देश में इमरजेंसी थोपने की सजा का अहसास सत्ता से बाहर होकर करने वाली इंदिरा गांधी ने तब कांग्रेस के एक सम्मेलन में कहा था, 'अगर आपको लगता है कि मैं डर गई और कांग्रेस अब खत्म हो गई, तो फिर आपकी सोच गलत है. न मैं डरी हूं और न ही कांग्रेस कभी खत्म होगी. लेकिन हां, आपमें से जो भी इस नयी बनी जनता पार्टी की सरकार से डर गए हैं, वे आज ही कांग्रेस छोड़कर जा सकते हैं. हमें पार्टी में डरपोक लोग नहीं चाहिए."


करीब 43 बरस बाद शनिवार को राहुल गांधी ने अपनी दादी की उसी तीखी भाषा को दोहराते हुए कांग्रेस के  असंतुष्टों को कड़ा संदेश देने के साथ ही नसीहत देने का जज़्बा भी दिखाया है. उनके इस बयानरूपी तीर ने एक साथ कई निशाने साधे हैं. एक तरफ जहां पंजाब और राजस्थान में वर्चस्व को लेकर जारी गुटबाजी करने वाले नेताओं को कड़ा संदेश दिया है, तो वहीं इशारों ही इशारों में केंद्र सरकार को भी बता दिया है कि गांधी परिवार के सदस्य न डरपोक हैं और न ही झुकने वालों में से हैं.


कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थामने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और जितिन प्रसाद को परोक्ष रुप से डरपोक बताते हुए राहुल गांधी के निशाने पर पार्टी के वे 23 नेता भी हैं जिन्होंने कुछ अरसा पहले पार्टी में नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. जिसमें गुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी जैसे नेता शामिल थे.


शक के घेरे में कांग्रेस के कुछ नेताओं की वफादारी
दरअसल, राहुल गांधी को ये भनक है कि कांग्रेस के कुछ नेता अब भी बीजेपी के संपर्क में हैं और वे किसी भी दिन पाला बदल सकते हैं. लिहाजा उन्हें पार्टी का वफादार नहीं माना जा सकता. राजस्थान में सचिन पायलट ने तो पार्टी से नाता तोड़ना लगभग तय ही कर लिया था लेकिन एन वक़्त पर वसुंधरा राजे सिंधिया के तीखे विरोध के चलते बीजेपी में उनकी एंट्री नहीं हो पाई. इसलिए कांग्रेस में रहना उनकी मजबूरी बन गई.


एक और बड़ा नाम गुलाम नबी आज़ाद का है जिनके बारे में चर्चा है कि वे अगले साल होने वाले जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों के ऐलान से पहले ही कांग्रेस को छोड़कर अपनी नई पार्टी बना सकते हैं. उनके चुनावी-मैदान में कूदने से कश्मीर घाटी में फारूक अब्दुल्ला व महबूबा मुफ़्ती की पार्टी के वोट बैंक पर असर पड़ना लाजिमी है. इसलिए घाटी में एक नई राजनीतिक ताकत का उभरना बीजेपी को भी मुफीद लगता है. हालांकि आज़ाद ने अभी पार्टी छोड़ी नहीं है लेकिन कुछ महीने पहले जिस तरह से जम्मू में एक कार्यक्रम के जरिए अपनी ताकत की नुमाइश की, उससे गांधी परिवार खफा है. इसलिए उनकी वफादारी भी अब शक के घेरे में है.


वफ़ादार न रहने वालों को कांग्रेस की चेतावनी
राहुल गांधी ने शुक्रवार को पार्टी के सोशल मीडिया से जुड़े कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए एक बात ये भी कही थी कि "जिन्हें कांग्रेस छोड़कर अपनी नई पार्टी या मोर्चा बनाना है, बेहतर है कि वे अभी ही बाहर चले जाएं क्योंकि पार्टी के साथ वफ़ादार न रहने पर कांग्रेस उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने में देर नहीं लगाने वाली है." 
दरअसल,उनका ये इशारा गुलाम नबी आज़ाद जैसे नेताओं के लिये ही था.


राहुल के लिए आक्रामक रुख अपनाना इसलिए भी जरुरी हो गया था कि असंतुष्ट नेताओं की आपसी कलह के चलते पार्टी की इमेज तो खराब हो ही रही है. साथ ही उन कार्यकर्ताओं में भी डर बैठने लगा है जो पूरी निष्ठा के साथ आज भी कांग्रेस से जुड़े हुए हैं. उनमें नया जोश भरने के लिए ही राहुल को ये कहना पड़ा कि, "पार्टी को केवल साहसी लोगों की जरूरत है, न कि उन लोगों की जो बीजेपी से डरते हैं. बहुत सारे लोग कांग्रेस के बाहर हैं, जो डर नहीं रहे हैं, उनको अंदर लाओ. जो हमारे यहां डर रहे हैं, उनको बाहर निकालो." उन्होंने कहा कि हमें बहादुर और साहसी लोगों की जरूरत है, यही हमारी विचारधारा है.  


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