(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
20-20 के चक्कर में देश की टीम को ठेंगा दिखाते खिलाड़ी
टी-20 का भूत पूरी दुनिया के क्रिकेट खिलाड़ियों के सर पर चढ़ गया है. इसका नशा इस कदर है कि वेस्टइंडीज के खिलाड़ी अपने देश से ज्यादा टी-20 लीग खेलने में मशगूल है.
वेस्टइंडीज की टीम का कड़वा सच यही है. क्रिस गेल जैसा अनुभवी और धुरंधर खिलाड़ी डंके की चोट पर ये कहने की हिम्मत रखता है कि वो भारत के खिलाफ होने वाली वनडे सीरीज की टीम के चयन के लिए उपलब्ध नहीं है. ऐसा इसलिए उसे अफगानिस्तान में लीग के मैच उसी वक्त खेलने है जिस वक्त उनकी राष्ट्रीय टीम भारत के खिलाफ मैदान में पसीना बहा रही होगी.
अफसोस इस बात का है कि ऐसा नहीं कि वेस्टइंडीज के किसी खिलाड़ी ने पहली बार राष्ट्रीय टीम की बजाए टी-20 को तवज्जो दी हो. वहां ऐसा पहले भी होता रहा है. साथ ही ऐसा भी नहीं है कि ये गलती करने वाले क्रिस गेल पहले खिलाड़ी हैं. वेस्टइंडीज के कई दूसरे खिलाड़ी भी पहली प्राथमिकता टी-20 लीग को ही देते हैं. इसके पीछे उनकी वजह को भी आंख मूंदकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
यही वजह है कि कभी दुनिया भर की क्रिकेट टीमों पर राज करने वाली वेस्टइंडीज की टीम की हालत बहुत खराब है. भारत के दौरे पर पहले टेस्ट मैच में उसे शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. तीन दिन से भी कम के समय में टेस्ट मैच खत्म हो गया. वनडे क्रिकेट में वेस्टइंडीज की टीम टक्कर दे सकती थी लेकिन क्रिस गेल जैसे बल्लेबाज के ना होने से वो उम्मीद भी कम ही बची है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि भारतीय पिचों पर अच्छा प्रदर्शन करने वाले वेस्टइंडीज के स्थापित खिलाड़ियों में सुनील नारायण और ड्वेन ब्रावो को चयनकर्ताओं ने भारत दौरे के लिए चुनी गई टीम में जगह नहीं दी है. क्या इस हालात के लिए बोर्ड जिम्मेदार नहीं ?
इस सवाल का जवाब बिल्कुल सीधा है. इस बुरी स्थिति के लिए जितने जिम्मेदार वेस्टइंडीज के खिलाड़ी हैं उतना ही जिम्मेदार वहां का बोर्ड है. करीब डेढ़ दशक पहले वहां खिलाड़ियों की प्रायोजक कंपनी को लेकर विवाद हुआ था. बोर्ड की प्रायोजक कंपनी और खिलाड़ियों की प्रायोजक कंपनी एक दूसरे की ‘कंपटीटर’ हुआ करती थीं. खिलाडियों की आर्थिक स्थिति वहीं से बिगड़नी शुरू हुई थी. जिसके बाद वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड कभी भी अपने खिलाडियों को वो ‘फाइनेंशियल सेक्योरिटी’ नहीं दे सका जिसके वो खिलाड़ी हकदार थे.
बीच बीच में समझौते की खबरें आईं लेकिन वो समझौते ज्यादा दिन चले नहीं. एक के बाद एक बोर्ड में विवाद बढ़ता ही चला गया. इसी दौरान आईपीएल की शुरूआत हुई. आईपीएल में पूरी दुनिया में धूम मचाई. इसके बाद दुनिया भर के अलग अलग देशों में टी-20 लीग खेली और देखी जाने लगी. चूंकि बोर्ड से मिलने वाली रकम का कोई ठिकाना नहीं था इसलिए वेस्टइंडीज टीम के खिलाड़ियों ने दुनिया भर में घूम घूम कर टी-20 लीग खेलना शुरू कर दिया. जिसका नतीजा ये हुआ कि उनकी प्राथमिकताओं में राष्ट्रीय टीम धीरे धीरे पिछड़ती चली गई. अब आज जो हालात हैं वो दुनिया के सामने हैं. कोई ऐक्शन लेने की स्थिति में भी नहीं है बोर्ड
वेस्टइंडीज क्रिकेट बोर्ड को भी स्थिति का अंदाजा है. इसीलिए गेल के मना करने के बाद भी वो इसी बात से संतुष्ट है कि गेल ने खुद को अगले साल होने वाले विश्व कप के लिए ‘अवेलेबल’ रखा है. यहां ये बताना जरूरी है कि इंडियन प्रीमियर लीग की तर्ज पर दुनिया भर में इस वक्त कई लीग खेली जाती हैं. जिसमें खिलाड़ियों को मोटी रकम मिलती है.
इसमें ऑस्ट्रेलिया में होने वाली बिग बैश, पाकिस्तान क्रिकेट लीग, श्रीलंका क्रिकेट लीग, बांग्लादेश प्रीमियर लीग जैसी लीग बड़े पैमाने पर आयोजित की जा रही हैं. इन लीग में वेस्टइंडीज के खिलाड़ी काफी ज्यादा मात्रा में नजर आते हैं. वेस्टइंडीज के सामने आई मौजूदा समस्या की जड़ में यही कहानी है.
वेस्टइंडीज को भारत के खिलाफ पांच वनडे मैचों की सीरीज खेलनी है. जो 21 अक्टूबर से शुरू हो रही है. इसके बाद तीन टी-20 मैच भी खेले जाने हैं. गनीमत है कि टी-20 में कीरॉन पोलार्ड समेत कुछ स्थापित चेहरे आपको मैदान में दिखाई देंगे. टी-20 सीरीज 4 नवंबर से खेली जाएगी. दो टेस्ट मैचों की सीरीज में वेस्टइंडीज की टीम पहले ही 1-0 से पीछे चल रही है.