कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में होने हैं, लेकिन उससे पहले वहां साम्प्रदायिक माहौल गरमाने की कोशिश हो रही है. ताजा मामला प्रदेश के बीदर जिले की एक ऐतिहासिक मस्जिद (Masjid) व मदरसे (Madrasa) का है, जहां भीड़ ने जबरन घुसकर आपत्तिजनक नारेबाजी की है. इससे पहले हिज़ाब विवाद ने भी कर्नाटक (Karnataka) से ही तूल पकड़ा था. राज्य में बीजेपी की सरकार है, लेकिन कांग्रेस सत्ता छीनने के लिए पूरी ताकत लगा रही है.
कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा भी फिलहाल कर्नाटक से ही गुजर रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि साम्प्रदायिक फ़िजा में नफ़रत का जहर घोलने वाली ये ताकतें कौन हैं, जो ऐसी हरकतों से अगले चुनाव में सियासी फायदा उठाने की ताक में हैं?
बताया गया है कि ये घटना बुधवार-गुरुवार की देर रात 2 बजे की है, जब दशहरा रैली में शामिल कुछ शरारती तत्वों ने महमूद गेवान मदरसा और मस्जिद में अवैध रूप से घुसकर नारेबाजी की और आरोप है कि उन्होंने वहां कचरा भी फेंका. जानकारी के अनुसार देवी की मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जा रही भीड़ में से ही कुछ शरारती तत्व इस मदरसे में जबरन घुसकर नारेबाजी करने लगे.
दरअसल, बीदर जिले में स्थित ऐतिहासिक स्मारक महमूद गवां मदरसा भारतीय पुरातत्व विभाग की एक संरक्षित इमारत है. जाहिर है कि यहां चौबीसों घंटे सुरक्षा भी रहती है, लेकिन शरारती तत्व सुरक्षाकर्मियों को धकेलते हुए जबरन अंदर घुस गए और पूजा करने लगे. हालांकि, बताया गया है कि साल में दो बार कुछ लोग इस इमारत में आकर वहां स्थित एक पेड़ की पूजा करते हैं, जो सामान्य माना जाता है.
बीदर के एसपी डेक्का किशोर बाबू के मुताबिक सदियों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, हिंदू समुदाय के कुछ लोग दशहरा रैली के दौरान मदरसे में पूजा करते हैं, लेकिन इस दौरान तीन या चार लोगों को ही प्रवेश की अनुमति होती है, लेकिन इस बार अवैध रूप से मदरसे में घुसने और शांति भंग करने के आरोप में पुलिस ने नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है, जबकि चार को गिरफ्तार किया गया है.
कर्नाटक के एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) आलोक कुमार के मुताबिक, "पहले ये आम बात हुआ करती थी कि कुछ लोग मदरसा परिसर में घुसकर एक पेड़ की पूजा करते थे. इस बार भारी संख्या में लोग मदरसे में घुसे और मीनार के बगल में पूजा की क्योंकि जिस पेड़ की पूजा की जाती थी वो गिर गया है." चूंकि मामला साम्प्रदायिक सौहाद्र बिगाड़ने से जुड़ा है, लिहाजा इस पर सियासत भी गरमा गई है.
एआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी ने इस घटना का वीडियो ट्वीट करते हुए बीजेपी पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा, "यह दृश्य कर्नाटक के बीदर की ऐतिहासिक महमूद गेवान मस्जिद और मदरसे के हैं. चरमपंथियों ने गेट का ताला तोड़ दिया और अपवित्र करने का प्रयास किया. बीदर पुलिस और बसवराज एस बोम्मई आप ऐसा कैसे होने दे सकते हैं? बीजेपी सिर्फ मुसलमानों को नीचा दिखाने के लिए इस तरह की गतिविधियों को बढ़ावा दे रही है."
मदरसा बोर्ड के सदस्य मोहम्मद शम्सुद्दीन की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि भीड़ जब ताला बंद गेट के पास पहुंची तो वहां कुछ सुरक्षाकर्मी खड़े थे जिन्हें भीड़ धक्का देकर मदरसा परिसर में घुस गई और वहां पूजा की. उनके मुताबिक ''वे जबरदस्ती मदरसा परिसर में घुस गए थे और मस्जिद के गेट पर चंदन फेंका और नारेबाजी की. पहले महज चंद लोग ही आकर पेड़ की पूजा किया करते थे.''
इतिहास के अनुसार इस मदरसे को ईरानी व्यापारी महमूद गवां ने छह सौ साल पहले बनवाया था. वह तुर्कमेनिस्तान और मंगोलिया की ओर से होने वाले हमलों से बचकर बहमनी साम्राज्य के दौर में भारत पहुंचे थे. यह उस दौर में शिक्षा का केंद्र हुआ करता था, जहां धार्मिक शिक्षा के अलावा अन्य विषयों को भी पढ़ाया जाता था. असल में, इस मदरसे और मस्जिद को बहमनी साम्राज्य की निशानी माना जाता है, जिसने दक्कन पर शासन किया था और उसकी राजधानी बीदर थी.
भारतीय और इस्लामिक वास्तुकला का मिश्रण होने के कारण इस स्मारक का अपना विशेष महत्व है. इसका सबसे खास हिस्सा सौ फीट ऊंची वो मीनार है जिसे आम लोग चमकते टाइल्स की वजह से 'कांच का खंबा' कहते हैं. साल 2005 में इस इमारत को स्मारक घोषित करके भारतीय पुरातत्व विभाग के सुपुर्द कर दिया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने स्मारक की सुरक्षा के लिए जरूरी इंतज़ाम नहीं किए हैं.
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