एक्सप्लोरर

'राजपथ' का नाम बदलने से क्या मिट जायेगी गुलामी की निशानी?

अंग्रेजी के मशहूर साहित्यकार शेक्सपियर ने कहा था कि, "नाम में क्या रखा है? अगर गुलाब का नाम कुछ और होता तो क्या वो अपनी खुशबू देना छोड़ देता." लेकिन अब लगता है कि नाम में बहुत कुछ रखा है जिसके बदलने से बहुत कुछ बदला जा सकता है. खासकर एक देश में मौजूद गुलामी की निशानी को मिटाया भी जा सकता है.

देश को आज़ाद हुए 75 बरस हो गए लेकिन किसी भी सरकार ने कभी ये नहीं सोचा कि जिस सड़क पर देश के प्रधानमंत्री का आवास है उससे कुछ ग़ज़ दूर ही घोड़ों की रेस का ऐसा मैदान भी है जहां हर दिन कोई एक घोड़ा किसी को फर्श से अर्श पर ला देता है तो किसी अमीर को कंगाल बनाने में ज्यादा देर नहीं लगाती. दरअसल, घुड़दौड़ अंग्रेजों का बड़ा शौक हुआ करता था जिसने धीरे-धीरे इसे जुआ खेलने का इतना बड़ा जरिया बना दिया जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते.

शायद इसीलिए प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सबसे पहला काम ये किया कि अंग्रेजों की गुलामी की हर वक्त को याद दिलाने वाली उस सड़क का नाम ही बदल दिया जहां देश का पीएम रहता है. लिहाज़ा, उनके सुझाव पर ही नई दिल्ली नगर परिषद यानी एनडीएमसी ने रेसकोर्स रोड का नाम बदलकर उसे लोक कल्याण मार्ग कर दिया.

अब पीएम मोदी ने गुलामी की दूसरी सबसे बड़ी निशानी को खत्म करने का फैसला लिया है जो ऐतिहासिक होने के साथ ही सरकार के इस हौंसले को भी बताता है कि उसे इसकी कोई परवाह नहीं कि ब्रिटिश हुकूमत की इस पर कैसी व क्या प्रतिक्रिया होगी. दरअसल, राजपथ का नाम बदलकर उसे "कर्त्तव्य पथ" करना महज एक सड़क का नाम बदलना नहीं है. बल्कि पौने तीन सदी से भारतीयों के दिलो-दिमाग में छाई उस दासता के लबादे से मुक्ति दिलाना है जो हर भारतीय समझा करता था कि अंग्रेज उससे ज्यादा समझदार व ताकतवर है.

भारत के आज़ाद होने से पहले इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन को जोड़ने वाली इस सड़क का नाम जार्ज पंचम की शान में रखा गया था- "किंग्स वे" यानी राजा का मार्ग. भारत के आज़ाद होने के करीब आठ साल बाद बाद तत्कालीन नेहरू सरकार ने इसका भाषायी रुपांतरण या कहें कि हिंदी अनुवाद करते हुए इसका नाम -राजपथ रख दिया. इसका मतलब भी वही है कि ये वो रास्ता है जिस पर सिर्फ राजा ही आ-जा सकते हैं इसलिये ये अब तक हमें उस औपनिवेशिक काल की ही याद दिलाता रहा है जिस पर अंग्रेजों ने 190 साल तक राज तो किया ही लेकिन हमारा खजाना लूटने में भी कोई कंजूसी नहीं बरती.

हालांकि देश में मौजूद अंग्रजों की गुलामी के प्रतीक चिन्हों को हटाना, आरएसएस यानी संघ के एजेंडे में बहुत पहले से ही सर्वोपरि रहा है. आज से करीब तीन दशक पहले रहे संघ के तत्कालीन सर संघ चालक राजेन्द्र सिंह रज्जू भैया ने मुझे दिए एक इंटरव्यू में साफतौर पर ये कहा था कि, "अगर हम अपने भारतवर्ष पर लगे दासता के इन चिन्हों को मिटाना चाहते हैं तो इस पर किसी को कोई आपत्ति भला क्यों होनी चाहिये? ठीक है कि आज हमारी विचारधारा वाली सरकार नहीं है लेक़िन एक दिन वह केंद्र में अवश्य आयेगी और भले ही वह दृश्य देखने के लिए मैं जीवित न रहूं लेकिन आप समेत भारत का जनमानस उसे अवश्य देखेगा."

लेकिन एक बड़ा सवाल ये उठता है कि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार तो साल 1998 से लेकर 2004 तक भी रही तो फिर उसने ऐसा फैसला आख़िर क्यों नहीं लिया? इसका जवाब भी संघ के जिम्मेदार पदाधिकारी ही देते हैं. उनके मुताबिक दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के वक्त उनकी बड़ी मजबूरी ये थी कि वो दो दर्जन से ज्यादा छोटे दलों की गठबंधन वाली सरकार चला रहे थे. इसलिये वे चाहते हुए भी संघ के कई संकल्पों को सरकार के बतौर अमली जामा नहीं पहना पाये. लेकिन सच ये भी है कि तब उन्होंने बगैर किसी लाग लपेट के संघ के आला पदाधिकारियों के आगे इसका उल्लेख किया था जिसे संघ ने भी माना कि वे तो सब करने को तैयार हैं लेकिन अगर दो-तीन दल भी नाराज हो गए और अपना समर्थन वापस ले लिया तो सरकार नहीं टिक पाएगी.

लेकिन पहले 2014 और फिर 2019 के लोकसभा चुनाव-नतीजों के बाद तो हालात पूरी तरह से बदल गए हैं. पीएम मोदी के सामने न तो छोटे दलों के गठबंधन वाली कोई मजबूरी है और न ही ऐसी कोई वजह कि वे संघ के सालों पुराने इस एजेंडे को लागू करने-करवाने में ज्यादा देर लगाते.

दरअसल, संघ के प्रचारक से लेकर बीजेपी के संगठन महामंत्री बनने के बाद सबसे नाजुक दौर आते ही  गुजरात के मुख्यमंत्री  के रूप में पार्टी की पहली पसंद बनने वाले नरेंद्र मोदी की कार्य-शैली से जो लोग वाकिफ़ हैं वे ये जानते हैं कि मोदी कोई भी बड़ा या ऐतिहासिक फैसला लेने से पहले सही समय का इंतजार करते हैं और फिर देश को चौंका भी देते हैं.

दरअसल, मोदी सरकार ने अंग्रेजों के वास्तुविद एडमंड लुटियंस द्वारा रायसीना हिल्स पर बनाई गई नयी दिल्ली की शक्ल को पूरी तरह से बदल डाला है. इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन को जोड़ने वाली सड़क को सेंट्रल विस्टा कहा गया है जिसका औपचारिक शुभारंभ पीएम मोदी 8 सितंबर को करेंगे. चूंकि ये पूरा इलाका नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) के तहत आता है इसलिये उसकी मंजूरी के बगैर राजपथ का नाम नहीं बदला जा सकता. इसी मकसद से एक दिन पहले यानी 7 सितंबर को एनडीएमसी की एक विशेष बैठक बुलाई गई है जिसमें नाम बदलने के प्रस्ताव पर परिषद अपनी मुहर लगायेगी. उसके तुरंत बाद इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस  की प्रतिमा से लेकर राष्ट्रपति भवन तक की पूरी सड़क अब कर्त्तव्य पथ कहलायेगी और राजपथ किसी डस्टबिन में तड़प रहा होगा.

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
Sat Apr 12, 8:10 pm
नई दिल्ली
25.2°
बारिश: 0 mm    ह्यूमिडिटी: 52%   हवा: ESE 8.8 km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

वक्फ एक्ट विशेष: क्या संसद से पारित कानून को लागू होने से रोक सकती हैं ममता बनर्जी? जानें क्या कहता है संविधान
वक्फ एक्ट विशेष: क्या संसद से पारित कानून को लागू होने से रोक सकती हैं ममता बनर्जी? जानें क्या कहता है संविधान
भारतीय फार्मा कंपनी के वेयरहाउस पर 'दोस्त' रूस ने दागी मिसाइलें, बोला यूक्रेन दूतावास
भारतीय फार्मा कंपनी के वेयरहाउस पर 'दोस्त' रूस ने दागी मिसाइलें, बोला यूक्रेन दूतावास
रीतलाल के घर आर्म्स डिटेक्टर के सवाल पर तेजस्वी ने छेड़ दी मुंगेर AK-47 की बात, कहा- 'पुलिस पॉलिटिकल टूल'
रीतलाल के घर आर्म्स डिटेक्टर के सवाल पर तेजस्वी ने छेड़ दी मुंगेर AK-47 की बात, कहा- 'पुलिस पॉलिटिकल टूल'
Jaat Box Office: 'जाट' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाएगी, तब भी मेकर्स छापेंगे करोड़ों! 'पुष्पा 2' से है खास कनेक्शन
'जाट' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाएगी, तब भी मेकर्स छापेंगे करोड़ों!
ABP Premium

वीडियोज

Rana Sanga पर छिड़ी जानलेवा जंग !बॉयफ्रेंड के सूटकेस में 'जिंदा गर्लफ्रेंड'!Tahawwur Rana Update: 26/11 की 'मिस्ट्री गर्ल' का खुलासा? तहव्वुर राणा ने उगले राज़, NIA की जांच तेजवक्फ और बवाल...क्यों जला बंगाल?

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
वक्फ एक्ट विशेष: क्या संसद से पारित कानून को लागू होने से रोक सकती हैं ममता बनर्जी? जानें क्या कहता है संविधान
वक्फ एक्ट विशेष: क्या संसद से पारित कानून को लागू होने से रोक सकती हैं ममता बनर्जी? जानें क्या कहता है संविधान
भारतीय फार्मा कंपनी के वेयरहाउस पर 'दोस्त' रूस ने दागी मिसाइलें, बोला यूक्रेन दूतावास
भारतीय फार्मा कंपनी के वेयरहाउस पर 'दोस्त' रूस ने दागी मिसाइलें, बोला यूक्रेन दूतावास
रीतलाल के घर आर्म्स डिटेक्टर के सवाल पर तेजस्वी ने छेड़ दी मुंगेर AK-47 की बात, कहा- 'पुलिस पॉलिटिकल टूल'
रीतलाल के घर आर्म्स डिटेक्टर के सवाल पर तेजस्वी ने छेड़ दी मुंगेर AK-47 की बात, कहा- 'पुलिस पॉलिटिकल टूल'
Jaat Box Office: 'जाट' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाएगी, तब भी मेकर्स छापेंगे करोड़ों! 'पुष्पा 2' से है खास कनेक्शन
'जाट' बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाएगी, तब भी मेकर्स छापेंगे करोड़ों!
Abhishek Sharma Century: अभिषेक शर्मा ने मचाई तबाही, हैदराबाद के लिए जड़ा विस्फोटक शतक, टूट गए कई रिकॉर्ड
अभिषेक शर्मा ने मचाई तबाही, हैदराबाद के लिए जड़ा विस्फोटक शतक, टूट गए कई रिकॉर्ड
गर्मियों के ताजे फल कहीं पहुंचा न दें अस्पताल! घर-घर कैंसर का कारण बन रहा ये खतरनाक केमिकल
गर्मियों के ताजे फल कहीं पहुंचा न दें अस्पताल! घर-घर कैंसर का कारण बन रहा ये खतरनाक केमिकल
Samsung Galaxy M56 5G India Launch: 17 अप्रैल को भारत में लॉन्च होगा Samsung Galaxy M56 5G, धांसू फीचर्स वाले इस फोन की होगी किससे टक्कर?
17 अप्रैल को भारत में लॉन्च होगा Samsung Galaxy M56 5G, धांसू फीचर्स वाले इस फोन की होगी किससे टक्कर?
क्या होता है 'हिंदू फोबिया', जिसके खिलाफ कानून बनाने जा रही इस देश की सरकार
क्या होता है 'हिंदू फोबिया', जिसके खिलाफ कानून बनाने जा रही इस देश की सरकार
Embed widget