BLOG: दानिश कनेरिया मामले में क्यों चुप हैं पाकिस्तान के पीएम इमरान खान?
दानिश कनेरिया के नाम पर चल रहा बवाल और बढ़ता जा रहा है. इस बवाल से बाहर निकलने के लिए क्या इमरान खान कोई कदम उठाएंगे या चुप्पी साधे रहेंगे? आंकलन कर रहे हैं वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह.
इमरान खान पाकिस्तान के सिर्फ प्रधानमंत्री भर नहीं हैं, वो एक खिलाड़ी भी हैं.उन्हीं की कप्तानी में पाकिस्तान ने विश्व कप जीता था. वो पाकिस्तान के महान खिलाड़ियों में शुमार बड़े नाम हैं. इन तथ्यों के बावजूद इमरान खान खेल से जुड़े तमाम बड़े मामलों में चुप्पी साधे बैठे रहते हैं. पाकिस्तान के अलग-अलग मंचों से लेकर अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर वो भारत के खिलाफ जहर उगलने का काम तो बढ़-चढ़कर कर रहे हैं. लेकिन अपने मुल्क के अवाम के जिस एतबार को उन्हें बनाए और बचाए रखना था उसमें वो बुरी तरह नाकाम रहे हैं. ताजा मामला पाकिस्तान के स्पिनर दानिश कनेरिया का है. जो पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में हैं. वो सुर्खियों में इसलिए आए क्योंकि पाकिस्तान के एक और सुपरस्टार शोएब अख्तर ने एक कार्यक्रम में कहा कि दानिश कनेरिया को हिंदू होने की वजह से पाकिस्तान की टीम में अलग-थलग रखा जाता था. कई खिलाड़ी ऐसे थे जो दानिश कनेरिया के साथ खाना तक नहीं खाते थे.
शोएब अख्तर के इस बयान के बाद दानिश कनेरिया ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि शोएब अख्तर ने जो कुछ कहा है वो सब सच है. इस बात को आगे बढ़ाने से पहले आपको बता दें कि दानिश कनेरिया ने पाकिस्तान की टीम में 2000 से 2010 तक टेस्ट क्रिकेट खेली. उन्होंने 61 टेस्ट मैच में 261 विकेट लिए. वो पाकिस्तान के सबसे कामयाब स्पिन गेंदबाज हैं और पाकिस्तान क्रिकेट इतिहास के चौथे सबसे कामयाब गेंदबाज. इन कामयाबियों पर बड़ा दाग तब लगा था जब इंग्लैंड में उन्हें फिक्सिंग का दोषी पाया गया और उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
इमरान खान की चुप्पी खलती है
दानिश कनेरिया ने अपना दर्द इमरान खान से भी साझा किया है. उन्होंने बाकयदा एक चिट्ठी लिखी है. उन्होंने सोशल मीडिया में भी लिखा- ये सच है कि मुझे बैन किए जाने के बाद पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड की ओर से कोई मदद नहीं मिली जबकि दूसरे खिलाड़ियों को ऐसी ही परिस्थिति में पाकिस्तान बोर्ड का सहारा मिला और वो पाकिस्तान के लिए दोबारा खेले, उन्हें सम्मान भी मिला. मेरे मामले में सरकार की लापरवाही शोएब अख्तर की कही गई बातों को सही साबित करेगा.
दानिश की इस बात में दम है क्योंकि मोहम्मद आमिर और सलमान बट्ट को फिक्सिंग में बैन के बाद भी वापसी का मौका मिला था. कनेरिया ने ये भी कहा कि पाकिस्तान के लोगों ने धर्म के आधार पर कभी मेरे साथ भेदभाव नहीं किया. अब ये पाकिस्तान की सरकार, पीएम इमरान खान और पीसीबी पर निर्भर करता है कि वो मेरे भविष्य का क्या फैसला करते हैं. आदर्श स्थिति होती अगर इमरान खान इस पूरे मामले में संबंधित खिलाड़ियों से बात करते और जिम्मेदारी भरा बयान देते, जिससे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को लेकर देश का नजरिया साफ होता.
बिना आग के धुंआ नहीं उठता
पाकिस्तानी मीडिया से लेकर पूर्व खिलाड़ियों का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो शोएब अख्तर और दानिश कनेरिया को ही सवालों के घेरे में खड़ा कर रहा है. इन लोगों में पाकिस्तान के पूर्व कप्तान इंजमाम उल हक़ भी शामिल हैं. इनका कहना है कि पाकिस्तान की टीम में दानिश कनेरिया के साथ इसलिए कोई भेदभाव नहीं किया गया कि वो हिंदू हैं. पाकिस्तान के कुछ पूर्व पत्रकारों ने तो यहां तक कह दिया है कि शोएब अख्तर रिटायरमेंट के बाद चर्चा में बने रहने के लिए इस तरह के बयान दिया करते हैं. उल्टा दानिश कनेरिया से ये सवाल भी किया गया कि अगर उनके साथ भेदभाव किया जाता तो वो दस साल कैसे टीम के साथ खेल पाए? ये सवाल जायज हो सकते हैं लेकिन इन सवालों को पूछने वालों को शोएब अख्तर और दानिश कनेरिया के आरोपों की भी जांच करनी चाहिए.
दानिश कनेरिया जब पहली बार भारत के दौरे पर आए थे तो उन्होंने मेरे साथ बातचीत में कहा था कि वो एक हिंदू हैं. भारत के खिलाफ खेलना उनके लिए अलग अनुभव है लेकिन इन बातों से पहले वो एक पाकिस्तानी हैं जिस पर उन्हें गर्व है. आज करीब डेढ़ दशक बाद उसी दानिश कनेरिया ने अपना दर्द साझा किया है. दिक्कत ये है कि उनके दर्द की बात किए बिना कई पूर्व क्रिकेटर उन्हें खारिज करने पर ही तुले हुए हैं. ऐसे खिलाड़ियों को शायद ये लग रहा है कि दानिश कनेरिया और शोएब अख्तर के खिलाफ बोलकर वो सत्ता के करीबी हो सकते हैं.