दिल्ली समेत देश के कई शहर अब दंगे की चपेट में है. सबकी चिंता यही है कि आखिर इस ट्रेंड पर लगाम कैसे लगे ? लेकिन देश का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश शांत है. तो ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या दंगा रोकने का यूपी योगी मॉडल ही बेस्ट है. आंकड़े और जमीनी सच्चाई तो इसी बात की तरफ इशारा करते हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का फार्मूला तो इस मामले में हिट और फिट रहा है.


यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ जो कहते हैं वही करते हैं. कानून व्यवस्था के मामले में उन्होंने दूसरों के लिए लंबी लकीर खींच दी है. इसी हफ्ते उन्होंने राज्य के सीनियर आईएएस और आईपीएस अफसरों की मीटिंग ली. लेकिन इस बैठक में जिलों के डीएम और एसपी को नहीं बुलाया गया. योगी ने कहा कहीं भी एक भी पत्थर चला तो खैर नहीं. जबकि लाउडस्पीकर, अजान और हनुमान चालीसा को लेकर यूपी में भी सांप्रदायिक माहौल गर्म है. 


मई महीने के पहले हफ़्ते में मुसलमानों का सबसे बड़ा पर्व ईद भी है. किसी भी इलाक़े में कोई सांप्रदायिक घटना न हो इसीलिए योगी ने अधिकारियों को बुला कर उनकी क्लास ली. इस बैठक के बाद से ही सभी जिलों में पीस कमेटियाँ बनने लगी हैं. योगी ने कह दिया है कि जिस थाने में झगड़ा या फ़साद होगा वहाँ का थानेदार निलंबित होगा. हाल में ही योगी ने कहा था कि “ मेरे यहाँ 800 से भी अधिक जुलूस रामनवमी पर निकाले गए लेकिन कहीं भी झगड़े की कोई घटना नहीं हुई” .


दिल्ली के जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती पर निकले शोभायात्रा के बाद हिंदू और मुसलमान का झगड़ा हो गया. इलाक़े में अब भी तनाव है. पर उसके अगले दिन जब नोएडा में हिंदुओं ने शोभायात्रा निकाली तो मुस्लिम समाज ने लोगों को जूस पिलाए. मुरादाबाद और ग़ाज़ियाबाद में शोभायात्रा पर मुसलमानों ने फूल बरसाए. उस दिन ग़ाज़ियाबाद में कैंप कर रहे मेरठ के आईजी प्रवीण कुमार ने बताया कि दिल्ली से सटे होने के कारण हमारी चिंता बढ़ गई थी. लेकिन ग़ाज़ियाबाद में बने पीस कमेटी ने भाईचारा बनाए रखा. जिसके कारण मुस्लिम समाज के लोगों ने कई जगहों पर यात्रा का फूलों से स्वागत किया.


कहते हैं कि सरकार से बड़ा सरकार का इक़बाल होता है. यूपी में योगी सरकार भी इसी फ़ार्मूले पर काम कर रही है. खरगोन में दंगे में अपने हाथ जला चुके एमपी के सीएम शिवराज चौहान भी अब योगी के राह पर हैं. उन्होंने आज सीनियर अधिकारियों को बुला कर एलान कर दिया अगर एक भी दंगा हुआ तो फिर मैं छोड़ूँगा नहीं. खरगोन दंगों के बाद हो रही किरकिरी के बीच चौहान ने अपने अफ़सरों से कहा है कि मध्यप्रदेश में किसी भी कीमत पर शांति भंग नहीं होनी चाहिए.मध्यप्रदेश में दंगा बर्दाश्त नहीं करूंगा अब मध्यप्रदेश में मुझे किसी कीमत पर दंगा नहीं चाहिए - नॉट एट ऑल.शिवराज सिंह के ये सख़्त तेवर गृह अधिकारियों की आज बुलाई बैठक में थे. शिवराज चौहान ने  इंटेलिजेंस सिस्टम को और मजबूत करने को कहा.


उन्होंने एडीजी इंटेलीजेंस से पूछा कि आप इंटेलिजेंस को मजबूत करने का प्लान मुझे कब तक दे देंगे. दंगाइयों पर कार्रवाई जारी रखें.दबंगों से ली गई जमीन, गरीबों को दी जाएगी. आगे भी आने वाले त्यौहार, परशुराम जयंती और ईद बिना किसी गड़बड़ी के हो, इसके लिए मैदान में डटे रहें.


योगी आदित्यनाथ का बुलडोज़र तो जैसे अब बेहतर क़ानून व्यवस्था का प्रतीक बन चुका है. वे अब बुलडोज़र बाबा कहलाने लगे हैं. यूपी चुनाव में जीत के बाद से उनका ग्राफ़ बुलंदी पर है. उनके बुलडोज़र को लेकर भले ही विपक्ष उनकी आलोचना करता हो लेकिन कई राज्यों में बुलडोज़र चलने लगा है. एमपी में शिवराज सरकार ने तो इसी फ़ार्मूले पर अपराधियों और दंगाईयों पर कार्रवाई शुरू कर दी है. पीएम नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में भी दंगा के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चल गया.


योगी सरकार के पिछले 5 सालों में यूपी के कोई बड़ा दंगा फ़साद नहीं हुआ है. योगी जानते हैं कि दंगा होने पर उनकी छवि को नुक़सान हो सकता है. यूपी का अब तक का राजनैतिक इतिहास इस बात का गवाह रहा है. 2013 में मुज़फ़्फ़रनगर में सांप्रदायिक दंगे हुए और समाजवादी पार्टी के अब तक इसकी क़ीमत चुकानी पड़ रही है. तब अखिलेश यादव यूपी के सीएम हुआ करते थे. तब से वे लगातार चुनाव हारते आ रहे हैं.


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