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क्या अब भारतीय क्रिकेट में सिर्फ वही होगा जो विराट कोहली चाहेंगे?
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या इस वक्त विराट कोहली भारतीय क्रिकेट के सबसे ताकतवर शख्स हैं ? क्या अब भारतीय क्रिकेट में सिर्फ वही होगा जो विराट कोहली चाहेंगे ? इन सवालों को किसी आरोप के तौर पर देखने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस सवाल का जवाब पिछली कुछ घटनाओं को आधार बनाकर खोजने की जरूरत है.
यूं तो इन सभी बातों से आप भी अब तक वाकिफ हो ही गए होंगे. फिर भी कहानी की शुरूआत से पहले इसका जिक्र करना जरूरी है. करीब तीन हफ्ते तक चली माथापच्ची के बाद आखिरकार रवि शास्त्री को टीम इंडिया का कोच चुन लिया गया है. रवि शास्त्री को 2019 विश्व कप तक के लिए टीम की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
उनके साथ जहीर खान को गेंदबाजी कोच बनाया गया है. साथ ही विदेशी दौरे पर राहुल द्रविड़ टीम इंडिया के बल्लेबाजों को टिप्स देंगे. रवि शास्त्री को कोच चुनने वाली कमेटी में सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण शामिल थे.
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या इस वक्त विराट कोहली भारतीय क्रिकेट के सबसे ताकतवर शख्स हैं ? क्या अब भारतीय क्रिकेट में सिर्फ वही होगा जो विराट कोहली चाहेंगे ? इन सवालों को किसी आरोप के तौर पर देखने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस सवाल का जवाब पिछली कुछ घटनाओं को आधार बनाकर खोजने की जरूरत है.
पिछले कुछ फैसलों में सिर्फ विराट की चली
कोच के अलावा भी हाल के समय में कुछ और फैसले हैं, जिनका जिक्र किया जाना चाहिए. सबसे पहला चौंकाने वाला फैसला तो तब हुआ था जब आर अश्विन चैंपियंस ट्रॉफी खेलने के लिए लंदन गए थे. किसी भी खिलाड़ी के अनफिट होने के बाद टीम में वापसी का ये फॉर्मूला कुंबले और कोहली ने ही बनाया था कि जब तक वो खिलाड़ी मैचफिट नहीं होगा उसे टीम में नहीं रखा जाएगा.
रोहित शर्मा, मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ियों ने घरेलू मैचों में फिटनेस साबित करके टीम में वापसी की थी लेकिन जब आर अश्विन की बारी आई तो उन्हें बगैर मैच फिटनेस जांचे ही टीम में जगह दे दी गई. इसके बाद अनिल कुंबले का मामला तो पूरी दुनिया ने देखा. जरा सोच कर देखिए कि विराट कोहली ने उस कोच को हटवाने का फैसला किया जो खिलाड़ी के तौर पर तो बहुत बड़ा कद रखता ही है साथ ही साथ उसे सचिन-सौरव और लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ियों ने चुना था.
श्रीलंका के खिलाफ हालिया टेस्ट सीरीज के लिए चुनी गई टीम में भी विराट कोहली की ही चली. जहां उन्होंने करूण नायर को बाहर का रास्ता दिखाकर रोहित शर्मा के लिए जगह बनाई. करूण नायर का तिहरा शतक रोहित शर्मा के तीन अर्धशतक के आगे बेकार चला गया. चैंपियंस ट्रॉफी में युवराज सिंह को खिलाने के लिए सुरेश रैना की बलि देने का फैसला भी विराट कोहली का ही था.
कोच के ऐलान को लेकर भी रही भ्रम की स्थिति
मंगलवार को कोच के ऐलान से पहले की स्थिति भी भ्रम की रही. 10 तारीख को मीटिंग के बाद सौरव गांगुली ने कहा था कि अभी कोच के नाम पर फैसला नहीं हो पाया है. इसके लिए सभी दावेदारों की सोच समझ पर बात हो गई है, लेकिन विराट कोहली से भी एक बार बात करनी होगी. उनसे ये चर्चा करनी होगी कि कोच का रोल क्या होता है ?
इसके बाद मंगलवार शाम को एक चैनल ने रवि शास्त्री के कोच बनने की खबर चला दी. थोड़ी देर बाद सौरव गांगुली ने इस खबर का खंडन कर दिया. उन्होंने कह दिया कि अभी फैसला नहीं हुआ है. जबकि रात होते होते आखिरकार बीसीसीआई की तरफ से अधिकारिक ईमेल पर रवि शास्त्री को ये जिम्मेदारी देने का ऐलान हो ही गया. कहा जा रहा है कि इस ऐलान के पीछे भी विराट कोहली ही हैं.
भारतीय क्रिकेट में कप्तान हमेशा से ताकतवर रहा है. खास तौर पर इसकी शुरूआत सौरव गांगुली के समय में हुई थी. सौरव जो चाहते थे, जैसा चाहते थे वैसा होता था. बावजूद इसके उस वक्त बतौर अध्यक्ष जगमोहन डालमिया भी बेहद ताकतवर थे. दादा और डालमिया में एक ‘म्युचुअल रेस्पेक्ट’ थी.
कुछ ऐसा ही धोनी और एन श्रीनिवासन के दौर में भी था. धोनी की खूब चलती थी लेकिन श्रीनिवासन भी बराबर के ताकतवर इंसान थे. अब शायद हालात ऐसे हैं, जहां भारतीय क्रिकेट में ‘एडमिनिस्ट्रेशन’ एक ऐसी कमेटी के हाथ में है जो अदालत ने नियुक्त की है. बहुत सारी बातें, उन बातों के मायने और उनका असर लोगों को मालूम नहीं है इसलिए विराट के सामने कोई ऐसा शख्स ही नहीं है जो उनकी बात को चुनौती दे सके. उन्हें अच्छे बुरे या सही गलत का फर्क समझा सके. ये स्थिति इसलिए भी फिक्र पैदा करती है कि आने वाले वक्त में कहीं विराट कोहली के फैसले तर्क और व्यवहारिकता से परे ना हो जाएं.
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