इस चुप्पी को आपने महसूस नहीं किया होगा. कोई आवाज ही नहीं हुई. कोई चूं-चपड़ नहीं. चलिए अब जरा सिक्के का दूसरा पहलू आपको दिखाते हैं, तब आपको इसी चुप्पी में शोर सुनाई देगा. याद कीजिए इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी टीमों का कोई भी हालिया भारत दौरा.

अब याद कीजिए कि क्या कोई दौरा ऐसा हुआ है जिसमें पिच को लेकर इंग्लिश खिलाड़ियों ने किचकिच ना की हो. कभी पिच के खतरनाक होने पर रोना रोया. कभी पिच के फ्लैट होने पर रोना रोया और कभी आंसू बहाए इस बात पर कि पिच स्पिनरों के लिए जानबूझकर ज्यादा मददगार बनाई गई है.

इंग्लिश मीडिया ने बड़े बड़े कॉलम लिखे. कॉमेंट्री करने वाले पूर्व दिग्गज इंग्लिश खिलाड़ियों ने भारतीय पिच क्यूरेटरों को लानतें दीं. कुल मिलाकर ये कहने की कोशिश की गई कि भारतीय दौरे पर वो टीम इंडिया से नहीं बल्कि यहां की पिचों से हार जाते हैं. अब वही इंग्लिश मीडिया चुप है.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हालिया सीरीज में इंग्लैंड की पिचों पर वो सबकुछ हुआ जो भारत में होता है लेकिन तमाम नामी गिरामी कॉलम लेखकों ने मुंह पर पट्टी लगा ली. अपने गिरेबां में झांकने की हिम्मत नहीं दिखाई उन्होंने. अब उन्हीं पिचों पर भारतीय टीम को खेलना है, इसलिए ये सवाल उठाना जरूरी है कि इंग्लैंड की पिचों को लेकर वहां के दिग्गज जानकार कुछ क्यों नहीं कहते?

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जमकर बरसाए रन
इंग्लैंड ने हालिया वनडे सीरीज में कंगारुओं को 5-0 से हराया. पांच में से तीन मैचों में 300 से ज्यादा स्कोर बना. तीसरे वनडे में तो इंग्लैंड ने 481 रन बना दिए. जी हां, पचास ओवर में 481 रन. जो अब किसी भी टीम के एक पारी में बनाए गए सबसे ज्यादा स्कोर के तौर पर रिकॉर्ड बुक में दर्ज है. इंग्लैंड ने 481 रन नॉटिंघम की पिच पर बनाए. जिसमें बेयरस्टॉ और हेल्स के शतक शामिल हैं.



बात को और आगे बढ़ाने से पहले आपको याद दिला दें कि इससे पहले जो किसी टीम की तरफ से एक पारी में सबसे ज्यादा रन का रिकॉर्ड था वो भी इंग्लैंड के नाम पर ही था. उस मैच में इंग्लैंड ने पाकिस्तान के खिलाफ 444 रन बनाए थे. ये भी जान लीजिए कि तब भी मैदान नॉटिंघम का ही था.

अगर यही रनों की बरसात रांची, बैंगलोर या कटक के स्टेडियम में हुई होती तो इंग्लिश मीडिया ने बड़ी बड़ी हेडलाइन में भारतीय सबकॉन्टिनेंट को गेंदबाजों के लिए कब्रगाह बता दिया होता. लिख दिया गया होता कि भारत में पाटा बेजान पिचें क्रिकेट को नुकसान पहुंचा रही हैं. अफसोस अब इंग्लिश मीडिया चुप्पी साधे बैठा है. बात सिर्फ बल्लेबाजी की ही नहीं है.

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5-0 से मिली जीत में सबसे अहम रोल रहा इंग्लिश स्पिनर मोईन अली और आदिल रशीद का. दोनों ही गेंदबाजों ने सीरीज में 12-12 विकेट लिए. अगर भारतीय स्पिनरों ने अपनी पिचों पर 12-12 विकेट लेकर टीम को जीत दिलाई होती तो ये उनकी काबिलियत नहीं बल्कि पिच से मिलने वाली मदद के तौर पर देखा जा रहा होता. इस पर भी अंग्रेजी में कॉमेंट्री करने वालों ने नाक भौं सिकोड़ी होती. पिच का रोना रोया होता.

अब इन्हीं पिचों पर है टीम इंडिया से मुकाबला
भारतीय टीम को इंग्लैंड में 3 टी-20, 3 वनडे और पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है. भारतीय टीम इंग्लैंड में जुलाई से लेकर सितंबर के पहले पखवारे तक रहेगी. यानी करीब करीब ढाई महीने का दौरा है. टीम इंडिया मैनेजमेंट की ज्यादा फिक्र टेस्ट सीरीज को लेकर है क्योंकि वनडे में तो टीम इंडिया इंग्लैंड को करारा जवाब देगी.

विराट कोहली ने इंग्लैंड रवाना होने से पहले कहा भी था कि टेस्ट सीरीज जब तक शुरू होगी तब तक टीम इंडिया के खिलाड़ी वहां की आबोहवा से परिचित हो चुके होंगे. ऐसे में इंग्लैंड में खेलना उनके लिए घर में खेलने की तरह ही होगा.

टेस्ट सीरीज को लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन टी-20 और वनडे सीरीज को लेकर तो विराट कोहली को पिच भी अपने स्टेडियमों जैसी ही मिलेगी. मजे की बात ये भी है कि इंग्लैंड टीम मैनेजमेंट आयरलैंड के खिलाफ दोनों टी-20 मैच के नतीजे देखकर भ्रम की स्थिति में है. दोनों टी-20 मैच में भारत ने 200 से ज्यादा का स्कोर खड़ा किया. हमारे स्पिनर्स ने पहले मैच में 7 और दूसरे में 6 विकेट लिया. दोधारी तलवार पर खड़ी इंग्लिश टीम अब क्या करेगी? पाटा विकेट दें तो आफत और तेज विकेट दें भी आफत.