इस बात को लेकर कतई बहस नहीं है कि केएल राहुल प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं या नहीं? क्योंकि केएल राहुल की काबिलियत पर हर किसी को भरोसा है. बहस इस बात को लेकर है कि अगर केएल राहुल लगातार आउट ऑफ फॉर्म चल रहे हैं तो भी उन्हें प्लेइंग-11 में बनाए रखने का क्या औचित्य है?
इस सवाल का जवाब फिलहाल ढूंढे नहीं मिल रहा है. वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच के पहले जब विराट कोहली ने प्लेइंग-12 का ऐलान किया तो उसमें भी केएल राहुल का नाम शामिल है. सवाल ये है कि अगर खिलाड़ी से मैदान में बार-बार कोई गलती हो रही है तो उसे सुधारने का मौका उसे मैच की बजाए नेट्स में क्यों नहीं दिया जा रहा है. क्या ये बेहतर नहीं होता कि केएल राहुल को प्लेइंग 11 से बाहर कर नेट्स में और ज्यादा मेहनत करने को कहा जाता. उन्हें अपनी गलती को सुधारने का मौका दिया जाता. लगातार मैच खेलने की बजाए उन्हें अपनी बल्लेबाजी का आंकलन करने का वक्त मिलता. लेकिन ऐसा हो नहीं रहा.
कहीं अगर बदकिस्मती से केएल राहुल अगले टेस्ट मैच में भी नहीं चले तो उसके दो नुकसान होंगे. पहला- ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए उन्हें चुनने पर हो हल्ला मचेगा और दूसरा उनका अपना आत्मविश्वास और ज्यादा हिल जाएगा. आपको याद ही होगा कि वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में आसान पिच पर भी वो रन नहीं बना पाए थे.
मयंक अग्रवाल को मिलनी चाहिए थी जगह
मयंक अग्रवाल घरेलू क्रिकेट में करीब एक हजार रन बनाकर आ रहे हैं. उन्हें टीम में चुना गया है. बेहतर होता अगर विराट कोहली अगले टेस्ट मैच के प्लेइंग 11 में उन्हें शामिल करते. ऐसा करके उन्हें ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दौरे से पहले एक और बल्लेबाज की काबिलियत को जांचने का मौका मिलता. मयंक अग्रवाल के साथ भी न्याय हुआ होता क्योंकि अब तो स्थिति ये है कि बगैर एक भी मैच खेले वो टीम इंडिया से बाहर हो जाएंगे. इस बात की उम्मीद ना के बराबर है कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के लिए उन्हें चुना जाएगा.
मयंक अग्रवाल को आजमाने में इसलिए भी कोई खतरा नहीं था क्योंकि मैदान में उतरने से पहले ही वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया की जीत पक्की है. ऐसे में अगर एक अनुभवी खिलाड़ी के बाहर बैठने पर टीम इंडिया थोड़ी हल्की भी हो जाती तो भी वेस्टइंडीज पर काफी भारी ही पड़ती. लेकिन विराट कोहली, कोच और चयनकर्ताओं ने इस पहलू को नजरअंदाज किया.
आप भी देखिए केएल राहुल का हालिया प्रदर्शन
केएल राहुल का बल्ला हाल के दिनों में खामोश रहा है. इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी टेस्ट मैच की दूसरी पारी में उन्होंने 149 रनों वाला एक धुंआधार शतक जरूर लगाया था लेकिन टीम के हित में उस शतक का कोई महत्व नहीं था. टीम इंडिया उस मैच को हार ही चुकी थी. केएल राहुल और ऋषभ पंत के शतक से हार का अंतर थोड़ा कम हो गया. उस शतक की अगर कोई कीमत थी तो वो तब बनती अगर ये दोनों बल्लेबाज मैच को ड्रॉ करा लेते. जिसके लिए करीब एक सेशन तक क्रीज पर वक्त बीताना था. खैर, ऐसा हुआ नहीं.
इंग्लैंड के खिलाफ सभी 5 टेस्ट मैच मे वो खेले. जिसमें उन्होंने उन्होंने कुल 299 रन बनाए थे. जिसमें आखिरी टेस्ट मैच के 149 रन भी शामिल हैं. बाकि की पारियों में कुल 150 रन उनके बल्ले से निकले. इससे पहले दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 2 टेस्ट मैच की चार पारियों को मिलाकर उन्होंने कुल 30 रन बनाए थे. इन दोनों सीरीज के बीच अफगानिस्तान के खिलाफ खेले गए इकलौते टेस्ट मैच में उन्होंने 54 रन जरूर बनाए थे.
बदकिस्मती देखिए कि वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में जब टीम इंडिया के सभी टॉप बल्लेबाजों ने खुलकर रन बटोरे केएल राहुल बगैर खाता खोले आउट हो गए. केएल राहुल के टीम में बने रहने को लेकर एक और पहलू पर विचार करना होगा. जब रोहित शर्मा, मुरली विजय या शिखर धवन मौजूदा फॉर्म के आधार पर टीम से बाहर किए जा सकते हैं तो केएल राहुल के रिकॉर्ड्स के मद्देनजर उन्हें कब तक मौका दिया जाता रहेगा.