उत्तर प्रदेश में एक भगवाधारी महंत बजरंग मुनि दास ने मुस्लिम महिलाओं का बलात्कार करने संबंधी विवादास्पद बयान देकर न सिर्फ अपने धर्म को शर्मसार किया है, बल्कि सूबे के माहौल में भी साम्प्रदायिकता का जहर घोलने का अपराध किया है. हालांकि इस तथाकथित महंत के बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने और राष्ट्रीय महिला आयोग के दखल देने के बाद सीतापुर पुलिस ने उसके ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज कर लिया है. जबकि कोई आम नागरिक होता, तो ऐसे मामले में पुलिस अब तक उसे गिरफ्तार कर चुकी होती.


लेकिन सवाल उठता है कि भगवा वस्त्र पहनकर धर्म का स्वयंभू ठेकेदार बनने वाले ऐसे लोग आखिर किसकी शह पर इस तरह की बेहूदगी खुले आम कर रहे हैं? यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ऐसे तथाकथित महंतों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने से आखिर कतराती क्यों है? मुख्यमंत्री आदित्यनाथ खुद एक संन्यासी हैं जो नाथ सम्प्रदाय के विलक्षण प्रतिभाशाली महंत गुरु गोरखनाथ की गद्दी को भी संभाले हुए हैं. ऐसी किसी भी घटना पर उनकी चुप्पी से ऐसी मानसिकता रखने वाली कट्टरपंथी ताकतों को तो और बढ़ावा मिलता ही है लेकिन साथ ही इससे उनकी प्रतिष्ठा पर भी दाग लगता है. वैसे भी संविधान की शपथ लेने वाले हर मुख्यमंत्री को हमेशा ये याद रखना चाहिए कि उनकी पार्टी को अल्पसंख्यकों ने भले ही वोट न दिया हो, लेकिन कुर्सी संभालने के बाद वे पूरे प्रदेश की जनता के रहनुमा बन जाते हैं और हर धर्म-वर्ग के लोगों के साथ समान व्यवहार करना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना ही उनका पहला दायित्व बनता है.


दरअसल, सीतापुर में बड़ी संगत के स्वयंभू महंत बजरंग मुनि दास ने मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ विवादित बयान देकर प्रदेश के माहौल को बिगाड़ने की कोशिश है. कानूनी कार्रवाई के डर से महंतजी अब माफी मांगकर ये कहते हुए बच नहीं सकते कि अनजाने में उनसे ये गलती हो गई. क्योंकि उन्होंने मुस्लिम महिलाओं के बारे में सारी अभद्र बातें सार्वजनिक रूप से और वह भी एक मस्जिद के सामने कही हैं, इसलिये कानून के मुताबिक उनके ख़िलाफ़ जुर्म तो और भी ज्यादा संगीन बनता है. बताया गया है कि बीती 2 अप्रैल को सीतापुर में नव संवत्सर के मौके पर जुलूस निकाला गया था, जिसमें सिर पर कलश लिए हुए बड़ी संख्या में महिलाएं भी. शामिल थीं. एक गाड़ी में महंत बजरंग भी अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ सवार थे. जुलूस जब शहर के खैराबाद क्षेत्र के शीशे वाली मस्जिद के सामने पहुंचा, तो महंत ने माईक पर भाषण देना शुरू कर दिया. इसी भाषण में उन्होंने मुस्लिम महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी. किसी ने उसी भाषण का वीडियो बना लिया और उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया.


उस वीडियो में महंत ये कहते दिख रहे हैं कि "अगर कोई हिंदू लड़की छेड़ी तो... तुम्हारी बहू, बेटियों को खुलेआम उठाकर लाऊंगा.. महंत यहीं नहीं रुका, उसने कहा कि मेरी हत्या के लिए ... 28 लाख रुपए इकट्‌ठा किया गया है. वहां के लोग भी सुन लो अब न ... रहेगा और न तुम लोग रहोगे."


हैरानी की बात ये है कि जब उन्होंने ये विवादित बयान दिया, तब उनकी सुरक्षा में तैनात यूपी पुलिस के दो गनर भी उनके साथ ही थे. उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद मामले की नज़ाकत को देखते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग भी हरकत में आ गया और यूपी के डीजीपी को पत्र लिखकर इस पर तुरंत कार्रवाई की मांग की. राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि "एक खास समुदाय की महिलाओं के साथ विवादित बयान देने वाले लोग सार्वजनिक रूप से स्वीकार्य नहीं हैं. हमने आज ही यूपी के डीजीपी को लिखा है और मैं इस मामले को व्यक्तिगत रूप से उनके साथ उठाने जा रही हूं. चाहे वे धार्मिक संत हों या कोई भी, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए. यूपी डीजीपी से 7 दिन में इस मामले की रिपोर्ट मांगी है. रेखा शर्मा ने ये भी कहा कि हम ऐसी शिकायतें बार-बार ले रहे हैं और उन्हें पुलिस के पास ले जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि मामले कम नहीं हो रहे हैं."


शुक्रवार को ही महंत बजरंग मुनि का एक और वीडियो चर्चा में आ गया. इसमें महंत ने दावा किया कि कुछ लोग उसकी हत्या करने की प्लानिंग कर रहे हैं. हालांकि, मामले के तूल पकड़ने के बाद मुनि दास ने कहा कि "अगर मेरी किसी भी बात से माताओं-बहनों को ठेस पहुंची है तो मैं सभी से क्षमा मांगता हूं. मैं सभी नारी जाति का सम्मान करता हूं." लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कल कोई मुस्लिम, सिख या ईसाई धर्म गुरु भी आहार हिन्दू महिलाओं के लिए सार्वजनिक रूप से ऐसी ही भाषा में अपना बयान देता है और बाद में माफी मांग लेता है, तो उसे भी छोड़ दिया जाएगा या फिर कोई और सलूक किया जाएगा.


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