गुरु गोरखनाथ की गद्दी को संभालते हुए उत्तर प्रदेश की राजनीति में 37 साल बाद एक नया इतिहास रचने वाले योगी आदित्यनाथ बीजेपी के पहले ऐसे नेता बन जाएंगे, जो दोबारा सूबे के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालेंगे. चूंकि सियासी इतिहास की एक नई इबारत लिखी जानी है, इसलिए योगी के शपथ ग्रहण समारोह को भी बीजेपी ने अति भव्य आयोजन बनाते हुए इसे शक्ति प्रदर्शन का रुप देने की कोशिश की है.
पीएम मोदी को दिया पूरा श्रेय
साल 2014 में प्रधानमंत्री के पद पर नरेंद्र मोदी की ताजपोशी के बाद ये दूसरा ऐसा शपथ ग्रहण समारोह होगा, जिसे इतने बड़े पैमाने पर आयोजित किया जा रहा है. विपक्ष के तमाम नेताओं समेत देश के दर्जन भर नामी उद्योगपतियों को आमंत्रित करके ये संदेश दिया गया है कि यूपी अब पहले से कई गुना अधिक समृद्ध राज्य बनने की तरफ आगे बढ़ने वाला है. आज लखनऊ में विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुने जाने की औपचारिकता पूरी होने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने भाषण में कई बातों को पूरी ईमानदारी से स्वीकारा है, जो राजनीति में उनकी साफगोई को दर्शाता है और उन्हें बाकी नेताओं की भीड़ से भी अलग करता है.
पहला तो ये कि अपनी इस दोबारा ताजपोशी का सारा श्रेय उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व को दिया है. दूसरी बड़ी बात योगी ने ये मानी है कि उनके पास 2017 से पहले कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं था और न ही शासन के किसी दायित्व का निर्वाहन ही किया था. लेकिन पार्टी ने 2017 में मुझ पर विश्वास किया. हालांकि इस मौके पर वे गृह मंत्री अमित शाह को इसलिये धन्यवाद देना नहीं भूले कि उनकी बदौलत ही सूबे में बीजेपी इतनी मजबूती से उभरी. उन्होंने कहा कि साल 2014 में अमित शाह ने एक संगठन की मजबूत नींव रखी थी. राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में उनके व्यापक दौरों की वजह से ही उत्तर प्रदेश में भाजपा इतनी मजबूत होकर आई है.
विपक्षी दलों को भी घेरने की कोशिश
विधायकों को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने अपने पहले कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाने से पहले इस बात को भी पूरी दृढ़ता के साथ माना कि उन्होंने सुशासन का मंत्र पीएम नरेंद्र मोदी से सीखा है. उनके इस मंत्र के दम पर ही पांच साल तक वे ईमानदारी व पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी सरकार चलाने और जनहित से जुड़ी सभी अहम योजनाओं को अमली जामा पहनाने में सफल हुए. चुनाव के दौरान विपक्षी दलों द्वारा जातिवादी राजनीति के जरिये बीजेपी को घेरने की कोशिशों का जिक्र करते हुए योगी ने कहा कि प्रदेश की जनता उनके झांसे में नहीं आई, बल्कि उसने सबका साथ, सबका विश्वास के मंत्र पर भरोसा करते हुए संकीर्ण जातिवादी राजनीति को नकार दिया. विपक्ष के दुष्प्रचार के बावजूद जनता का हमें समर्थन मिला. उन्होंने कहा, उत्तर प्रदेश अगर विकास की नई ऊंचाइयों को छूता है तो यह देश के विकास के लिए भी सहायक होगा. हमने उत्तर प्रदेश के बजट को 2 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6 लाख करोड़ पर लाने का काम किया है.
इसे योगी सरकार के पांच साल के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. हालांकि चुनावी राजनीति अब ख़त्म हो चुकी है लेकिन नव निर्वाचित विधायकों को संबोधित करते हुए योगी सपा-बसपा को लेकर हमलावर नजर आए. उन्होंने कहा, 2017 से पहले सुशासन की कोई बात नहीं करता था. उस वक्त तो कोई सोचता भी नहीं था. लेकिन आज ये सब संभव हो पाया है. हमारी सरकार ने बिना भेदभाव के आम जन तक गरीब कल्याण की योजनाएं पहुंचाई हैं. हमारी सरकार में पहली बार गरीब को लगा कि उसका भी घर बन सकता है. यूपी में अब विकास और रिफॉर्म की बात होती है.
यूपी को देश का सबसे तेजी से विकास करने वाला राज्य बताते हुए योगी ने साफ किया कि हमारे लिए दोबारा सत्ता प्राप्त करना प्रतिष्ठा का विषय नहीं था,बल्कि जनता के विश्वास पर खरा उतरना बड़ी चुनौती थी और उस चुनौती में हम खरे साबित हुए. आज प्रदेश दंगा मुक्त है और अब वंशवाद और जातिवाद की राजनीति भी यहां नहीं चलेगी. लोगों की आय दोगुनी करने का दावा करते हुए उन्होंने प्रदेश को नंबर वन अर्थव्यवस्था बनाने पर भी जोर दिया. विधायकों को पीएम मोदी के मंत्र की याद दिलाते हुए योगी ने कहा कि हमें सत्ता में रहकर मालिक बनकर नहीं बल्कि सेवक बनकर काम करना होगा.
(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)