क्या 'राम' के नाम पर ही लड़ा जाएगा 2024 का लोकसभा चुनाव?
Lok Sabha Elections 2024: आपको याद होगा कि कुछ साल पहले उछला ये नारा आज भी देश में प्रचलित है कि "मोदी है तो मुमकिन है." हालांकि, इस नारे में इस्तेमाल किए गए "मुमकिन" शब्द को लेकर संघ ने भी कभी कोई नाराजगी आज तक नहीं जताई क्योंकि ये उर्दू भाषा का शब्द है और संघ का सारा जोर इस पर रहता है कि बेशक आप संस्कृत न बोलें, लेकिन अपनी मातृभाषा हिन्दी का प्रयोग करना कभी न भूलें, लेकिन अगर कोई ये कहे कि मोदी अपनी वाणी के साथ ही राजनीति में भी नए प्रयोग करने के उस्ताद हैं तो शायद कम ही लोग होंगे जो इससे इनकार करेंगे.
पिछले साढ़े आठ सालों में वे ऐसे बहुतेरे प्रयोग करके जनता की नब्ज को समझ-पकड़ चुके हैं, लेकिन सियासी भाषा में ये कहना गलत नहीं होगा कि पीएम मोदी ने आगामी लोकसभा चुनावों से पहले एक ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेल दिया है जो कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को तोड़ने का धार्मिक भावनाओं से जुड़ा ऐसा भावनात्मक जवाब है, जिसके आगे विपक्ष के सारे हथियार बेकार साबित हो सकते हैं.
1 जनवरी 2024 को तैयार हो जाएगा अयोध्या मंदिर
इस बार मोदी ने अपने सबसे विश्वस्त सहयोगी व गृह मंत्री अमित शाह को ये सेहरा पहना दिया कि वे ही इस महत्वपूर्ण तारीख का ऐलान करें, ताकि इसका राजनीतिक संदेश भी दूर तक जाये. अमित शाह ने 5 जनवरी को त्रिपुरा में ऐलान किया है कि 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में गगनचुंबी राम मंदिर तैयार हो जाएगा. अमित शाह इस समय चुनावी राज्य त्रिपुरा के दौरे पर हैं. वहां उन्होंने जन विश्वास यात्रा के तहत एक रैली में राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख का खुलासा तो कर दिया लेकिन इसे विपक्षी खेमे के लिए किसी भूचाल से कम नहीं समझना चाहिए. अमित शाह ने तो ताना मारते हुए ये भी कहा कि 2019 में राहुल गांधी पूछते थे कि मंदिर कब बनाओगे? मैं उन्हें बताना चाहता हूं, कान खोलकर सुन लें- 1 जनवरी 2024 को अयोध्या में गगनचुंबी राम मंदिर आपको तैयार मिलेगा.उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि जब से देश आजाद हुआ, तब से कांग्रेसी इसको कोर्ट में उलझा रहे थे. मोदी जी आए. एक दिन सुबह सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और मोदी जी ने उसी दिन राम मंदिर का भूमि पूजन पूरा कर मंदिर निर्माण शुरू करा दिया. 1 जनवरी. 2024 को अयोध्या में राम मंदिर तैयार मिलेगा.
राम नाम से जुड़ी हुई है करोड़ों हिंदुओं की आस्था
राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन जनवरी 2024 में ही कराने की जल्दवाजी के पीछे बीजेपी का राजनीतिक उद्देश्य साफ नजर आता है क्योंकि उसे लगता है कि राम का नाम ही ऐसा है, जिससे करोड़ों हिंदुओं की आस्था जुड़ी हुई है और वही 2024 के चुनाव में बेड़ा पार लगा सकते हैं. जाहिर है कि उसी साल अप्रैल-मई में लोकसभा के चुनाव होने हैं, लिहाजा, लोगों को आस्था की इस भक्ति में इतना डूबा दिया जाये कि वे महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों को पूरी तरह से भूल जायें. अयोध्या में बन रहे भव्य राम मन्दिर को लेकर किसी को भी कोई ऐतराज नहीं है और होना भी नहीं चाहिए, लेकिन जब धर्म ही राजनीति की आड़ बन जाये और उसके आधार पर ही चुनावी राजनीति होने लगे,तब अवश्य ही वो एक बड़े खतरे का संकेत है. राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख के ऐलान से एक सवाल ये भी उठ रहा है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जवाब में बीजेपी क्या अपना धार्मिक एजेंडा सेट कर रही है. वह इसलिये कि राहुल अपनी यात्रा में लगातार बीजेपी सरकार की नफरत और डर फैलाने वाली राजनीति के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए लोगों को जागरूक कर रहे हैं. इसका उन्हें कितना सियासी फायदा मिलेगा, ये तो फिलहाल कोई नहीं जानता, लेकिन सवाल ये है कि अगर 2024 का चुनाव भी राम मंदिर के नाम पर ही लड़ा जायेगा तो लोगों को ये पूछने का इतना हक तो मिलना ही चाहिये कि इन दस सालों में इस सरकार ने उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए क्या-कुछ किया है?
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