हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान क्या एक बड़े खूनखराबे वाली क्रांति होने के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है? सवाल बेहद नाजुक है लेकिन इसके उठने की बड़ी वजह ये है कि अपने लॉन्ग मार्च पर निकले इमरान खान ने बेहद गंभीर सवाल उठाते हुए पीएम शहबाज़ शरीफ सरकार को चौतरफा घेरने का ऐलान कर दिया है. पाकिस्तान में मची मौजूदा सियासी अफ़रातफरी पर अगर गौर करें, तो इमरान का ये बयान सरकार से ज्यादा वहां की सेना पर सीधा हमला करने वाला है क्योंकि वे जानते हैं कि राजधानी इस्लामाबाद पहुंचने से पहले उनके इस हक़ीक़ी आज़ादी मार्च को सेना ही कुचलेगी.
जाहिर है कि इमरान खान के लाखों समर्थकों को राजधानी में घुसने से रोकने के लिए सेना हर मुमकिन हथियार का इस्तेमाल करेगी. ये सच भी सब जानते हैं कि ऐसे भारी भरकम प्रदर्शन में शामिल लोगों को आंसू गैस के गोलों, पानी की तेज बौछारों या फिर लाठियां चलाकर नहीं रोका जा सकता. लिहाज़ा, इमरान के इस मार्च को रोकने के लिए सेना गोलीबारी करने में कोई गुरेज इसलिये भी नहीं करेगी क्योंकि इमरान ने तो सेना से सीधा टकराव मोल ले रखा है. इसलिये पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इमरान के इस अंदेशे को एक झटके में गलत नहीं ठहरा सकते और अगर ये हक़ीक़त में तब्दील हो गया, तो फिर मुल्क में मार्शल लॉ लगना तय है.
बता दें कि रविवार को इस लांग मार्च को कवर कर रही एक महिला पत्रकार की हादसे में मौत होने के बाद इमरान खान ने अपना लॉन्ग मार्च रोक दिया था. सोमवार सुबह उन्होंने इसे दोबारा शुरू किया लेकिन इससे ठीक पहले एक ट्वीट में उन्होंने कहा कि देश के सामने एक क्रांति का नजारा है. यह क्रांति पिछले छह महीनों से जारी है. उसी ट्वीट में इमरान खान ने मुल्क के अवाम से मुखातिब होते हुए कहा- मेरे लिए बड़ा सवाल ये है कि क्या पाकिस्तान में ये क्रांति शांतिपूर्ण तरीके से बैलेट के जरिए होगी या फिर खूनखराबे से?
दरअसल, इमरान के इस गुस्से और अपने शक को जाहिर करने की वाजिब वजह भी है. विश्लेषक कहते हैं कि पाकिस्तान के गृह मंत्री राना सनाउल्लाह के दिये एक बयान के बाद ही इमरान खान को ऐसा चेतावनी भरा ट्वीट करने पर मजबूर होना पड़ा है. बात दें कि सनाउल्लाह ने रविवार को कहा था कि इमरान खान के मार्च को तब तक इस्लामाबाद में घुसने नहीं दिया जाएगा, जब तक उनसे यह आश्वासन नहीं मिल जाता कि इसे शांतिपूर्ण रखा जाएगा. पाक के एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि लॉन्ग मार्च को इस्लामाबाद में घुसने दिया जाएगा या नहीं, इस बारे में अभी फैसला नहीं किया गया है क्योंकि इससे हिंसा भड़कने का खतरा है.
पाकिस्तान की सरकार व सेना और बाकी देशों के लोग आखिर इस सच को कैसे झुठला सकते हैं कि इमरान खान मुल्क के सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं और उन्हें आज भी अवाम का समर्थन मिल रहा है. रविवार को नेशनल असेंबली यानी संसद की एक सीट के लिए हुए उप चुनाव के नतीजे में इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने फिर से बाजी मारकर बता दिया कि सत्ता से बेदखल किये जाने के बावजूद आज भी इमरान ही लोगों की पहली पसंद है. खुर्रम नाम की सीट पर हुए इस चुनाव में पीटीआई ने सत्तारूढ़ गठबंधन पीडीएम के उम्मीदवार को ऐसी पटखनी दी है, जो बताता है कि लोगों में इस सरकार के खिलाफ किस कदर गुस्सा है.
गौरतलब है कि इससे पहले 16 अक्टूबर को संसद की 8 सीटों पर हुए उपचुनाव में इमरान खान की पार्टी ने छह सीटें जीतकर विपक्ष को ये बता दिया था कि उनका जलवा अभी भी बरकरार है. इमरान खान की पार्टी के इस दावे को आखिर गलत कैसे साबित कर सकते हैं कि हाल में आए तमाम उपचुनाव के नतीजों से मौजूदा सरकार के प्रति जनता के अविश्वास की पुष्टि हुई है. पार्टी ने कहा है कि बीते अप्रैल में इमरान खान की सरकार गिराए जाने के बाद से देश में 37 सीटों के उपचुनाव हुए, जिनमें से 29 में पीटीआई विजयी रही है, यानी तीन चौथाई से भी ज्यादा जगहों पर उसे कामयाबी मिली है.
सही मायने में इमरान खान की यही असल ताकत है, जिससे वहां की सरकार और सेना घबराई हुई है कि अगर खूनखराबा हुआ, तो उसका अंजाम इतना बुरा होगा कि न तो अवाम और न ही तवारीख़ उन्हें कभी माफ करेगी.
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