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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)

Opinion: दुनियाभर में 5 करोड़ अल्जाइमर के मरीज, याददाश्त की कमी और रास्ता भूलना बड़े लक्षण, सबसे पहले उठाए ये कदम

अल्जाइमर एक डिमेंशिया रोग है. विश्वभर में 50 मिलियन मरीज अल्जाइमर रोग से ग्रसित हैं और ऐसा अनुमान है कि 2050 तक ऐसे मरीजों की संख्या लगभग 150 मिलियन तक होने की संभावना है. अल्जाइमर रोग मुख्य रुप से 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को होता है, लेकिन 30 से 60 की उम्र के लोगों में अल्जाइमर 6 फीसदी लोगों को होता है जिसे जल्द शुरु होने वाला (Early Onset) कहा गया है इसलिए अल्जाइमर को बुजुर्गों में होने वाली बीमारी मानना और लक्षणों को दरकिनार करना युवाओं के लिए घातक माना जा सकता है. कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल, इंदौर के डॉ. दिनेश चौकसे, कन्सल्टेन्ट, न्यूरोलॉजी अल्जाइमर के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं, तो आइए जानते हैं-

अल्जाइमर के लक्षण

याददाश्त में कमी आना, रोजमर्रा के कामों में गलतियां होना, रास्ता भूल जाना, पहचान वालों के नाम भूल जाना आदि अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. इसके बाद के लक्षणों में अपने ऑफिस, व्यापार के कार्यों को ठीक से न कर पाना, सही  निर्णय न ले पाना आदि हो सकते हैं. अल्जाइमर का रोगी जब आखिरी स्टेज (Severe Stage) की स्थिति में पहुंच जाता है तो वह अपने ही घर वालों के नाम भूल जाता है इसके अलावा कपड़े पहनना, बाथरुम जाना, किसी से ठीक से बात नहीं कर पाना, स्वयं से खाना नहीं खा पाना आदि कई लक्षण देखें जा सकते हैं. कई बार देखा गया है कि ऐसे मरीज गुस्से में आने पर हिंसक भी हो सकते हैं.

अल्जाइमर होने के प्रमुख कारण

अल्जाइमर के मरीज लगभग 8-10 साल में आखिरी स्टेज में पहुंच जाते हैं. यह बीमारी दिमाग के अंदर तंत्रिका (न्यूरॉन) के सिकुड़ने और उनके मृत हो जाने के वजह से होती है. दिमाग के न्यूरॉन के अंदर खराब तरह का प्रोटीन जमा होने लगता है जो न्यूरॉन्स को जल्दी खराब कर देता है. दरअसल दिमाग के न्यूरॉन के अंदर खराब तरह का प्रोटीन जमा होने लगता है जो न्यूरॉन्स को जल्दी खराब कर देता है. अनुवांशिक तरीके से वातावरण के प्रभाव, ज्यादा कोलेस्ट्रॉल, हृदय संबंधित बीमारी, शुगर, निष्क्रिय जीवनशैली आदि सभी से हमारे दिमाग के अंदर ये खराब प्रोटीन धीरे-धीरे जमा होने लगते हैं जो अल्जाइमर के मुख्य कारण बनते हैं. डॉक्टर का मानना है कि यदि किसी व्यक्ति को याददाश्त में कमी और रोजमर्रा के सामान्य से कार्य करने में कोई परेशानी नजर आए तो तुरंत किसी न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें, ताकि शुरुआती स्टेज में ही बीमारी का सही इलाज किया जा सके.

अल्जाइमर की जांच

अल्जाइमर बीमारी का पता लगाने के लिए ब्रेन MRI, PET Scan, संबंधित ब्लड टेस्ट करवाएं जाते हैं लेकिन सबसे जरुरी है कि किसी न्यूरोफिजिशियन से परामर्श करें, ताकि मरीज की सही क्लीनिकल हीस्ट्री और संबंधित परीक्षण करने के पश्चात बता सके कि अल्जाइमर की समस्या है या कुछ और समस्या है. याददाश्त कम होने के पीछे कई और कारण भी देखे जा सकते हैं जैसे शरीर में विटामिन बी12 की कमी, होमोसिस्टीन का बढ़ना, अनियंत्रित शुगर और कोलेस्ट्रॉल के कारण दिमाग के अंदर खून की नस में छोटे-छोटे थक्के होना आदि सभी कारण हो सकते हैं.

बचाव के तरीके

1. वायु प्रदूषण  से बचाव करना चाहिए, क्योंकि कार्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड आदि सभी नाक के रास्ते दिमाग के सूंघने वाली नस और मुख्य frontal lobe को नुकसान पहुंचाते हैं. 
2. अधिक कैलोरी, हाई सेचुरेटेड फेटी एसिड फूड खाने से परहेज करें.
3. एल्यूमिनियम, लेड, केडमियम जैसे धातु के संपर्क से बचें. एल्यूमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल न करें.
4. ब्लड प्रेशर, शुगर मोटापा, कोलेस्ट्रॉल का इलाज सही समय पर करवाते रहें, क्योंकि इनकी गोलियों को समय पर लेते रहने से अल्जाइमर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है.

डॉक्टर का कहना है कि हमारे समाज में यह भ्रांति है कि ब्लड प्रेशर की दवा और अन्य दवाएं खाने से किडनी खराब हो जाती है जो कि बिल्कुल गलत है . ये दवाएं नियमित रुप से लेते रहने से मरीज स्वस्थ रहता है और परिवार में आकस्मिक बीमारी और अपनों की तकलीफों का बोझ कम होता है.

अल्जाइमर के इलाज के लिए काफी लंबे समय से बहुत सी दवाओं पर रिसर्च चल रही है इनमें अभी हाल ही में नई डिसीज मोडिफाइंग ड्रग (DMT) USFDA ने इंजेक्शन के रुप में मान्य की है और बहुत जल्द ये दवाएं हमारे भारत में भी उपलब्ध हो जाएंगी. भारत हर ओर से तरक्की कर रहा है और मेडिकल क्षेत्र में भी कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए नई खोज कर आगे बढ़ रहा है.

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

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