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जनता से जुड़ने के लिए ममता बनर्जी को आखिर क्यों लेना पड़ा 'जिंगल' का सहारा ?

भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार की छवि चमकाने के लिए पार्टी ने एक नया प्रयोग शुरु किया है. बंगाल के वोटरों से सीधे जुड़ने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को लेकर एक जिंगल तैयार किया है,जिसे दीदी के सुरक्षा कवच का नाम दिया गया है. सवाल उठ रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले ममता को ये कवायद क्या इसलिये करनी पड़ी है की उनकी लोकप्रियता कम हो रही है? हालांकि तृणमूल कांग्रेस के बारे में एक आम धारणा ये बनती जा रही है कि वह कमीशन लेकर काम करने-करवाने वाली पार्टी बनती जा रही है.लिहाज़ा,सियासी गलियारों में दीदी के सुरक्षा तंत्र से जुड़े इस जिंगल को पार्टी को मजबूत करने का एक सकारात्मक और कारगर औजार बताया जा रहा है. लोगों के प्रति ममता की उदारता का बखान करने वाले इस जिंगल को हाल ही में पार्टी की यूथ विंग,स्टूडेंट विंग और सोशल मीडिया सेल द्वारा संयुक्त रुप से जारी किया गया है.

बंगाली भाषा में पैरोडी की तर्ज़ पर तैयार किये गए इस जिंगल की पहली दो पंक्तियों से ही पता लग जाता है कि ममता की छवि चमकाते हुए लोगों को पार्टी के साथ जोड़ने की ये गंभीर कोशिश तो है लेकिन ये कितना रंग लाती है,यह तो आने वाले दिनों में ही देखने को मिलेगा.पहली दो लाइन का अर्थ है -"बेहतर कल के लिए दीदी जब एक नए प्रकाश की तरह चमकती है,तो दीदी के सुरक्षा-ताबीज से हर कोई खुद को सुरक्षित समझता है." जाहिर है कि इसमें ममता सरकार द्वारा विभिन्न वर्गों के लिए बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं का ही बखान किया गया है.तृणमूल की यूथ विंग के अध्यक्ष सायोनी घोष के मुताबिक ये जिंगल एक तरह से लोगों को याद दिलाने के लिए है कि ममता सरकार ने समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए कितनी सारी योजनाओं की सौगात दी है और उसका फायदा प्रदेश के कितने सारे लोगों को मिल रहा है,फिर चाहे वह छोटी बच्चियों को पालने की बात हो या बुजुर्गों को सहारा देने का विषय हो.

ममता सरकार की सबसे मशहूर हो चुकी दो योजनाओं- "सरकार,आपके द्वार" और "हर समस्या का समाधान आपके पड़ोस में" को इस जिंगल में खासतौर से हाई लाइट किया गया है.लेकिन टीएमसी ने ममता की इमेज चमकाने के लिए पिछले 50 साल से लग रहे कोलकाता पुस्तक मेले को भी इस बार प्रचार के लिए इस्तेमाल करने का मौका हाथ से नहीं जाने दिया.मेला स्थल और उसके आसपास के इलाके को ममता की मुस्कान भरी तस्वीरों वाले पोस्टरों व होर्डिंग से पेट दिया गया है,जिसमें वे आगंतुकों का स्वागत करती नजर आ रही हैं.लेकिन लोगों से सीधे जुड़ने के तृणमूल के इस जन संपर्क अभियान की शुरुआती प्रतिक्रिया कोई खास अच्छी देखने को नहीं मिली है और प्रदेश के विभिन्न इलाकों में तृणमूल के नेताओं को लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ा है.

ममता सरकार के सुरक्षा कवच का प्रचार करने गए राज्य के ताकतवर कहलाने वाले वन मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक और पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष को स्थानीय लोगों ने घेर लिया और सरकार की योजनाओं का फायदा न मिलने को लेकर जमकर नाराजगी जताई.बीजेपी के प्रभाव वाले उत्तरी बंगाल के कई जिलों में तृणमूल के सांसदों को भी लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा है.बीरभूम जिले में पार्टी सांसद शताब्दी राय को घेरकर उनके साथ धक्का मुक्की भी की गई. ये सच है कि 2011 के बाद से ही बंगाल में ममता का कोई विकल्प नहीं था लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी जो ताकत बनकर उभरी है,उसने ममता के मजबूत सियासी किले को तोड़ने की शुरुआत कर दी है.इसलिये सवाल उठ रहा है कि फाइटर दीदी क्या बीजेपी की ताकत से इतना परेशान हो उठी हैं कि उन्हें जनता से जुड़ने के लिए अब नये-नये प्रयोग का सहारा लेना पड़ रहा है?

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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