बर्थडे स्पेशल: देव आनंद साहब के ये 25 राज आपको हैरान कर देंगे!
यूं तो 50-60 के दशक में हिंदी फिल्मों में राज कपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद का डंका बजता था. दिलीप गंभीर रोल करने वाले ट्रैजेडी किंग थे, तो चार्ली चैपलिन बड़े दिल का छोटा आदमी जैसे किरदार राज कपूर के नाम थे. मगर रोमांस, स्टाइल और दिलकश पर्सनैलिटी के लिए जो नाम सिर्फ और सिर्फ अकेला उभरा वो था देवानंद. देव आनंद के लाखों दीवाने थे. देव आनंद की एक एक एक अदा पर आहें भरती थी हसीनाएं, देव आनंद ख़ुद भी कई हसीनाओं के आशिक रहे मगर सबसे लंबी आशिक़ी उन्होंने निभाई अपनी जिन्दगी से... आपको बता दें कि 26 सितंबर को देव साहब का जन्म हुआ था और उनके जन्मदिन के मौक़े पर आज हम आपको बताएंगे देव आनंद की ऐसी ही 25 दिलचस्प कहानियां जिसे जान हैरान रह जाएंगे आप....
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View In Appदेवआनंद ने 3 दिसंबर 2011 को 88 की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया.
देव आनंद सिनेमाई पर्दे के वो बेमिसाल जादूगर थे जिन्होनें मुंबई की रंग बिरंगी दुनिया की माया कायम रखी. सदाबहार या एवरग्रीन जैसे उनके नाम के साथ ही जुड़ गया था. एक बार देव साहब ने कहा था, ‘मैं सिनेमा में सोता हूं, सिनेमा में जागता हूं और सिनेमा ही मेरी जिंदगी है. मैं मरते दम तक सिनेमा की वजह से ही जवान रहूंगा.‘ वे इसे साबित भी कर गए. उनके स्टारडम की कहानी भले ही ब्लैक एंड व्हाइट के दौर में शुरू हुई लेकिन उनकी ज़िंदगी में रंगों की कमी कभी नहीं रही.
देव आंनद साहब की वो चेक्स वाली कैप तो याद ही होगी आपको जो अक्सर देव साहब फिल्म ज्वैल थीफ के रोमाटिंक गानों में पहने दिखाई पड़ते हैं....ये कैप डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगेन से खुद देव साहब ने ही सायरा बानो के साथ शूटिंग करते वक्त खरीदी थी. ख़ास बात ये है कि कई दशक बाद जब फिल्म रिटर्न ऑफ ज्वैल थीफ बनी तो देव आंनंद ने इसमें यही कैप पहनी.
देव साहब की जैकेटों का कलेक्शन भी देखने लायक था....उनके पास 10, 20 नहीं बल्कि पूरी 800 जैकेटों का कलेक्शन था...उनके पंसदीदा रंग यलो, ब्राउन और ब्लैक थे.....देव आंनद सप्ताह में एक बार लाल रंग भी जरूर पहनते थे.
देव आनंद अपनी मेजबानी और खास अंदाज के लिए भी बॉलीवुड में जाने जाते हैं.....उनके जानने वालों और दोस्तों को वो उनके जन्मदिन पर फूलों का गुलदस्ता और बधाईयां लिखना कभी नहीं भूलते थे. देव आनंद अपने हर खासो-आम को निजी तौर पर फोन करके पार्टी में इनवाइट करते थे.
शम्मी कपूर की ब्लॉकबस्टर फिल्में जंगली और तीसरी मंजिल और अमिताभ बच्चन की जंजीर पहले देव आनंद को ही ऑफर की गई थीं. लेकिन देव आनंद ने किसी वजह से इनमें काम करने से इंकार कर दिया.
देव आंनद की तेज याददाश्त के किस्से बहुत मशहूर हैं......कहा जाता है कि अगर एक बार देव साहब किसी से मिल लें तो वो उस शख्स का नाम कभी नहीं भूलते थे.
देव आंनद जितने रोमांटिक फिल्मी परदे पर रहे उतना ही रोमांस उन्होंने निजी जिंदगी में भी किया... देव आनंद का एक आयरलैंड की लड़की पर सीक्रेट क्रश था और ये बात देव आंनद और उनकी पत्नी कल्पना कार्तिक में झगड़े की वजह भी बनी.
देव आंनद ने बॉलीवुड को कई हसीन और प्रतिभाशाली कलाकार दिए हैं... टीना मुनीम, जैकी श्रॉफ़, ऋचा शर्मा और तब्बू जैसे सितारों और संगीतकार राजेश रोशन ने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत देव आनंद की बनाई फिल्मों से ही की है.
31 जनवरी 2004 को 74 साल की उम्र में सुरैया का निधन हो गया. हर किसी को उम्मीद थी उन्हे आखिरी विदाई देने के लिए देव आनंद जरूर आएंगे. मुंबई के मरीन लाइन्स के बड़े कब्रिस्तान में जहां सुरैया को दफनाया गया, वहां सबकी आंखे देव आनंद को तलाश रही थीं लेकिन......वो नहीं आए .
देव साहेब ने उन्हें सिगरेट ऑफर की, जीनत ने सिगरेट सुलगाकर अपनी झुकी पलकों को उठाया तो उनकी सुलगती आंखों में देव आनंद की तलाश पूरी हो गई. उन्हें फिल्म के लिए बहन और असल जिंदगी के लिए नई प्रेमिका मिल चुकी थी.
जो अगली फिल्म देव आनंद ने निर्देशित की उनका नाम था हरे रामा हरेकृष्णा. फिल्म में अपनी बहन के रोल के लिए कोई नया चेहरा नहीं मिल रहा था. तभी एक पार्टी में उन्हें जीनत अमान दिखीं जो 1970 में मिस एशिया पैसिफिक का खिताब जीत चुकी थीं.
देव आंनद की फिल्म गाईड न सिर्फ बॉलीवुड बल्कि विदेशों में भी मशहूर हुई......लेकिन कम लोग जानते हैं कि इसे हिंदी के साथ साथ अंग्रजी में भी बनाया गया था. लेकिन अंग्रेजी फिल्म द गाइड बुरी तरह फ्लॉप रही. वहीं उनके भाई विजय आनंद द्वारा निर्देशित गाइड बेहद कामयाब रही और कई अवॉर्ड भी जीते.
हरे रामा हरेकृष्णा ज़बरदस्त हिट रही. देव आंनद ज़ीनत के प्यार में डूब गए और उन्हें प्रपोज करने की सोची. लेकिन एक पार्टी में राज कपूर को नशे की हालत में जीनत के साथ फ्लर्ट करते देख देव साहब का दिल टूट गया. उन्होंने लिखा- उस घटना के बाद ज़ीनत मेंरे लिए वो ज़ीनत नहीं रही. मेरे दिल के हज़ार टुकड़े हो गए और मैं वहीं से चला आया.
देव आनंद ने निर्देशन की शुरुआत की लेकिन बतौर निर्देशक उनकी फिल्म प्रेम पुजारी फ्लॉप हो गई, हालांकि फिल्म का संगीत बेहद यादगार था.
इसके बावजूद देव आंनद दिल से सुरैया की यादों को शायद कभी भुला नहीं पाए.... उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी देवीना रखा जो कभी देव और सुरैया ने अपनी बेटी के लिए सोचा था.
फिल्म टैक्सी ड्राइवर की शूटिंग के दौरान देव आनंद अपनी नई हीरोइन कल्पना कार्तिक के प्यार में गिरफ़्तार हो गए और फिल्म की शूटिंग के दौरान, एक दिन लंच ब्रेक में ही दोनों ने शादी कर ली. कल्पना आखिरी दम तक देव आनंद की पत्नी रहीं.
नानी और घरवालों की नामंजूरी की वजह से सुरैया ने देव आनंद से शादी के लिए मना कर दिया और दोनों का प्यार परवान चढ़ने से पहले ही दोनों की मोहब्बत अधूरी रह गई.
फिल्म जीत के सेट पर देव साहब ने सुरैया को 3000 रूपये की हीरे की अंगूठी के साथ प्रपोज भी किया था. लेकिन इस कहानी की विलेन थीं सुरैया की नानी, जिन्हें को ये रिश्ता कतई मंजूर नहीं था वजह थी दोनों के धर्म. देव आनंद हिंदू थए और सुरैया मुस्लिम.
देव आनंद के अधूरे इश्क की कहानी भी उनकी तरह ही खूबसूरत है. पहला प्यार हुआ सुरों की रानी सुरैया से. फिल्म विद्या की शूटिंग के दौरान सुरैया पानी में डूब रही थी और देव साहब ने अपनी जान पर खेल कर बचाया था और यहीं से इस प्रेम कहानी की शुरूआत हुई.
देव आंनद अपने जमाने के सबसे हैंडसम हीरो थे..उनकी खुबसूरती का आलम ये था कि खबरें छपती थीं कि उन पर काले कपड़े पहन कर बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई हैं क्योंकि उन्हें इस काले लिबास में देखने के लिए लड़कियां अपनी छतों से कूद जाया करती थीं.
1949 में देव साहब ने नवकेतन फिल्मस के नाम से अपनी प्रोडक्शन कंपनी की शुरूआत की. गुरू दत्त को ब्रेक देने का श्रेय भी देव आनंद को ही दिया जाता है.
यूं तो बहुत एक्टर हुए लेकिन देव आंनद की एक्टिंग का अंदाज ने उन्हें हमेशा सितारों की भीड़ से अलग रखा. एक सांस में लम्बी डायलॉग डिलीवरी और एक तरफ झुक कर चलने का उनका खास स्टाइल...लोगों पर सालों तक जादू चलाता रहा. रोल कोई भी हो देव आनंद का अंदाज़ कभी भी नहीं बदलता था.
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि देव आंनद ने अपनी करियर की शुरूआत 85 रूपये की तनख्वाह पर एक कंपनी में अंकाउटेंट की नौकरी के साथ की थी....बतौर हीरो देव आनंद पहली फिल्म थी 1946 की हम एक हैं.
देव आंनद का असली नाम धर्म देवदत्त पिशोरीमल आंनद है...देव आनंद का जन्म 26 सितंबर 1923 को पंजाब में हुआ था. उनके घर का नाम चीरू था.
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