पाई-पाई को मोहताज हो चुका और दुनिया के कई देशों से कर्ज़ की भीख मांग रहे पाकिस्तान में इन दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. भाषण तो साल 2019 का है लेकिन तब मोदी ने पाकिस्तान के लिए जो कुछ कहा था, उसकी हक़ीक़त आज दुनिया के सामने है. लिहाजा, आतंकवाद की खेती करने वाले पाकिस्तान की अवाम अब अपने हुक्मरानों से कह रही है कि अगर मुल्क को दिवालिया होने से बचाना है, तो भारत के साथ फौरन कारोबारी रिश्तों की शुरुआत की जाए.


हालांकि पाकिस्तान अगर इसकी पहल करता भी है, तब भी ये उतना आसान इसलिए नहीं है क्योंकि भारत की पहली शर्त ही ये है कि वह पहले अपने यहां से आतंकवाद का खात्मा करे और आतंकियों को पालना-पोसना बंद करे. इसलिये पाकिस्तान के हुक्मरानों को कटोरा लेकर कर्ज़ की भीख मांगने के सिवा कोई और दूसरा रास्ता ही नहीं सूझ रहा है. दरअसल, पाकिस्तान के सोशल मीडिया में नरेंद्र मोदी का जो वीडियो वायरल हो रहा है, वह 2019 के चुनाव के दौरान राजस्थान के बाड़मेर की एक जनसभा में दिए भाषण का अंश है. इसमें मोदी कह रहे हैं, ''भाइयों-बहनों, हमने पाकिस्तान की सारी हेकड़ी निकाल दी. उसे कटोरा लेकर दुनिया भर में घूमने के लिए हमने मजबूर कर दिया है.''


पाकिस्तान में पत्रकारों के अलावा मुख्य विपक्षी इमरान खान की पार्टी के नेता भी इसे शेयर करते हुए प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं. कमरतोड़ महंगाई और भुखमरी की कगार तक आ पहुंचे मुल्क की इस हालत के लिए वे शरीफ सरकार को ही दोषी ठहरा रहे हैं. पाकिस्तानी पत्रकार इरशाद भाटी ने मोदी के भाषण वाले वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है, ''जब दुश्मन मज़ाक उड़ाए और आदर न दे तो ज़िंदा रहने से ज़्यादा अच्छा मर जाना होता है.''


जबकि पाकिस्तानी सांसद और इमरान ख़ान की पार्टी के नेता आज़म ख़ान स्वाती ने पीएम मोदी के इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है, ''देखिए भारत के प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान के बारे में क्या कह रहे हैं. अगर थोड़ी भी इज़्ज़त नहीं बची है तो कोई बात नहीं. पाकिस्तान को बचाने का एक ही उपाय है, इमरान ख़ान को वापस लाना.'' हालांकि जिस वक्त मोदी ने ये भाषण दिया था,तब पाकिस्तान की हुकूमत इमरान खान के हाथ में थी. यानी सऊदी अरब और चीन समेत दुनिया के अन्य देशों से कटोरा लेकर कर्ज़ मांगने की शुरुआत साल 2019 में ही हो चुकी थी.


तबसे लेकर अब तक पाकिस्तान की हालत ये हो गई है कि वह पुराना कर्ज़ चुकाने के लिए नया कर्ज़ लेता आ रहा है और उसके दलदल में फंसता चला जा रहा है. जमीनी हक़ीक़त ये है कि पाकिस्तान के हुक्मरान बेशक कश्मीर का राग अलापते रहें और आतंकियों को पालते रहें लेकिन वहां के अवाम का एक बड़ा हिस्सा भारत से कारोबारी रिश्ते बनाने और उसे निभाने के लिए बेताब है.


इसलिए मुल्क में कई लोग खुलकर मांग कर रहे हैं कि भारत से कारोबारी रिश्ता बहाल करना चाहिए और इससे बढ़ती महंगाई को काबू में किया जा सकता है. पाकिस्तान में खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बेतहाशा बढ़ने की मुख्य वजह ट्रांसपोर्टेशन लागत, सामान की उपलब्धता, मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ता गैप और एक्सचेंज रेट हैं.


पाकिस्तान ब्यूरो स्टैटिस्टिक्स यानी पीबीएस के डेटा के अनुसार, 20 किलोग्राम के आटे का पैकेट कराची में तीन हज़ार रुपये में मिल रहा है जबकि इस्लामाबाद में 1300 रुपये में. पोर्ट सिटी कराची में गेहूं की पैदावार नहीं होती है और यहां सिंध से गेहूं आता है जो कि आते-आते बहुत महंगा हो जाता है. इस्लामाबाद में प्याज़ 240-280 रुपये किलो मिल रहा है,जबकि बाक़ी शहरों में 180 से 220 रुपए तक.


फ़लाही अंजुमन होलसेल वेजिटेबल मार्केट सुपर हाइवे के अध्यक्ष हाजी शाहजहां ने पाक अखबार डॉन से कहा है कि भारत से प्याज़ समेत कई सब्ज़ियां आयात करने की अनुमति देनी चाहिए. उनके मुताबिक वाघा बॉर्डर से आयात बहुत आसान और सस्ता है. हाजी ने कहा कि भारत की तुलना में दूसरे देशों से आयात करना ट्रांसपोर्ट के कारण काफी महंगा सौदा है. हालांकि पाकिस्तान के लोग यह दलील भी दे रहे हैं कि भारत और चीन में भी तनाव है, लेकिन भारत ने चीन से व्यापार नहीं बंद किया है.


दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर पार कर चुका है.पाकिस्तान के राजनीतिक और रक्षा विश्लेषक शहज़ाद चौधरी ने 13 जनवरी को पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' में एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर का है और इस मामले में भी वह दुनिया भर में चौथे नंबर पर है. जबकिपाकिस्तान के पास अभी महज़ 4.5 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा बची है. पिछले तीन दशकों से भारत की अर्थव्यवस्था चीन के बाद सबसे तेज़ी से बढ़ रही है. इसलिए पाकिस्तान को सब कुछ छोड़कर भारत के साथ दोस्ताना रिश्ते बनाने की पहल करनी चाहिए.


बता दें कि पाकिस्तान पर फिलहाल दुनिया का क़र्ज़ क़रीब 100 अरब डॉलर है और इस वित्तीय वर्ष में उसे 21 अरब डॉलर का क़र्ज़ चुकाना है. अगले तीन सालों तक क़रीब 70 अरब डॉलर का क़र्ज़ पाकिस्तान को चुकाना है. लेकिन आतंकवाद को छोड़े और भारत से दोस्ती किए बगैर ऐसा कर पाना क्या उसके लिए मुमकिन है?


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