राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करने पर हुए हंगामे के बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें चिट्ठी लिखकर माफ़ी मांगी है, लेकिन बीजेपी इस मुद्दे को इतनी जल्द खत्म करने के मूड में नहीं दिखती. इसीलिए शुक्रवार को भी संसद के दोनों सदनों में जमकर हंगामा हुआ. इस विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री अमित शाह व स्मृति ईरानी ने राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की. बताते हैं कि स्मृति ने अपनी इस मुलाकात के दौरान उनके लिए इस्तेमाल किए गए अपमानजनक शब्द को लेकर भी चर्चा की. सवाल उठता है माफ़ी मांग लेने के बाद इस मसले पर सियासत करने से आखिर क्या हासिल होगा?
दरअसल, सत्ता पक्ष सोनिया गांधी पर दबाव बना रहा है कि इसके लिए उन्हें भी देश व राष्ट्रपति से माफी मांगनी चाहिए, क्योंकि उनकी शह पर ही चौधरी ने "राष्ट्रपत्नी" शब्द का इस्तेमाल किया था. कांग्रेस का तर्क है कि बीजेपी के किसी सांसद या मंत्री की किसी गलती के लिये क्या प्रधानमंत्री ने कभी कोई मांगी है? फिर पार्टी के एक सांसद से हुई चूक के लिए सोनिया भला किसलिये माफ़ी मांगें.
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी इस मुद्दे को अभी जिंदा रखना चाहती है, ताकि अन्य मुद्दों से ध्यान भटका रहे और विपक्ष महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चर्चा कराने के लिये सरकार पर दबाव न बना सके. इसलिये पूरी उम्मीद है कि सोमवार को भी संसद में ये मुद्दा गरमाया रहेगा. बहरहाल, इस विवाद को खत्म करने के लिए अधीर रंजन चौधरी ने राष्ट्रपति को लिखी चिट्ठी में माफ़ी मांगते हुए कहा, ‘‘मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यह जुबान फिसलने से कारण हुआ. मैं माफी मांगता हूं और आपसे आग्रह करता हूं कि आप इसे स्वीकार करें.’’
चौधरी के माफ़ी मांग लेने के बाद अब इस पर बहस करने का कोई अर्थ नहीं है कि उन्होंने "राष्ट्रपत्नी" शब्द का इस्तेमाल अपमान करने की नीयत से ही किया था या फिर वाकई उनकी जुबान फिसल गई थी. हालांकि इस एक गलती के चलते कांग्रेस बैकफुट पर आ गई और बीजेपी को उसे घेरने का मौका मिल गया, जिसके कारण संसद के दो दिन भी बर्बाद हुए.
हालांकि सदन चलाने की जितनी जिम्मेदारी विपक्ष की है, उतनी ही सरकार की भी है. चौधरी की इस टिप्पणी से पहले विपक्ष हंगामा कर रहा था, जिसके चलते दोनों सदनों से कई सदस्यों का निलंबन हुआ. चौधरी की टिप्पणी को लेकर लगातार दो दिन तक सत्तापक्ष ने जिस तरह से हंगामा करके सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी, उसे भी संसदीय प्रक्रिया के लिहाज से शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता.
बेहतर तो ये होगा कि बीजेपी भी अब इस मामले को तूल न दे और महंगाई, बेरोजगारी समेत जनहित से जुड़े अन्य मुद्दों पर सदन में सार्थक चर्चा कराये. बीते सोमवार को महंगाई के मुद्दे पर ही लोकसभा से कांग्रेस के 4 सदस्यों का निलंबन हुआ था और अगले दिन राज्यसभा से 19 सदस्यों को निलंबित किया गया था. तब संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने मीडिया से कहा था कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चूंकि अभी अस्वस्थ हैं. जैसे ही वे संसद में आएंगी, सरकार महंगाई पर चर्चा कराएगी. वित्त मंत्री ने गुरुवार से संसद आना शुरु कर दिया है, लिहाजा सरकार को अब अपना वादा पूरा करना चाहिए.
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