एक्सप्लोरर

धार्मिक आजादी: अमेरिका ने भारत को अपनी 'रेड लिस्ट' में क्यों नहीं रखा?

"इस शहर में जीने के अंदाज़ निराले हैं,

होठों पर लतीफे हैं, आवाज में छाले हैं."

अपनी कलम से ऐसी उम्दा हक़ीक़त बयान करने वाले मशहूर गीतकार व राज्यसभा के सदस्य रह चुके जावेद अख्तर ने कुछ बरस पहले भारत में मिली धार्मिक आज़ादी को लेकर ये कहा था कि "जो मुसलमान भारत को तबाह करना चाहते हैं, वह बस एक बार पाकिस्तान घूम कर आ जाये, वापस आने के बाद वह इस देश की मिट्टी को चूमने लगेंगे." लेकिन उन्हीं  जावेद साहब को तकरीबन ढाई महीने पहले अचानक न जाने क्या हुआ कि उन्हें इसी हिंदुस्तान में तालिबान की परछाई नज़र आने लगी. उन्होंने एक टीवी शो की बहस में आरएसएस और अन्य हिंदू संगठनों की तुलना तालिबान से कर डाली थी. हालांकि चौतरफा  आलोचना होने के बाद उन्हें अपनी सफाई देनी पड़ी थी,वो भी शिव सेना के मुखपत्र 'सामना' में अपना लेख लिखकर. लेकिन अमेरिका के एक ताजा फैसले के बाद जावेद अख्तर से लेकर उन तमाम ताकतों को बेहद करारा झटका लगेगा, जिन्होंने सेकुलरिज्म का मुखौटा ओढ़ रखा है और जो इसकी आड़ में और भी बहुत कुछ कर रही हैं. दरअसल, अमेरिकी सरकार ने अपने ही एक अहम आयोग की सिफारिश को ठुकराते हुए भारत को उस लिस्ट में डालने से इनकार कर दिया है, जहां धार्मिक आज़ादी का सर्वाधिक उल्लंघन हो रहा है. इसे अमेरिका की तरफ से मोदी सरकार को मिले एक तमगे के रुप में भी देखा जा सकता है.

दुनिया के कई देशों में नागरिको की धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन के मामलों को देखते हुए अमेरिका ने 10 देशों को विशेष चिंता वाली सूची में डाल दिया है लेकिन इसमें भारत का नाम नहीं है.  इस लिस्ट में पाकिस्तान, चीन, बर्मा, रूस, सऊदी अरब जैसे देश शामिल हैं,जिन पर धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन में लिप्त होने या इसे सहने का आरोप हैं. इस मामले में अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बयान भी जारी किया है,जो इसकी तस्दीक करता है कि भारत में आज भी अल्पसंख्यकों की धार्मिक आज़ादी बरकरार है.

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने बताया कि बाइडन प्रशासन प्रत्येक व्यक्ति के धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के अधिकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है. इस श्रेणी में मानवाधिकार के उल्लंघन, दुर्व्यवहारियों का सामना करने और उनसे जूझने वालों को भी रखा गया है. उन्होंने कहा, 'मैं बर्मा, चीन, इरिट्रिया, ईरान, द डीपीआरके, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को विशेष रूप से चिंता वाले देशों के रूप में नामित कर रहा हूं.  इन सभी देशों में धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हो रहा है और लोगों को प्रताड़ना का सामना करना पड़ रहा है.

हालांकि ब्लिंकन ने साथ ही ये भी खुलासा किया है कि अमेरिका ने अल्जीरिया, कोमोरोस, क्यूबा और निकारागुआ आदि देशों को स्पेशल वॉच लिस्ट में रखा है. दरअसल, इन देशों की सरकारें भी धार्मिक आजादी के गंभीर उल्लंघन होने और उसे सहने के मामलों में लिप्त हैं. उन्होंने कहा कि धार्मिक आजादी इस वक्त पूरी दुनिया के लिए चुनौती है, जिसका उल्लंघन लगातार बढ़ता जा रहा है. लेकिन खास निगरानी रखने वाले देशों में भी भारत का नाम न होने का मतलब यही निकाला जाएगा कि अमेरिका इस तथ्य से संतुष्ट है कि फिलहाल भारत में लोगों की धार्मिक आजादी छीनने जैसी कोई बात नहीं है. हो सकता है कि इसकी कुछ और भी वजह हो लेकिन विदेशी मामलों से जुड़े विशेषज्ञों की निगाह में ये भारत की एक कूटनीतिक जीत है और साथ ही ये इसका प्रमाण भी है कि मोदी सरकार लोगों की धार्मिक आज़ादी में न तो कोई दखल दे रही है और न ही इसमें कोई भेदभाव कर रही है.

दरअसल,अमेरिका का एक आयोग हर साल दुनिया के तमाम देशों में धार्मिक आज़ादी का आकलन करता है और फिर अमेरिकी प्रशासन को सिफारिश करता है कि किन देशों को उसे रेड लिस्ट में डालना चाहिए. इस आयोग का नाम है-  'यूएस कमिशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम' (USCIRF). इसने बीते अप्रैल में लातागार दूसरे साल अमेरिकी प्रशासन को ये सुझाव दिया था कि साल 2020 में सबसे ज्यादा धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने के कारण भारत को 'कंट्रीज़ ऑफ़ पर्टीकुलर कंसर्न' यानी सीपीसी की सूची में डाला जाना चाहिए. उसके बाद इसी महीने की शुरुआत में इस आयोग ने फिर से ये सिफारिश की थी कि अमेरिकी विदेश विभाग को भारत सहित चार और देशों को अपनी रेड लिस्ट या विशेष चिंता वाले देशों (सीपीसी) पर रखना चाहिए. इस पर भारत की ओर से इस कड़ा एतराज जताया गया और कहा गया है कि उसे भारत और उसके संविधान की उतनी समझ नहीं है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ताओं ने तब भी यही कहा था कि हालांकि  USCIRF निष्पक्ष है लेकिन जहां तक भारत का संबंध है, तो उसे भारत और उसके संविधान की सीमित समझ है. लेकिन उस समय भी अमेरिकी विदेश मंत्री ने आयोग की सिफारिशों पर अपनी कोई  प्रतिक्रिया नहीं दी थी. गौरतलब है कि  पिछले साल, विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भी भारत को सीपीसी के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए USCIRF की सिफारिश को ये कहते हुए ठुकरा दिया था कि भारत आर्थिक और सैन्य क्षेत्र में कहीं अधिक महत्वपूर्ण है.

उल्लेखनीय है कि जावेद अख्तर ने बीते 3 सितंबर को एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा था कि "जैसे तालिबान एक इस्लामिक स्टेट चाहता है, वैसे ही जो लोग हिंदू राष्ट्र चाहते हैं वे भी एक समान मानसिकता रखते हैं. भले ही वे मुसलमान हो, ईसाई हो, यहूदी हो या फिर हिंदू.  तालिबान बेशक बर्बर है, उनकी हरकते बेहद शर्मनाक हैं लेकिन राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल को समर्थन करने वाले लोग भी उसी मानसिकता के हैं. "

इस इंटरव्यू के बाद जावेद अख्तर को खूब किरकिरी का सामना करना पड़ा था.  उसके कुछ दिन बाद उन्होंने सामना में लिखे एक लेख में अपनी सफाई देते हुए कहा था कि- "हाल ही मैंने अपने एक साक्षात्कार में कहा था कि पूरी दुनिया में सबसे सहिष्णु हिंदू बहुसंख्यक हैं.  मैंने कई बार कहा है कि भारत कभी अफगानिस्तान नहीं बन सकता है.  क्योकि भारतीय स्वभाविक रूप से कट्टरपंथी नहीं है.  उदार होना उनके डीएनए में है." लेकिन इससे पहले पिछले साल अप्रैल में भी धार्मिक आजादी के मुद्दे पर ही जावेद अख्तर की पाकिस्तानी मूल के लेखक तारिक फतेह के साथ ट्वीटर पर खूब जंग छिड़ी थी. तब जावेद अख्तर के एक ट्वीट पर पलटवार करते हुए तारिक फतेह ने लिखा था, "जावेद साहब,आपने साबित कर दिया कि खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले और उर्दू बोलने वाले अधिकांश मुसलमानों की त्वचा के नीचे हिंदुओं से नफरत करने वाला एक इस्लामिस्ट रहता है.  जिस तरीके से जिन्ना और ‘सारे जहां से अच्छा’ फेम इकबाल जिहादी बन गए, अब उसी तरह आपका नाम भी हिंदुओं से घृणा करने वाली हाल ऑफ फेम की लिस्ट में शामिल किया जाएगा… मुबारक हो कामरेड."

नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Delhi Railway Station Stampede: एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
SME IPO News: शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
ABP Premium

वीडियोज

USA में Health Aid को लेकर क्यों हो रही है Problems? | Health LiveNew Delhi Railway Station Stampede: स्टेशन पर भगदड़ का कसूरवार कौन? कैसे मची भगदड़? | ABP NEWSNew Delhi Railway Station Stampede: फेल क्राउड मैनेजमेंट...प्लेटफॉर्म बदलने का अनाउंसमेंट? | ABP NEWSNew Delhi Railway Station Stampede: पिछले हादसों से क्यों सबक नहीं लेता रेल मंत्रालय? | Breaking | ABP NEWS

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Delhi Railway Station Stampede: एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
एक दौर था, जब हादसा होते ही रेल मंत्री दे देते थे इस्तीफा! नई दिल्ली रेलवे स्टेशन भगदड़ पर क्या बोले इमरान प्रतापगढ़ी?
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'कुंभ में जाकर चुपके से डुबकी लगाई', सपा चीफ अखिलेश यादव पर जमकर बरसे योगी के मंत्री
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनी इन फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर छापे खूब नोट, अब ओटीटी पर यहां हो रहीं स्ट्रीम
'छावा' से पहले राजा-महाराजाओं पर बनीं ये हिट फिल्में, OTT पर देखें
SME IPO News: शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
शेयर मार्केट के लिए खास है आने वाला सप्ताह, खुलने जा रह हैं 2 बड़े SME IPO
क्या शहरों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ? जान लें काम की बात
क्या शहरों में रहने वाले लोग भी उठा सकते हैं प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का लाभ? जान लें काम की बात
IPL 2025 DC Schedule: 25 मार्च को गुजरात टाइटंस से दिल्ली कैपिटल्स का पहला मैच, जानें DC का फुल शेड्यूल
25 मार्च को गुजरात टाइटंस से दिल्ली कैपिटल्स का पहला मैच, जानें DC का फुल शेड्यूल
Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर क्यों करते हैं पंचक्रोशी परिक्रमा? श्रीराम ने की थी शुरूआत
महाशिवरात्रि पर क्यों करते हैं पंचक्रोशी परिक्रमा? श्रीराम ने की थी शुरूआत
कोरोना जैसी महामारी का खतरा बढ़ा रहीं ये आठ बीमारियां, जानें इनके बारे में हर एक बात
कोरोना जैसी महामारी का खतरा बढ़ा रहीं ये आठ बीमारियां, जानें इनके बारे में हर एक बात
Embed widget

We use cookies to improve your experience, analyze traffic, and personalize content. By clicking "Allow All Cookies", you agree to our use of cookies.