नहीं पच रही एक खिलाड़ी के पीएम रहते पाकिस्तान में खेलों की इतनी दुर्दशा
इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन ने सुरक्षा कारणों से भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाले डेविस कप मुकाबले को न्यूट्रल वेन्यू पर करवाने का फैसला किया है. पाकिस्तान के लिए ये बहुत बड़ा सबक है. पढ़िए वरिष्ठ खेल पत्रकार शिवेंद्र कुमार सिंह का ब्लॉग
पाकिस्तान के खेल प्रेमियों के लिए इससे बुरा समय शायद कभी नहीं रहा होगा. खेल का कोई भी मैदान हो इन दिनों पाकिस्तान सिर्फ पिट रहा है. पाकिस्तान के लिए सबसे ताजा झटका है अंतर्राष्ट्रीय टेनिस फेडरेशन का फैसला. आखिरकार फेडरेशन ने तय किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले डेविस कप के मैच अब न्यूट्रल वेन्यू पर खेले जाएंगे. ये मुकाबले 29 और 30 नवंबर को खेले जाने थे. फेडरेशन ने इस फैसले को लेकर कहा कि किसी भी आयोजन में पहली प्राथमिकता एथलीटों, अधिकारियों और दर्शकों की सुरक्षा है. फिलहाल इस कसौटी पर पाकिस्तान के पक्ष में बात बनती नहीं दिखती. हालांकि फेडरेशन ने न्यूट्रल वेन्यू को चुनने का विकल्प पाकिस्तान को दिया है. हाल ही में श्रीलंका की क्रिकेट टीम वनडे और टी-20 सीरीज खेलने के लिए पाकिस्तान के दौरे पर थी. उस दौरे को लेकर पाकिस्तान में खूब किचकिच हुई. पाकिस्तान के अवाम से लेकर मीडिया तक ये चर्चा खूब गरम रही कि पाकिस्तान ने बेवजह इस सीरीज का आयोजन किया. इस नाराजगी में घी और पड़ गया जब श्रीलंका की टीम ने भी घरवापसी के बाद कहाकि पाकिस्तान में उन्हें कैदी बनाकर रखा गया. उन्हें होटल से बाहर निकलने या शॉपिंग करने की छूट तक नहीं थी. जिस रास्ते से टीम गुजरती थी वहां कर्फ्यू जैसे हालात नजर आते थे. आपको याद दिला दें कि करीब एक दशक पहले श्रीलंका की टीम पर ही पाकिस्तान में आतंकी हमला हुआ था. जिसके बाद से वहां बड़ी अंतर्राष्ट्रीय टीमों का दौरा नहीं होता.
शुरू हो गया है पाकिस्तान टेनिस फेडरेशन का रोना
अब डेविस कप के मैचों की मेजबानी छिनने के बाद पाकिस्तान टेनिस फेडरेशन के एक वर्ग में नाराजगी भी है. लेकिन सच्चाई ये है कि हर कोई इस बात को समझ रहा है कि और किसी टीम का तो नहीं पता लेकिन भारतीय खिलाड़ियों का पाकिस्तान जाना तो इस वक्त किसी हाल में सही नहीं है. करीब पांच दशक के बाद ये मौका आया था कि भारतीय टीम को पाकिस्तान में टेनिस खेलना था. लेकिन कश्मीर में आर्टिकल 370 और 35 ए पर भारतीय सरकार के फैसले के बाद तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. पाकिस्तान ने आनन-फानन में तमाम ऐसे फैसले किए जिसे देखकर उसकी बौखलाहट समझ आने लगी. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से लेकर उनके मंत्रियों ने तमाम भड़काऊ बयान दिए. इमरान खान ने तो अंतर्राष्ट्रीय से भी अशांति की बात की. जिसके बाद उन्हें दुनिया भर से लानतें मिलीं. यहां तक कि पाकिस्तान के तमाम पूर्व खिलाड़ी ये आवाज उठा रहे हैं कि इमरान खान ने पीएम बनने के बाद खेलों के हालात सुधारने के लिए क्या किया. कोढ़ में खाज की स्थिति तब पैदा हो गई जब पिछले दिनों ऑडिटर जनरल की रिपोर्ट में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड में 19 अरब रुपये के घोटाले की खबर आई. इन घोटालों में शामिल पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के तमाम आला अधिकारियों को इमरान खान का करीबी बताया जाता है. खेलों में सुधार के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स के बनाने की बात भी थी लेकिन उस टास्क फोर्स के स्वरूप को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं है. इसके अलावा इमरान खान ने डिपार्टमेंट क्रिकेट की संरचना में बदलाव किया है. जिसके बाद पाकिस्तान में तमाम पूर्व खिलाड़ी टैक्सी चलाने को मजबूर हैं. पिछले दिनों ऐसे ही एक खिलाड़ी का वीडियो बहुत वायरल हुआ था.
क्रिकेट और हॉकी में भी हुई थी किरकिरी
मंगलवार को ही ऑस्ट्रेलिया में पाकिस्तान की टीम की किरकिरी हुई. पहले टी-20 मैच में तो पाकिस्तान को बारिश ने बचा लिया था. लेकिन दूसरे टी-20 मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 7 विकेट के बड़े अंतर से हराया. ऑस्ट्रेलिया ने ये मैच 9 गेंद पहले ही जीत लिया. श्रीलंका के खिलाफ अपने ही घर में मिली शर्मनाक हार के बाद पाकिस्तान क्रिकेट टीम की हार का सिलसिला जारी है. बाबर आजम की कप्तानी को लेकर पाकिस्तान में जंग का माहौल छिड़ा हुआ है. गिने-चुने लोगों को छोड़कर हर किसी की राय यही है बाबर आजम को कप्तानी सौंपने का फैसला गलत था. कुछ ऐसा ही बुरा हाल पाकिस्तानी हॉकी का भी है. अभी एक हफ्ता ही बीता है जब पाकिस्तान की टीम का ओलंपिक में खेलने का सपना टूटा है. पाकिस्तानी हॉकी के इतिहास में ये दूसरा मौका है जब पाकिस्तान की टीम ओलंपिक में नहीं नजर आएगी. तीन बार की गोल्ड मेडलिस्ट टीम पाकिस्तान का ओलंपिक खेलने का सपना हॉलैंड की टीम ने तोड़ा था.