Bengal Election 2021: बिहार में महिला वोटर्स ने दिया था नीतीश का साथ, क्या बंगाल में भी होगा ऐसा
बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर ममता को महिला वोटरों की जरुरत क्यों आन पड़ी है...क्या उनका करिश्मा कम हो रहा है...पकड़ कमजोर हो रही है.
ममता बनर्जी खुद को घायल शेरनी बताती हैं. ममता शेर की सवारी करने वाली दुर्गा मां के मंत्रों का जाप चुनावी रैलियों में करती हैं. ममता कहती हैं कि मैं घर से निकलती हूं तो चंडी पाठ करके निकलती हूं.
ममता कहती हैं कि वो अकेली महिला हैं जो सभी विपक्षी दलों से लड़ रही हैं. ममता कहती हैं कि पूरा विपक्ष मिलकर एक महिला को हराना चाहता है. ममता पचास महिलाओं को टिकट देती हैं. चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले विधानसभा चुनावों में मर्दों के मुकाबले छह फीसदी ज्यादा महिलाओं ने ममता को वोट दिया.
यह सब बताता है कि ममता महिलाओं में लोकप्रिय हैं और ममता इस लोकप्रियता को चुनावों में भुनाना भी जानती हैं. वैसे भी इस समय पूरे देश में ममता बनर्जी एकमात्र महिला मुख्यमंत्री हैं. तो क्या इस बार कांटेदार मुकाबले में ममता नाम की घायल शेरनी को महिला वोटर और ज्यादा घायल नहीं होने देंगी और लगातार तीसरी बार सत्ता में ले आएंगीं. इससे भी बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर ममता को महिला वोटरों की जरुरत क्यों आन पड़ी है...क्या उनका करिश्मा कम हो रहा है...पकड़ कमजोर हो रही है.
नंदीग्राम में ममता की कार के साथ हादसा हुआ और ममता घायल हो गयी. दो तीन दिन व्हील चेयर पर बैठकर प्रचार किया, रोड शो किया. चुनाव आयोग भले ही कह चुका हो कि ममता के साथ जो कुछ हुआ वो महज हादसा था कुछ भी सोची समझी रणनीति या साजिश के तहत नहीं हुआ लेकिन ममता और उनकी पार्टी इसे बीजेपी की साजिश साबित करने पर तुली हैं.
खैर मुददा यह नहीं है कि वोटर इस पर क्या राय रखते हैं. मुद्दा ये है कि व्हील चेयर पर बैठी ममता क्या महिला वोटरों की आखें नम करने की गुंजाइश रखती हैं. जानकारों का कहना है कि ममता विक्टिम कार्ड खेल रही हैं और महिला वोटर सहानुभूति का वोट दे सकती हैं. यहां यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ममता महिलाओं के आगे सिर्फ सहानुभूति का वोट मांगने जा रही हैं. ममता ने महिलाओं के लिए काम भी किये हैं. उनका हिसाब किताब और लेखा जोखा भी वह सामने रख रही हैं. केंद्र की मोदी सरकार की महिला संबंधित योजनाओं की आलोचना भी कर रही हैं. मसलन, उनका कहना है कि उज्जवला योजना में दिए गए गैस सिलेंडर का क्या फायदा अगर उसे रिफिल करने का पैसा ही न हो तो .
जानकारों का कहना है कि घायल शेरनी की तस्वीर देख कर ऐसा नहीं है कि बीजेपी या लेफ्ट या कांग्रेस की महिला वोटर ममता की तरफ झुक जाएंगीं लेकिन ममता की पार्टी से जुड़ी महिला वोटर आगे बढ़-चढ़ कर वोट देंगीं और दूसरी महिलाओं को भी ममता को वोट देने को कहेंगीं. इसके अलावा जो महिलाएं अभी तय नहीं कर पाईं हैं कि वोट किसे देना हैं उनमें से भी बड़ा हिस्सा ममता के साथ जा सकता है.
जानकारों का कहना है कि ममता जानती हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव जीतना आसान नहीं है. बीजेपी से मुकाबला कड़ा है. उधर महाजोत भी टक्कर दे रहा है. लेफ्ट और कांग्रेस के महाजोत में फुरफुरा शरीफ का शामिल होना ममता के लिए नया सिरदर्द है. ऐसे में महिला वोटर अगर ममता का साथ देते हैं तो ममता के लिए चुनाव निकालना कुछ आसान हो सकता है .
यहां जानकार बिहार का उदाहरण देते हैं. वहां नीतीश कुमार ने एक चुनाव शराबबंदी करने का वादा करके जीत लिया और दूसरा चुनाव शराब बंदी करके जीत लिया. दोनो ही बार महिला वोटर के सहारे. साइकिल बांटना, सरकारी नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण देना अलग रहा. लेकिन नीतिश कुमार को पिछले चुनाव में अंतिम समय में महिला वोटरों ने बचा लिया. बहुत सी महिलाओं ने शराबबंदी के सवाल पर अपने परिवार वालों, अपने पति के खिलाफ जाकर नीतीश कुमार को वोट दिया. ऐसा ही कुछ हमने यूपी समेत उत्तर भारत के राज्यों में देखा था जहां तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने के बाद मुस्लिम महिलाओं ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर कर मोदी के पक्ष में वोट दिया था.
जानकारों का कहना है कि जब बिहार में महिलाएं ऐसा कर सकती हैं, जब मुस्लिम महिलाएं ऐसा कर सकती हैं तो बंगाल की महिलाएं ऐसा क्यों नहीं कर सकती. लेकिन यहां भी ममता को बीजेपी से कड़ी टक्कर मिलेगी क्योंकि मोदी सरकार ने गैस, घर, शौचालय, पीने का पानी, बिजली देकर महिलाओं को बहुत हद तक रिझाया है. अब यह देखना दिलचस्प रहेगा कि ममता का घायल शेरनी का अवतार क्या महिला वोटरों का वोट रुपी प्रसाद हासिल कर पाता है.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)