एक तरफ तो नॉर्थ कोरिया के तानाशाह पूरी दुनिया में खौफ बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर एक ऐसा भी शख्स भारत की धरती पर जन्मा, जिसने अपने विचारों से बगैर किसी हथियार के 50 से भी ज्यादा देशों की सरकार को मजबूर कर दिया था कि उसे मारने का आख़िर क्या तरीका निकाला जाए. तरीका निकालने में तो उस वक़्त अमेरिका की ही तूती बोलती थी सो उसने स्लो पाइजन देकर इसे अंजाम भी दे दिया. इसलिये कि ऐसे खतरनाक विचार रखने वाले दार्शनिक की मौत उसकी सरजमीं पर ही हो, ताकि इस अंतराष्ट्रीय अपराध का गुनहगार अमेरिका न बन पाये. हुआ भी वहीं.


मध्य प्रदेश के एक छोटे-से कस्बे गाडरवारा में जन्में चंद्रमोहन जैन उर्फ रजनीश उर्फ ओशो के नाम से दुनिया में छा जाने वाले इस शख्स से नफ़रत करने की सबको पूरी छूट है. लेकिन जो समझदार हैं वे खुद से ही ये सवाल भी पूछते हैं कि समाज को बदलने और उसे एक नई दिशा देने वाले ऐसे दार्शनिक को नजरअंदाज आखिर क्यों किया गया और आज भी क्यों किया जा रहा है?


सिर्फ हमारे देश के नहीं बल्कि दुनिया के हुक्मरान ने जो कभी सोचा नहीं होगा. ओशो उससे आगे की बात कहकर खुद ही ऐसे भविष्यदृष्टा बन जाते हैं, जिसे न किसी भीड़ की जरूरत है और न ही जयकारों की. इसीलिये ओशो ने कहा था कि जब मेरी सांसे रुक जाए तो उसका शोक नहीं बल्कि उत्सव मनाना जो पुणे के उनके आश्रम में बेहद भव्य तरीके से मनाया भी गया. ओशो का यहां जिक्र इसलिए, क्योंकि तानाशाहों को लेकर उनके विचार क्रांतिकारी रहे हैं.


अब यहां एक बड़ा मसला ये उठ रहा है कि बेहद पिद्दी-सा देश कहलाने वाले नॉर्थ कोरिया (North Korea) के तानाशाह किम जोंग उन (Kim Jong Un) अपने पड़ोसी देशों के खिलाफ ऐसी आक्रामकता दिखा रहे हैं, मानो पल भर में ही वो देश उनकी मुट्ठी में आ जायेगा. दरअसल, मंगलवार 4 अक्टूबर की सुबह उत्तर कोरिया ने जापान के ऊपर से मिसाइल फायर (Missile Fire) कर दिया. इस मिसाइल हमले के बाद जापान में वार्निंग (Warning) वाले सायरन बजने लगे और लोगों को सुरक्षित जगहों पर छिपने के लिए कहा गया. दुनिया के तमाम देश इसे एक तानाशाह की सनक और दूसरे देश को उकसाने पर मजबूर करने वाली कार्रवाई ही बता रहे हैं.


दरअसल, दुनिया की सुपरपावर कहलाने वाले अमेरिका समेत सभी ताकतवर देश उत्तर कोरिया जैसे छोटे-से देश से सिर्फ इसलिये डरते हैं कि वहां की सत्ता पर काबिज़ किम जोंग एक ऐसा तानाशाह है, जिसकी कमान न तो किसी और के हाथ में है और न ही उसे समझाने की हिम्मत किसी और के पास है. इसलिये किम की कोई भी हरकत सिर्फ एक देश के लिए नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बन गई है. उत्तर कोरिया के पास परमाणु हथियारों का कितना जखीरा है ये अमेरिका समेत कोई भी देश नहीं जानता. इसीलिए किम की सनक से तमाम ताकतवर देश न सिर्फ डरे रहते हैं बल्कि वे दुआ करते रहते हैं कि ईश्वर इसे सद्बुद्धि दे ताकि ये दुनिया को विनाश के रास्ते पर न धकेल दे.


किम के इस मिसाइल हमले ने जापान को इतना डर दिया है कि उसने देश के उत्तरी हिस्से में ट्रेनों की आवाजाही को अस्थाई रूप से निलंबित कर दिया है. हालांकि उत्तर कोरिया ने पिछले 10 दिनों में पांचवी बार मिसाइल फायर किया है. दरअसल, अमेरिका ने जापान और दक्षिण कोरिया के साथ पनडुब्बी रोधी अभ्यास किया था इसके विरोध में उत्तर कोरिया लगातार मिसाइल फायर कर रहा है. उत्तरी कोरिया ने मंगलवार को जो मिसाइल दागी वो प्रशांत महासागर में गिरने से पहले जापान के ऊपर से गुजरती हुई निकली. इसीलिये किम जोंग की इन हरकतों से आज तमाम ताकतवर देश घबराये हुए हैं, क्योंकि किसी और की सुनना या उसे मानना उसकी डिक्शनरी में है ही नहीं.


शायद इसीलिए बरसों पहले ओशो रजनीश ने कहा था कि- "दुनिया के सभी तानाशाह हमारे द्वारा बनाए गए हैं क्योंकि हम चाहते हैं कि कोई और हमें बताए कि क्या करना है. इसका एक बहुत ही सूक्ष्म कारण है: जब आपको कोई और बताता है कि क्या करना है तो यह सही है या गलत इसके लिए आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं होती है. आप जिम्मेदारी से मुक्त हैं, आपको इसके बारे में सोचने की ज़रूरत नहीं है, आपको इसके बारे में चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है. सारी जिम्मेदारी उस व्यक्ति की होती है जो आपको कुछ करने का आदेश दे रहा है."


"एडॉल्फ हिटलर या जोसेफ स्टालिन या रोनाल्ड रीगन जैसे लोग अपने किसी भी गुण के कारण अपने शक्तिशाली पदों पर नहीं रहे बल्कि वे वहां इसलिए पहुंचे क्योंकि लाखों लोग चाहते थे कि उन्हें ये बताया जाए कि उन्हें क्या करना है- बिना किसी को निर्देश दिए वे नुकसान में हैं."


नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.