UP Elections: यूपी चुनाव से पहले क्या स्वतंत्र देव सिंह देंगे बीजेपी को झटका?
अगले साल की शुरुआत में होने वाले उत्तर प्रदेश के चुनावों से पहले क्या बीजेपी को बड़ा झटका लगने वाला है? यूपी बीजेपी के मुखिया स्वतंत्र देव सिंह पार्टी नेतृत्व से इस कदर नाखुश हैं कि क्या वे मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी का दामन थामने की तैयारी में हैं? लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सियासी गलियारों में यही सवाल घूम रहे हैं और इनके गहरे मायने भी हैं. ऐसी चर्चा है कि वे पार्टी में पिछड़े वर्ग की उपेक्षा से नाराज हैं और चुनाव से पहले बड़ा फैसला ले सकते हैं. दरअसल, दो दिन पहले स्वतंत्र देव की मुलायम से हुई मुलाकात के बाद सूबे की सियासत गरमा गई है और सपा नेता अखिलेश यादव के ट्वीट ने इसे और हवा दे दी है.
दरअसल, स्वतंत्र देव दिवंगत कल्याण सिंह की याद में होने वाली श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने का न्योता देने के लिए सोमवार को मुलायम के घर गए थे. लेकिन जिस गर्मजोशी के अंदाज में ये मुलाकात हुई, उसकी तस्वीर खुद स्वतंत्र देव ने ही ट्वीट करते हुए लिखा, "आदरणीय मुलायम सिंह जी 'नेताजी' से उनके आवास पर भेंट कर कुशलक्षेम जाना और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया." सियासी गलियारों में इस आशीर्वाद प्राप्त करने का यही मतलब निकाला जा रहा है कि वे बीजेपी छोड़ने का मूड बना चुके हैं क्योंकि मुलायम उन्हें सपा ज्वॉइन करने का न्योता दे चुके हैं. हालांकि स्वतंत्र देव ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया, लेकिन सपा प्रमुख अखिलेश यादव के एक रिट्वीट ने सियासी गलियारों की तपिश और बढ़ा दी है.
ट्वीट से गर्मायी राजनीति
दरअसल, अखिलेश यादव ने सपा के डिजिटल मीडिया कोआर्डिनेटर मनीष जगन अग्रवाल के एक ट्वीट को रिट्वीट किया, जिसके बाद बीजेपी की सियासत में भी भूचाल आना स्वाभाविक था. 30 अगस्त को मनीष जगन अग्रवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने मुलायम सिंह यादव से आज मुलाकात की. इस दौरान नेता जी ने उन्हें समाजवादी पार्टी ज्वॉइन करने का ऑफर दिया. भाजपा में पिछड़ों दलितों की अनदेखी से शायद स्वतंत्र देव सिंह नाराज हैं."
एक और ट्वीट में मनीष जगन अग्रवाल ने लिखा, "भाजपा में चल रही तानाशाही और दलितों पिछड़ों की अनदेखी से शायद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह नाराज हैं. पहले स्वतंत्र देव का मंत्रीपद छीना गया, फिर उन्हें उचित सम्मान नहीं मिला. केशव मौर्या समेत तमाम पिछड़े दलित नेता भाजपा में असहज महसूस कर रहे हैं. वहीं सपा प्रवक्ता आईपी सिंह ने भी ट्वीट करते हुए लिखा, "नेताजी ने बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से कहा कि सपा में आ जाओ बहुत तरक्की करोगे. उन्होंने बीजेपी नेता को सपा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है."
सियासी हलचल बढ़ने पर स्वतंत्र देव सिंह ने फिलहाल यही सफाई दी है कि कल्याण सिंह जी की श्रद्धांजलि सभा में 40 दलों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था. इसी संदर्भ में उन्होंने मुलायम सिंह यादव से मुलाकात कर उन्हें 'श्रद्धांजलि सभा' के लिए आमंत्रित किया था. इस संदर्भ में वह मायावती से भी मिले थे, जिसके बाद उन्होंने सतीश चंद्र मिश्र को उस सभा में शिरकत के लिए भेजा था.
उठते हैं कई सवाल
इससे पहले बीजेपी ने एसपी प्रमुख अखिलेश यादव की इसलिए आलोचना की थी कि वे कल्याण सिंह के निधन के बाद उनके प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए नहीं गए थे. इसलिए सवाल उठता है कि जिस बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर पिछले 30 से भी ज्यादा बरसों से एसपी और बीएसपी के बीच छत्तीस का आंकड़ा रहा हो और दोनों एक-दूसरे को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हों, वहां भला ऐसी कौन-सी मजबूरी थी कि महज एक श्रद्धांजलि सभा के लिए बीजेपी के प्रदेश मुखिया को मुलायम की चौखट पर जाना पड़ा? लिहाजा, इसे महज एक शिष्टाचार भेंट बताकार किनारे नहीं किया जा सकता. पर्दे के पीछे कोई तो खिचड़ी पक रही है.
हालांकि जातीय जनगणना के मुद्दे पर स्वतंत्र देव सिंह की नेतृत्व से अलग राय है और वे भी विपक्ष की तरह इसे कराने के पक्ष में है. वैसे दिल्ली में बैठे बीजेपी सूत्रों की मानें तो स्वतंत्र देव इतनी आसानी से पार्टी नहीं छोड़ेंगे. हो सकता है कि उन्होंने अपनी अहमियत बताने के लिए ही ये दांव खेला हो, ताकि यूपी चुनावों के टिकट बंटवारे में उनकी अनदेखी न की जाए और पूरी कमान सिर्फ मुख्यमंत्री के हाथ में ही न रहे.
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