(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
विराट कोहली को क्यों पसंद है धोनी का साथ
एडिलेड वनडे में हार का मतलब था वनडे सीरीज पर कंगारुओं का कब्जा. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भारतीय टीम ने जिस स्तर की क्रिकेट खेली है उसमें ये हार बहुत खलती. खिलाड़ियों को भी और क्रिकेट फैंस को भी. 299 रन का लक्ष्य आसान भी नहीं था.
एडिलेड वनडे में हार का मतलब था वनडे सीरीज पर कंगारुओं का कब्जा. ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर भारतीय टीम ने जिस स्तर की क्रिकेट खेली है उसमें ये हार बहुत खलती. खिलाड़ियों को भी और क्रिकेट फैंस को भी. 299 रन का लक्ष्य आसान भी नहीं था.
विराट कोहली के शानदार शतक जड़कर मैच में और सीरीज में भारत की उम्मीदों को कायम रखा. फिर उन उम्मीदों को जीत का तोहफा दिया महेंद्र सिंह धोनी ने. धोनी ने 54 गेंद पर 55 रन बनाकर टीम इंडिया को जीत दिलाई. 54 गेंद पर 55 रनों की उनकी ये पारी बहुत आकर्षक भले नहीं थी लेकिन इसी पारी ने विराट कोहली के चेहरे पर मुस्कान बिखेर दी. उन्हें हवा में हाथ लहराने का मौका दिया.
भारतीय बल्लेबाजी के दौरान विराट कोहली के बाद सबसे ज्याजा वक्त क्रीज पर धोनी ने बिताया. उन्होंने डेढ़ घंटे से ज्यादा बल्लेबाजी की. मैच को आखिर तक लेकर आए. बेवजह के जोखिमों से बिल्कुल दूर रहे. पूरे अर्धशतक में सिर्फ 2 छक्के लगाए. एक भी चौका नहीं लगाया. सिर्फ सिंगल और डबल लेकर स्कोरबोर्ड को बढ़ाते रहे. आधुनिक क्रिकेट में भले ही ये सारी बातें ना तो देखने में और ना ही सुनने में आकर्षक हैं लेकिन इस मेहनत का नतीजा बहुत आकर्षक है. वो नतीजा है भारत की 6 विकेट से जीत.
धोनी की इस पारी को विराट ने बताया खास
मैच के बाद विराट कोहली ने धोनी की जमकर तारीफ की. उन्होंने कहाकि धोनी गजब के ‘कैलकुलेटेड’ बल्लेबाज हैं. जितनी खास आज मेरे लिए मेरी पारी है उतनी ही खास उनकी पारी भी है. विराट कोहली ने मैदान में धोनी के रहने से उन्हें होने वाले फायदे का भी जिक्र किया. उन्होंने ये भी कहाकि जब वो बल्लेबाजी कर रहे थे तो धोनी लगातार उन्हें समझा रहे थे कि वो तैश में आकर कोई गलत शॉट ना खेल दें.
फील्डिंग के दौरान धोनी के ‘इनपुट्स’ विराट कोहली को लगातार मिलते ही रहते हैं. जाहिर है विराट कोहली भी मौजूदा टीम में महेंद्र सिंह धोनी का रोल एक गाइड की तरह देखते हैं. कुछ रोज पहले टीम इंडिया के उपकप्तान रोहित शर्मा ने भी कहा था कि महेंद्र सिंह धोनी टीम के लिए मेन्टॉर की भूमिका निभाते हैं. एडिलेड में यही हुआ धोनी ने मैच के आखिरी ओवर तक खुद को संतुलित रखा. उनकी पैनी नजर स्कोरबोर्ड पर लगातार थी. वो बस वहां रिस्क लेना चाहते थे जहां वो कैलकुलेटेड हो. उन्होंने नैथन लाएन के ओवर में एक छक्का लगाया. जिससे आगे आने वाले ओवरों में रनरेट ज्यादा ना हो जाए.
इसके बाद आखिरी ओवर में जब भारत को जीत के लिए सिर्फ 7 रन चाहिए थे तो उन्होंने ओवर की पहली गेंद पर छक्का लगाया. आखिरी ओवर में अगर धोनी आउट भी हो जाते तो भी मैच पर भारत की पकड़ मजबूत थी. क्योंकि तब उसे 5 गेंद पर 7 रनों की जरूरत होती. बैटिंग क्रीज पर दिनेश कार्तिक आ चुके होते. हालांकि ये सारी आशंकाएं तब ही दूर हो गईं जब गेंद सीधे बाउंड्री पार चली गई.
आखिर धोनी को लेकर क्यों हो रही है चर्चा
दरअसल पिछले मैच में धोनी की बल्लेबाजी को लेकर उनकी आलोचना हुई थी. पिछले मैच में 4 रन पर 3 विकेट गंवाने के बाद धोनी जब क्रीज पर आए तो उन्होंने संभलकर बल्लेबाजी की. रोहित शर्मा के साथ उन्होंने सवा सौ रनों से ज्यादा की साझेदारी तो की लेकिन 96 गेंद खेलकर 51 रन बनाए.
धोनी के आलोचकों ने इसके लिए उनकी खिंचाई की. सच्चाई ये है कि अगर धोनी ने रोहित शर्मा के साथ क्रीज पर वक्त ना बिताया होता तो भारत को पहले वनडे मैच में 34 रन से नहीं बल्कि 134 रनों से हार का सामना करना पड़ सकता था.
एडिलेड में जीत के बाद विराट कोहली ने भी कहाकि धोनी काफी समय बाद मैदान में उतरे हैं उन्हें ‘एडजस्ट’ होने में थोड़ा वक्त लगेगा. अपनी बल्लेबाजी के दौरान धोनी की रनिंग बिटवीन द विकेट देखने लायक थी. जो उनकी शानदार फिटनेस का सबूत है. मैच के दौरान कॉमेंट्री कर रहे पूर्व क्रिकेटरों ने भी यही बात दोहराई कि धोनी अब भी कमाल के खिलाड़ी हैं. उनका रोल बदल गया है. ये बात हर किसी को समझनी होगी.