्यादा कांग्रेस के लोगों ने मेरी मदद की. उन्हें लगता था कि कांग्रेस के साथ ठीक नहीं हुआ है. जाहिर हैं हम कांग्रेस कैडर्स के साथ हम अपना काम करते रहेंगे.

[ये आलेख निजी विचारों पर आधारित है.]

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