समाजवाद की मुखर वकालत करने वाले नेता राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि "जिस दिन सड़क खामोश हो जायेगी, उस दिन संसद आवारा हो जायेगी." विवादास्पद तीन खेती कानूनों को वापस लेने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बावजूद सड़क पर किसानों के विरोध का नज़ारा वैसा ही बना हुआ है. 29 नवम्बर से शुरु हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में इठ तीनों कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी.


लेकिन  इसके अलावा भी ऐसे कई मुद्दे हैं जिस पर सरकार को घेरने के लिए विपक्षी दलों ने जहां अपनी कमर कस ली है,तो वहीं सत्तापक्ष का सारा जोर विधायी कार्य निपटाने पर होगा.सरकार की कोशिश होगी कि जो 26 नये विधेयक इस सत्र में पेश किये जाने हैं,उन्हें दोनों सदनों से किसी भी सूरत में पास करवा लिया जाए.लेकिन विपक्ष अपने उन मुद्दों  को उठाने की जिद पर अड़ा रहेगा,जिससे सरकार बचना चाहती है.लिहाज़ा,उस सूरत में पूरा सत्र ही हंगामेदार होने के आसार नजर आ रहे हैं.हालांकि मोदी सरकार के लिए थोड़ी राहत की बात ये हो सकती है कि कुछ मुद्दों पर विपक्षी दलों में आपसी मनभेद हैं जिसके चलते वो सदन में कुछ हद तक बंटा हुआ दिखाई दे सकता है.


दरअसल,पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए खुद को अभी से ही पीएम पद उम्मीदवार के रुप में तैयार कर रही हैं,इसलिये पार्टी सांसदों को ये इशारा दे चुकी हैं कि दोनों सदनों में जार मुद्दा उठाते वक्त उनके तेवर कुछ ऐसे होने चाहिए जिससे जनता के बीच यही संदेश जाए कि संसद में विपक्ष की प्रभावी भूमिका निभाने की असली कमान टीएमसी के हाथ में है.हालांकि कांग्रेस के लिये ये स्थिति थोड़ी मुश्किल व चुनौती भरी हो सकती क्योंकि संख्या बल के लिहाज से संसद में कांग्रेस ही मुख्य विपक्षी दल है.उस हिसाब से किसी भी मुद्दे पर सारे विपक्षी दलों को एकजुट रखने की जिम्मेदारी भी उसे ही निभानी है.ऐसे में ममता की टीएमसी के सांसद कांग्रेस से अलग लाइन लेने लगेंगे,तो विपक्षी एकता बिखरी हुई ही नज़र आएगी.


अगर मुद्दों पर आधारित समान विचारधारा की बात करें,तो सपा और आम आदमी पार्टी के नुमाइंदे भी टीएमसी के साथ खड़े दिख सकते हैं.हालांकि सदन में फ्लोर मैनजमेंट संभालने वाले कांग्रेस नेता यही दावा कर रहे हैं कि उनकी यही  कोशिश होगी कि समान विचारधारा वाली सभी पार्टियों को एकजुट रखा जाए.लेकिन ममता व कांग्रेस के बीच सब कुछ ठीक नहीं है और कल दो नेताओं-कीर्ति आजाद व अशोक तंवर के टीएमसी मजिन शामिल होने के बाद ये खटास कुछ और बाद सकती है.ममता पीएम से मिलने के लिए आज दिल्ली में हैं,अगर वे चाहतीं,तो सोनिया गांधी से भी मुलाकात करके ये चर्चा कर सकती थीं कि सरकार को घेरने के मुद्दे क्या होंगे.


वैसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद की रणनीति तय करने के लिए गुरुवार को लोक सभा और राज्य सभा के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है. सूत्रों के मुताबिक़ किसानों के मुद्दे और महंगाई समेत करीब 15-16 ज्वलंत मुद्दे हैं जो पार्टी इस सत्र में उठाएगी. कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ पार्टी नेताओं की हुई वर्चुअल मीटिंग में भी तय हुआ था कि संसद में इस बार महंगाई, पेगासस, बेरोजगारी, चीन का मुद्दा और कोविड जैसे मामलों पर मोदी सरकार को घेरा जाएगा. राहुल गांधी ने आज ही ट्वीट करके सरकार से मांग की है कि कोविड से होने वाली मौतों का सही आंकड़ा बताया जाए और ऐसी हर मौत के परिवार वालों को 4 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाये.


यह सत्र इसलिये भी हंगामेदार रहेगा क्योंकि विपक्ष महंगाई, जम्मू-कश्मीर में नागरिकों की हत्या और लखीमपुर खीरी कांड के मुद्दे पर सरकार को घेरेगा.वह गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की मांग को लेकर संसद की कार्यवाही बाधित करता रहेगा क्योंकि यूपी के चुनाव सिर पर हैं और ये मुद्दा उसकी चुनावी राजनीति में फिट बैठता है.


वैसे इस शीतकालीन सत्र के लिए 26 विधेयक सूचीबद्ध किए गए हैं. इनमें तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला और क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित विधेयक भी शामिल है. संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होगा जिसके 23 दिसंबर को समाप्त होने के आसार हैं. लोकसभा के बुलेटिन के अनुसार, संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान निचले सदन में पेश किए जाने वाले विधेयकों की सूची में क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सूचीबद्ध हैं. इस विधेयक में भारतीय रिजर्ब बैंक की ओर से जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के सृजन के लिए एक सहायक ढांचा सृजित करने की बात कही गई है.


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