दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह का साथ आखिर क्यों चाहता है चीन?
उत्तर कोरिया दुनिया का इकलौता ऐसा देश है जो लगातार इतनी बड़ी संख्या में बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च करता जा रहा है जिसे देखकर महाशक्तियां भी थोड़ी डर गई हैं. वजह ये है कि उत्तर कोरिया के तानाशाह माने जाने वाले सुप्रीमो किम जोंग उन को ऐसी अन गाइडेड मिसाइल माना जाता है कि उनकी सनक कब, कहां और कैसे तबाही मचा देगी ये कोई भी नहीं जानता.
लेकिन जरा सोचिये कि ऐसे तानाशाह को एक बड़ी महाशक्ति का साथ मिल जाए तो समूची दुनिया के लिए वह खतरे की कितनी बड़ी घंटी बनने वाली है. भारत से अपनी दोस्ती का दिखावा करते हुए पीछे से वार करने वाले चीन ने अब इस तानाशाही मुल्क से दोस्ती करने की गर्मजोशी भरी पहल कर दी है. हालांकि चीन का रवैया पहले भी उसके प्रति नरम ही रहा है. लेकिन अब ये एक नए अंजाम की शक्ल लेने जा रहा है इसलिये अमेरिका समेत कई देशों की धड़कन बढ़ गई है.
दरअसल, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उत्तर कोरिया के साथ मिलकर काम करने की बात कहकर अपने इरादे जता दिये हैं कि वे किस रास्ते पर आगे बढ़ने वाले हैं. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया केसीएनए ने शनिवार को बताया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि, चीन, नॉर्थ कोरिया के साथ मिलकर काम करने को तैयार है.
उल्लेखनीय है कि उत्तर कोरिया ने इस साल अभूतपूर्व मिसाइल परीक्षण किए हैं. अमेरिका पिछले कई महीनों से दोहरा रहा है कि उत्तर कोरिया किसी भी समय 2017 के बाद से पहला परमाणु बम परीक्षण (Nuclear Test) कर सकता है. इसीलिये अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) से चीन और रूस पर सुरक्षा परिषद की कार्रवाई को अवरुद्ध करके प्योंगयांग को "मजबूत" करने का आरोप लगाते हुए एक स्वर में उत्तर कोरिया को उसके मिसाइल परीक्षणों के लिए जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया है.
दरअसल, दक्षिण कोरिया और जापान, अमेरिका के दोस्त हैं और उनकी मित्रता लगातार मजबूत होती जा रही है. ऐसे हालात में चीन ने बेहद सोची-समझी रणनीति के तहत अपने पुराने साथी उत्तर कोरिया को न सिर्फ पुराने रिश्तों की याद दिलाई है बल्कि साथ मिलकर काम करने का अनुरोध भी किया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किम जोंग को लिखे पत्र में क्षेत्रीय शांति और वैश्विक स्थिरता के लिए साथ मिलकर काम करने में रुचि दिखाई है.
मीडिया आउटलेट केसीएनए के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन को इस बात के लिए जोर दिया है कि चीन क्षेत्रीय और वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए उत्तर कोरिया के साथ मिलकर काम करने को तैयार है. हालांकि, केसीएनए ने उत्तर कोरिया के हालिया मिसाइल लॉन्च का उल्लेख नहीं किया, जिसने दक्षिण कोरिया और अमेरिका के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास के बाद कोरियाई प्रायद्वीप के आसपास तनाव बढ़ा दिया है.
समाचार एजेंसी के मुताबिक उत्तर कोरिया ने गुरुवार को प्योंगयांग पर अपने बार-बार मिसाइल लॉन्च के बाद अतिरिक्त प्रतिबंध लगाने के लिए दक्षिण कोरिया के दबाव की निंदा करते हुए कहा कि इस तरह के उपायों से उत्तर की "दुश्मनी और गुस्सा" बढ़ेगा. वहीं दूसरी ओर किम की शक्तिशाली बहन किम यो जोंग ने भी एक बयान में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल को "बेवकूफ" और अमेरिका का "वफादार कुत्ता" कहा था. गौरतलब है कि एक दौर ऐसा भी था जब उत्तर कोरिया की हथियारों को लेकर बढ़ती हुई महत्वाकांक्षा ने चीन और नार्थ कोरिया के बीच दूरियां ला दी थीं. जबकि चीन उसका लंबे समय से साझीदार और आर्थिक सहयोगी रहा है.
हालांकि नवंबर 2017 में रिश्तों में आई कड़वाहट तब दूर हुई जब राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किम जोंग उन को एक संदेश भेजकर एक साल से ज्यादा समय से जमी हुई बर्फ को पिघलाने कस काम किया था. चीन ने सार्वजनिक तौर पर तब डेढ़ साल बाद अपने पड़ोसी से संवाद किया था. उसके बाद जून 2019 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिन के लिए उत्तर कोरिया गए थे, जहां किम जोंग-उन से हुई मुलाक़ात में परमाणु निरस्त्रीकरण और आर्थिक मुद्दों पर बातचीत हुई थी. दोनों की वह मुलाक़ात जापान में होने वाले जी 20 सम्मेलन से ठीक पहले हुई थी. लिहाजा, बड़ा सवाल ये है कि दो तानाशाह मुल्क की ये दोस्ती आने वाले दिनों में दुनिया के लिये क्या नया खतरा पैदा करने वाली है?
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