(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
आखिर बीजेपी से हाथ क्यों नहीं मिलाना चाहते उद्धव ठाकरे?
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की महा अघाड़ी सरकार का जाना अब लगभग तय है क्योंकि आज बुलाई गई शिव सेना विधायकों की बैठक का नज़ारा देखकर ठाकरे को अहसास हो गया होगा कि वे किस कमजोर जमीन पर खड़े हैं. हालांकि एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा है कि सरकार अल्पमत में है या बहुमत में, ये विधानसभा में तय होगा और जब वहां टेस्ट होगा तो आपको पता चल जाएगा कि सरकार बहुमत में है.
हालांकि उनके इस अति आत्मविश्वास का आधार क्या है, ये तो वे ही जानते हैं. लेकिन मौजूदा हालात में उद्धव ठाकरे के साथ तो शिव सेना के महज 13 विधायक ही बचे हैं.ऐसी सूरत में किस जादुई छड़ी से वे विधानसभा में बहुमत साबित कर पाएंगे?
महाराष्ट्र की राजनीति के जानकारों के मुताबिक एकनाथ शिंदे ने कुछ ऐसा चक्रव्यूह रच डाला है कि उद्धव ठाकरे को अगर अब अपना व अपने बेटे का राजनीतिक भविष्य बचाना है,तो शिंदे की शर्तों को मानना होगा और बीजेपी से हाथ मिलाने में ही अपनी भलाई समझनी होगी. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं,तो महा विकास अघाड़ी सरकार का गिरना तय मां लेना चाहिए.
दरअसल, पार्टी विधायकों की बैठक के बाद ठाकरे के करीबी नेता संजय राउत ने ये बयान देकर सबको चौंका दिया था कि शिवसेना महाराष्ट्र में एमवीए सरकार से बाहर आने को तैयार, लेकिन पार्टी के बागी नेताओं को (गुवाहाटी से) मुंबई 24 घंटों के भीतर लौटना होगा.ये एक तरह से बागी विधायकों को दाना डालने की कोशिश थी,ताकि इस जाल में फंसाकर उन्हें किसी तरह से मुंबई बुला लिया जाए.
लेकिन शिव सेना के इतिहास में पहली बार ठाकरे परिवार के खिलाफ बग़ावत का झंडा उठाने वाले एकनाथ शिंदे राजनीति के कोई ऐसे अनाड़ी खिलाड़ी तो हैं नहीं कि जो इस जाल फेंकने के पीछे का मकसद न समझ सकें. लिहाज़ा, उन्होंने फौरन इसका जवाब देकर ठाकरे-राउत के मंसूबों पर पानी फेर दिया.शिंदे ने साफ कह दिया पहले उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दें और एमवीए (महा विकास अघाड़ी) से बाहर निकल आते हैं,तभी आगे की बात होगी.
बागी गुट का कहना है कि हम उद्धव ठाकरे की बातों पर विश्वास नहीं कर सकते. गौरतलब है कि गुवाहाटी के होटल में डेरा डाले शिंदे के साथ 46 विधायक होने का दावा किया जा रहा है,जिसमें कुछ निर्दलीय भी शामिल हैं. हालांकि शिंदे ने बुधवार को महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष को जो पत्र लिखा था, उस पर शिवसेना के 35 विधायकों ने हस्ताक्षर किए थे.लेकिन बताया जा रहा है कि बुधवार की रात और गुरुवार की सुबह शिव सेना के कुछ और विधायक भी मुंबई से गुवाहाटी पहुंचकर बागी गुट के साथ शामिल हो गए हैं.
इसकी तस्दीक इससे भी होती है कि उद्धव ठाकरे की आज हुई बैठक में उनके समेत कुल 13 विधायक ही मौजूद थे.जबकि विधानसभा में शिव सेना के कुल 55 विधायक हैं.यानी पार्टी के 42 विधायक ठाकरे का साथ छोड़कर अपना बागी गट बना चुके हैं. चूंकि ये संख्या दो तिहाई से ज्यादा है, इसलिये इन पर दलबदल विरोधी कानून का शिकंजा भी अब नहीं कसेगा और अब वे बीजेपी को समर्थन देने के लिए स्वतंत्र हैं.
शिवसेना नेता संजय राउत के बयान के बाद सरकार की सहयोगी एनसीपी और कांग्रेस में खलबली मचना स्वाभाविक था.सो,एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुंबई के वाई बी चव्हाण सेंटर में बैठक की. बैठक में पवार ने पार्टी नेताओं से कहा कि एनसीपी महाविकास अघाड़ी (MVA) के साथ है. हम आखिरी तक लड़ाई लड़ेंगे.
राउत के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया में अजित पवार ने कहा कि वो उनका अधिकार है. उन्होंने क्यों ऐसा बोला, मुझे नहीं पता. मैं जरूर उद्धव ठाकरे से पूछूंगा कि ऐसा संजय राउत ने क्यों कहा है? हम आखिर तक उद्धव के साथ खड़े रहेंगे. एनसीपी के सभी विधायक MVA को सपोर्ट कर रहे हैं, हम इससे पीछे नहीं हटने वाले हैं.
उधर, कांग्रेस नेताओं ने भी पूरे राजनीतिक घटनाक्रम पर बैठक की है कि इस संकट को सुलझाने का और क्या तरीका निकल सकता है. इस बीच गुवाहाटी से शिंदे गुट का एक नया वीडियो सामने आया है. इसमें महाराष्ट्र के बागी शिवसेना विधायकों ने सर्वसम्मति से एकनाथ शिंदे को अपना नेता चुना है. इस वीडियो में शिंदे ने बीजेपी की तारीफ की है. इशारा साफ है कि अगर ठाकरे गठबंधन से बाहर नहीं आते, तो शिंदे गुट बीजेपी की ताजपोशी करवाने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
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