Hanuman Chalisa Row: अज़ान और हनुमान चालीसा के बहाने क्यों बांटा जा रहा है नफ़रत का जहर?
Loudspeaker Row: महाराष्ट्र की राजनीति में धर्म का तड़का कुछ इस कदर बढ़ता जा रहा है कि प्रदेश में बेचैनी का माहौल है और आम इंसान यही दुआ कर रहा है कि ईद का त्योहार शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो जाये. लाउड स्पीकर के जरिये अज़ान बनाम हनुमान चालीसा का विवाद जिस तरीके से दिनोंदिन बढ़ रहा है, उससे तो यही लगता है कि कुछ ताकतें सुनियोजित तरीके से राज्य के साम्प्रदायिक माहौल को खराब करने की कोशिश में जुटी हैं. 3 मई को मस्जिदों के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की राज ठाकरे की धमकी तो अपनी जगह है, लेकिन शनिवार की सुबह से लेकर शाम तक मुंबई में जो ड्रामा हुआ, उसे आगे आनी वाली फिल्म का ट्रेलर समझा जा सकता है. राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के निजी आवास 'मातोश्री' के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने की धमकी देने वाले राणा दंपति को मुंबई पुलिस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन सवाल है कि क्या इससे माहौल शांत हो जाएगा या फिर नफ़रत फैलाने की चिंगारी और भड़केगी?
नवनीत राणा अमरावती से निर्दलीय सांसद हैं, जबकि उनके पति रवि राणा निर्दलीय विधायक हैं. यानी, दोनों का ही किसी पार्टी से संबंध नहीं है, इसलिये ये सवाल उठना लाज़िमी बनता है कि आख़िर अचानक उन्हें ठाकरे के घर के बाहर ही हनुमान चालीसा करने की क्यों सूझी? बीजेपी का कोई जन प्रतिनिधि ऐसा करने का फैसला लेता तो समझा जा सकता था, लेकिन कोई निर्दलीय जन प्रतिनिधि अकेले अपने दम पर ऐसी हिम्मत दिखाये तो शक तो होगा ही कि इसके पीछे कोई और बड़ी ताकत है.
लिहाज़ा, शिवसेना अगर ये आरोप लगा रही है कि बीजेपी ही राणा दंपत्ति की मदद कर रही है तो इसमें गलत क्या है. राज्य में बीजेपी विपक्ष में है और वह ठाकरे सरकार के खिलाफ विपक्ष की राजनीति करते हुए हर ऐसा सियासी दाव आजमा रही है, जिससे वह कमजोर हो, ताकि उसे दोबारा सत्त्ता में काबिज़ होने का मौका मिल सके, लेकिन शिवसेना की ताकत को भी कमजोर करके नहीं आंका जा सकता. शिव सैनिकों ने राणा दंपत्ति को खार स्थित अपने घर से बाहर नहीं निकलने देने पर मजबूर करके उस ताकत का अहसास भी करा दिया. हालांकि शिवसेना की इस हरकत को भी जायज़ नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि किसी जन प्रतिनिधि के घर के बाहर इस तरह का जमावड़ा करके उन्हें घर में ही नजरबंद रहने पर मजबूर कर देना, सरासर गुंडागर्दी है.
शिवसेना नेता संजय राउत के अपने तर्क हैं. वे सवाल करते हैं कि "अगर कोई मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करेगा तो शिवसेना चुप बैठेगी क्या? अगर आप हमारे घर पर पहुंचेंगे तो हमें भी उसी भाषा में जवाब देने का अधिकार है. महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था आप लोग खराब कर रहे हैं. अगर हिम्मत है तो सामने आकर लड़ें." राणा दंपत्ति पर निशाना साधते हुए उन्होंने ये भी कहा कि "यदि आप किसी और के समर्थन से हमारे मातोश्री में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे हैं तो शिवसैनिक आक्रामक होगा, शिवसैनिक चुप नहीं बैठेगा." हालांकि इससे पहले संजय राउत ने राणा दंपति को बंटी और बबली की जोड़ी भी करार दिया था.
उधर, पुलिस हिरासत में लिए जाने से पहले नवनीत राणा ने भी उद्धव सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि शिवसेना गुंडों की पार्टी बन गई है. सीएम उद्धव ठाकरे केवल लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज करना और उन्हें सलाखों के पीछे डालना जानते हैं. वह महाराष्ट्र में बंगाल जैसी स्थिति पैदा कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे ने आज शिव सैनिक नहीं बल्कि अपने गुंडे हमारे घर भेजे हैं, क्योंकि असली शिव सैनिक तो बाला साहब के साथ ही कब के चले गए. अब बड़ा सवाल ये है कि अज़ान और हनुमान चालीसा के बहाने समाज में नफ़रत का जहर फैलाने की ये सियासत कहां जाकर रुकेगी?
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)