मुंबई पुलिस पर राज कर चुके 'भगोड़े' कमिश्नर को सुप्रीम कोर्ट से क्यों नहीं मिली कोई राहत?
देश के सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा अनूठा मामला पहली बार आया है कि जो शख्स कल तक मुंबई पुलिस का सरताज़ था,वो आज गिरफ़्तारी से बचने के लिए कोर्ट के आगे गुहार तो लगा रहा है लेकिन ये बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा कि आख़िर वह है कहाँ,देश में है या फिर विदेश में?अपना पता-ठिकाना बताए बग़ैर ये अजूबी याचिका दायर की है,मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने जिन्हें बुधवार को ही मुंबई की एक अदालत ने 'भगोड़ा आरोपी' घोषित किया है.लिहाज़ा,सर्वोच्च अदालत ने आज उनकी याचिका पर ये कहते सुनवाई करने से साफ़ मना कर दिया कि बाकी सब कुछ बाद में सुनेंगे, पहले अपना ठिकाना बताओ.
ये वही परमबीर सिंह हैं जिन्होंने महाराष्ट्र के तत्कालीन गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की वसूली का आरोप लगाया था जिसके बाद देशमुख को इस्तीफा तो देना ही पड़ा,ईडी ने उन्हें गिरफ्तार भी किया और फिलहाल वे उसकी हिरासत में ही हैं.भगोड़ा घोषित किये जाने के बाद अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए सिंह ने बॉम्बे हाइकोर्ट को बायपास कर दिया और सीधे सर्वोच्च अदालत का दरवाजा इस उम्मीद से खटखटाया कि यहां से तो उन्हें हर सूरत में कुछ राहत तो मिल ही जायेगी.
लेकिन शीर्ष अदालत ने उनके मंसूबों पर पानी फेरते हुए उल्टा सवाल दाग दिया कि जनाब,पहले तो यह बताइए कि आप हैं कहां? भारत में हैं या बाहर? इसके बिना आपकी याचिका नहीं सुनी जा सकती." न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि सुरक्षा देने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गयी है.पीठ ने कहा, ‘‘आप सुरक्षात्मक आदेश देने का अनुरोध कर रहे हैं लेकिन कोई नहीं जानता कि आप कहां हैं. मान लीजिए,आप विदेश में बैठे हैं और पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए कानूनी सहारा ले रहे हैं तो क्या होगा?
अगर ऐसा है,और अदालत यदि आपके पक्ष में फैसला देती है,तो तभी आप भारत आयेंगे. हम नहीं जानते कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है.जब तक हमें यह पता नहीं चल जाता कि आप कहां हैं, तब तक कोई सुरक्षा नहीं, कोई सुनवाई नहीं होगी।’’ कोर्ट ने सुनवाई को सोमवार तक टालते हुए कहा कि आरोपी अब तक जांच में शामिल नहीं हुआ है. वहीं उनके वकीलों को भी नहीं पता कि वह कहां है.ऐसे में कोर्ट की सुनवाई नहीं हो सकती.
किसी भी अदालत के लिए सबसे ज्यादा हैरानी तो इस बात की है कि जिस आईपीएस अफसर पर कल तक मुंबई में कानून लागू कराने का जिम्मा था,उसके खिलाफ वसूली के मामले में ही गैर-जमानती वारंट जारी हो जाये और उसके बावजूद वह हाजिर न हो,तो इसे क्या कहा जाएगा?
लेकिन इससे भी ज्यादा हैरान करने वाली बड़ी बात ये है कि सीना ठोककर देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली का आरोप लगाने वाले परमबीर सिंह ने अब जात खड़े कर दिए हैं.वे कह रहे हैं कि अब मेरे पास देशमुख के खिलाफ कोई और सबूत नहीं है.उनके आरोपों की जांच कर रहे आयोग को परमबीर सिंह ने अपने वकील के जरिये एक हलफनामा भेजा है जिसमे उन्होंने कहा है कि अनिल देशमुख के खिलाफ उनके पास अब और कोई सबूत नहीं है. परमबीर सिंह के वकील ने इस बात की पुष्टि की है कि सिंह ने आयोग के सामने हलफनामा जमा किया है.
उल्लेखनीय है कि बीते मार्च में महाराष्ट्र सरकार ने अनिल देशमुख के खिलाफ परमबीर सिंह के आरोपों की जांच के लिए रिटायर्ड जज कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल के एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था. चांदीवाल आयोग ने पूछताछ और जांच के लिए परमबीर सिंह को कई समन भिजवाए. परमबीर सिंह हाजिर नहीं हुए. आयोग ने फिर उनके खिलाफ एक जमानती वारंट भी जारी किया. आयोग ने पेश नहीं होने की वजह से परमबीर सिंह पर तीन बार जुर्माना लगाया. लेकिन परमबीर सिंह तब भी नहीं आए.
सरकारी वकील शिशिर हीरे के मुताबिक परमबीर सिंह ने इसमें कहा है कि उन्होंने शुरू में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जो पत्र भेजा था, उसके अलावा उनके पास अनिल देशमुख के खिलाफ कोई और सबूत नहीं है. परमबीर सिंह ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि वे बहस और पूछताछ के लिए भी तैयार नहीं हैं.बता दें कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेजे पत्र के साथ परमबीर सिंह ने कुछ वाट्सअप चैट शेयर किए थे. उन चैट्स में पुलिस अधिकारियों द्वारा परमबीर सिंह को यह बताया गया था कि सचिन वाजे सहित उन्हें सीधे अनिल देशमुख से 100 करोड़ की वसूली का टारगेट दिया गया है.
इस बीच बता दें कि परमबीर सिंह के खिलाफ मुंबई और ठाणे के पुलिस स्टेशनों में दर्ज वसूली के अलग-अलग मामलों में दो गैर जमानती वारंट जारी किए गए हैं. ये अरेस्ट वारंट पिछले हफ्ते जारी किए गए हैं. लेकिन परमबीरअब भी लापता हैं. उनके बारे में पिछले दिनों कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने दावा किया था कि वे बेल्जियम भाग गए हैं.
उधर,एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पूरे मामले को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा है कि "परमबीर सिंह तो बगैर किसी सबूत के आरोप लगाकर फरार है लेकिन उसी आधार पर अनिल देशमुख को केंद्रीय जांच एजेंसी ईडी ने गिरफ्तार कर रखा है.हम अनिल देशमुख का हिसाब किताब बीजेपी से लेंगे.परमबीर के पास अगर कोई सबूत है तो उन्हें साबित करने के लिए वे आगे क्यों नहीं आ रहे हैं. आपने (भाजपा ने) अनिल देशमुख को जेल में डाल दिया, आपने उनके साथ जो कुछ भी किया, उसकी कीमत आपको चुकानी पड़ेगी."
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