गॉल में ही हमेशा टीम इंडिया के लिए क्यों होता है बवाल ?
भारतीय टीम श्रीलंका के खिलाफ बुद्धवार से टेस्ट सीरीज खेलने के लिए मैदान में उतरेगी. इस अहम सीरीज का पहला टेस्ट मैच गॉल में है. आखिर क्यों टीम इंडिया को नहीं भाता है गॉल का मैदान? बता रहे हैं वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह
ना जाने क्या वजह है कि भारतीय टीम को गॉल का मैदान नहीं भाता है. विराट कोहली और नए कोच अनिल कुंबले के लिए ये सीरीज अहम है. रवि शास्त्री को पहली बार टीम के कोच की जिम्मेदारी सौंपी गई है और उसके बाद ये पहला दौरा है. जाहिर है कोहली और शास्त्री की जोड़ी पिछले दौरे की परेशानियों का लेखा-जोखा तैयार कर चुकी होगी.
दरअसल, पिछली सीरीज में कुछ ना कुछ ऐसा होता रहा कि इस मैदान से शुरू हुई परेशानी खत्म ही नहीं हुई. अव्वल तो 2015 वाली टेस्ट सीरीज में इसी मैदान में खेले गए पहले मैच में भारतीय टीम हार गई थी. वो हार बड़ी अप्रत्याशित थी. विराट कोहली नए नए कप्तान बने थे. उनकी कप्तानी में टीम इंडिया ने श्रीलंका को पहली पारी में सिर्फ 183 रनों पर समेट दिया था. इसके बाद भारतीय टीम ने पहली पारी में 375 रन बनाए थे.
विराट कोहली और शिखर धवन ने उस मैच में शानदार शतक भी लगाया था. इसके बाद भी टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा था. हार के अलावा एक और वजह भी है, जिसके चलते गॉल के मैदान से भारतीय टीम को डर लगता है. दरअसल गॉल टेस्ट के शुरू होने से पहले ही भारतीय टीम के खिलाड़ी अनफिट हो जाते हैं. जाहिर है इसकी वजह से पूरी टीम का संतुलन बिगड़ जाता है. इस बार भी खिलाड़ियों के बीमार होने और अनफिट होने का सिलसिला शुरू हो चुका है. मुरली विजय और लोकेश राहुल इसी कड़ी में आते हैं.
पिछली सीरीज में कैसे हार गए गॉल टेस्ट
पहली पारी के आधार पर भारतीय टीम के पास करीब दो सौ रनों की बढ़त थी. श्रीलंका की टीम पहली पारी में जिस तरह लड़खड़ाई थी, उसके बाद भारत की जीत तय दिख रही थी, लेकिन दूसरी पारी में श्रीलंका ने बेहतर बल्लेबाजी की. श्रीलंका ने दूसरी पारी में 367 रन बनाए. जिसमें चंडीमल की शानदार 162 रनों की पारी थी.
श्रीलंका के प्रदर्शन में सुधार के बाद भी भारत के लिए जीत का रास्ता मुश्किल नहीं था, क्योकि उसके सामने सिर्फ 175 रनों का लक्ष्य था. समस्या पैदा की रंगना हेराथ ने. उन्होंने दूसरी पारी में भारतीय बल्लेबाजों को नचा कर रख दिया. रंगना हेराथ की खतरनाक फिरकी के आगे टीम इंडिया ने घुटने टेक दिए. पूरी टीम सिर्फ 112 रन बनाकर आउट हो गई. टीम के ज्यादातर बल्लेबाज दहाई तक के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाए. रंगना हेराथ ने 21 ओवर में 48 रन देकर टीम इंडिया के सात बल्लेबाजों को पवेलियन भेजा. नतीजा भारतीय टीम को उस टेस्ट मैच में 63 रनों से हार का सामना करना पड़ा था.
गॉल में खेलने से पहले ही अनफिट हो जाते हैं खिलाड़ी
गॉल टेस्ट के लिए मैदान में उतरने से पहले भारतीय टीम के बल्लेबाज लोकेश राहुल टीम से बाहर हो गए. उन्हें बुखार था. इसके पहले सलामी बल्लेबाज मुरली विजय टीम से बाहर हो गए थे. ये एक संयोग ही है कि पिछली बार भी सीरीज में गॉल टेस्ट के पहले मुरली विजय को हैमस्ट्रिंग इंजरी की वजह से मैदान से बाहर होना पड़ा था. इतना ही नहीं दूसरे टेस्ट मैच से पहले शिखर धवन अनफिट हुए. शिखर को पूरी सीरीज के लिए टीम इंडिया से बाहर होना पड़ा.
तीसरे टेस्ट मैच में ऋद्धिमान साहा को चोट लग गई. इसके बाद नमन ओझा को टेस्ट कैप मिली. लगातार अनफिट हुए खिलाड़ियों की वजह से पिछली बार पूरी सीरीज में बल्लेबाजी को लेकर बदलाव करने पड़े. पहले टेस्ट मैच में लोकेश राहुल और शिखर धवन ने ओपनिंग की थी. दूसरे टेस्ट में लोकेश राहुल और मुरली विजय ओपनिंग करने उतरे, जबकि तीसरे टेस्ट में लोकेश राहुल के साथ चेतेश्वर पुजारा को ओपनिंग के लिए भेजा गया. अंत भला तो सब भला इसलिए क्योंकि सीरीज का पहला मैच गंवाने के बाद भी भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज पर कब्जा किया था.