बर्थडे स्पेशल: शाहरुख के 'जबरा फैन' होंगे आप लेकिन नहीं जानते होंगे ये 25 कहानियां!
शाहरुख खान आज 51 साल के हो गए. 'बादशाह', 'बाज़ीगर', 'किंग ख़ान' जैसे नामों से मशहूर इस सुपरस्टार के ना जाने कितने नाम हैं. लेकिन कुछ तो है उनमें खास है जो बॉलीवुड के दूसरे स्टार्स से किंग खान को अलग खड़ा करता है. वो जादू है उनकी रोमांटिक इमेज का जो पिछले 25 साल से हर किसी के सिर चढ़कर बोल रहा है. शाहरुख 51 साल के हो रहे हैं तो मौक़ा भी है, दस्तूर भी...आज जान लेते हैं शाहरुख की ज़िंदगी से जुड़ी ऐसी ख़ास कहानियां जो बताती हैं कि चाहे एक्टिंग हो या रोमांस, शाहरुख का जादू तो बॉलीवुड में आने से बहुत पहले, उनकी रियल लाइफ़ में ही शुरू हो चुका था.
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View In Appशाहरुख और गौरी के 3 बच्चे हैं- सबसे बड़े हैं आर्यन, उनके बाद बेटी सुहाना हैं और शाहरुख के सबसे छोटे लाडले हैं अबराम. अबराम का जन्म 27 मई 2013 को सरोगेसी के जरिए हुआ है. शाहरुख मानते हैं कि उनका परिवार पूरा हो गया है और उनकी ज़िंदगी में बच्चों से बढ़कर कुछ नहीं है. अपने बच्चों के साथ जो तस्वीरें शाहरुख पोस्ट करते हैं वो साफ़ ज़ाहिर करती हैं कि ये बॉलीवुड की सबसे हैप्पी फैमिली है.
गौरी के साथ उनकी शादीशुदा जिंदगी भी बेहद खुशहाल रही. लेकिन 2011 में वो भी हो गया जो शाहरुख के करियर में अब तक नहीं हुआ था . अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा के साथ शाहरुख के जोरदार अफेयर की खबरें सुर्खियां बनने लगीं. ये खबरें भी छपीं कि इस अफेयर ने शाहरुख की शादीशुदा जिंदगी में भी हंगामा मचा दिया. कहते हैं कि अपने परिवार के लिए शाहरुख ने फैसला किया कि वो प्रियंका के साथ अब कभी काम नहीं करेंगे.
इसके बाद शाहरुख ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक के बाद एक सुपर हिट फिल्में और बेशुमार अवॉर्ड्स...1995 रिलीज़ हुई दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे के बाद तो शाहरुख बॉलीवुड के सबसे बड़े रोमांटिं हीरो बने और ये ख़िताब आज तक उनके साथ जुड़ा है.
आख़िरकार 1992 में रिलीज़ हुई फिल्म दीवाना शाहरुख़ खान की पहली रिलीज़ फिल्म बनी. यूं तो फिल्म के हीरो ऋषि कपूर थे और फिल्म में शाहरुख की एंट्री इंटरवल के बाद होती है लेकिन फिर भी अपने अंदाज़ से शाहरुख छा गए. वो रातों रात स्टार बन गए.
शादी के अगले ही दिन शाहरुख और गौरी मुंबई रवाना हो गए क्योंकि शाहरुख को फिल्म दिल आशना है की शूटिंग करनी थी . अगले पांच महीने तक दोनों निर्देशक अज़ीज मिर्जा के फ्लैट में रहे . गौरी मुंबई में नई थीं और शाहरुख फिल्म इंडस्ट्री में पैर नहीं जमा पाए थे . शुरुआत में दोनों को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा लेकिन शाहरुख गौरी के बार बार यही यकीन दिलाते कि अच्छे दिन बहुत जल्दी आएंगे .
शाहरुख उस वक्त अपनी फिल्म राजू बन गया जेंटलमैन की शूटिंग कर रहे थे और उसी फिल्म का सूट पहनकर दूल्हा बने . अपनी बारात में शाहरुख एक हाथी पर चढ़कर आए और सबसे ज्यादा खुद ही नाचे...
और फिर 26 अगस्त 1991 को शाहरुख और गौरी ने कोर्ट में शादी कर ली . शाहरुख और गौरी का निकाह भी हुआ जिसमें गौरी का नाम रखा गया आयशा. इसके बाद 25 अक्टूबर 1991 को हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक दोनों की शादी हुई जिसमें शाहरुख के करीबी लोग और फिल्म इंडस्ट्री के उनके दोस्त राजीव मेहरा, अज़ीज़ मिर्जा और विवेक वासवानी उनकी बारात में शामिल हुए .
लेकिन इस धमकी के बाद भी शाहरुख और गौरी एक दूसरे से शादी करने के फैसले पर डटे रहे. गौरी के माता-पिता अब तक ये समझ चुके थे कि गौरी और शाहरुख अब किसी भी तरह उनकी बात नहीं मानेंगे इसलिए आखिरकार उन्होने उनकी शादी के लिए हां कह ही दी.
गौरी की याद भी उन्हें हर वक़्त परेशान करती. दोनों शादी करना चाहते थे लेकिन शाहरुख एक मुस्लिम थे और गौरी एक हिंदू. गौरी का परिवार इस रिश्ते के सख़्त खिलाफ़ था. लेकिन तक़रीबन डीडीएलजे वाले अंदाज़ में ही शाहरुख ने कैसे उनका दिल जीता. गौरी के परिवारवालों का दिल जीतने का मिशन शुरू हो चुका था. सबसे पहले शाहरुख गौरी के मामा-मामी तेजिंदर और नीरू से मिले और पहली मुलाकात में ही उन्हे इंप्रेस कर दिया . गौरी के परिवार का ये भी कहना था कि एक एक्टर के साथ उनकी बेटी का क्या भविष्य होगा? वहीं गौरी का भाई विक्रांत ने शाहरुख को फौन करके धमकी दी कि वो गौरी से दूर रहे वर्ना अंजाम ठीक नहीं होगा.
15 अप्रैल 1991 को शाहरुख की मां लतीफ फातिमा नहीं रहीं . मां की मौत ने शाहरुख को तोड़ कर रख दिया....घर का हर कोना उन्हे मां की याद दिलाता था और अपनी मां की मौत के 2 हफ्ते बाद ही उन्होने फैसला कर लिया कि अब वो ये दिल्ली छोड़कर...मुंबई शिफ्ट हो जाएंगे. मां चली गई लेकिन उनकी दुआएं हमेशा शाहरुख के साथ रहीं. फिल्मी दुनिया में उन दिनों बड़े स्टार्स का राज था. अपनी जगह बनाना आसान नहीं था. और गौरी...उनके सिवा अब शाहरुख का कोई भी नहीं था. लेकिन गौरी तो दिल्ली में थीं. अपनी मां लतीफ़ फातिमा की मौत के बाद शाहरुख बेहद अकेले हो चुके थे.
शाहरुख टीवी सीरियल सर्कस में काम करने के लिए मुंबई आ गए. गौरी उनके जाने से बेहद अकेली पड़ गई थीं . वो बार बार शाहरुख को वापस लौट आने को कहतीं . शाहरुख पूरी तरह मुंबई शिफ्ट होने का फैसला भी नहीं ले पा रहे थे क्योंकि उनकी मां और गौरी दोनों दिल्ली में थीं. लेकिन फिर 1991 की शुरुआत में अचानक शाहरुख की मां की तबीयत खराब हो गई .
कुछ महीने बाद बाद शाहरुख को गौरी का खत मिला जिसमें गौरी ने लिखा था कि वो उन्हे बेहद मिस कर रही हैं . उन्होंने बताया कि इस बीच शादी के लिए कई लड़को से मिली हैं लेकिन वो अब किसी से मिलना नहीं चाहतीं क्योंकि उन्हे सिर्फ और सिर्फ शाहरुख ही पसंद हैं. रियल लाइफ की कहानी पटरी पर आ रही थी. वहीं करियर में भी अहम मोड़ आ गया.
शाहरुख को निर्देशक अज़ीज मिर्ज़ा के टीवी सीरियल सर्कस का ऑफर मिला जिसके लिए उन्हे मुंबई जाना था. वो ये मौका गंवाना नहीं चाहते थे . मगर गौरी को जब ये बात पता चली तो वो बेहद नाराज़ हुईं .
शाहरुख ने टीवी सीरियल फौज़ी से अपने धमाकेदार शुरुआत की. सीरियल दूसरा केवल में भी उके अभिनय को बेहद सराहा गया. उन्हें टीवी के स्टार के रूप में देखा जाने लगा था. शाहरुख की अगली मंज़िल अब बॉलीवुड थी.
आख़िरकार बहुत ढूंढने के बाद एक दिन शाहरुख ने गौरी को मुंबई के अक्सा बीच पर ढूंढ़ निकाला. शाहरुख को देख गौरी रोने लगी थी. गौरी दिल्ली वापस तो आ गईं लेकिन वो अब भी इस रिश्ते के बारे में फैसला नहीं ले पा रही थीं . उन्होने शाहरुख से कहा कि वो कुछ दिन तक उनसे नहीं मिलना चाहतीं. उनकी ये बात सुनकर शाहरुख का दिल टूट गया . इसके बाद शाहरुख अपने टीवी सीरियल और थिएटर के काम में डूब गए . उन्होने गौरी को फोन करना भी बंद कर दिया .
मुंबई में पहले दो दिन शाहरुख अपने एक दोस्त के फ्लैट में रहे लेकिन तीसरे दिन जब दोस्त के माता-पिता आ गए तो मुंबई में अपनी तीसरी रात इन्हे वीटी स्टेशन के पास एक बेंच पर गुजारनी पड़ी . उस रात को याद करते हुए लेखक मुश्ताक शेख की किताब शाहरुख कैन में शाहरुख के दोस्त बेनी कहते हैं- सुबह जब हम उठे तो पास के ताज होटल में मरम्मत का काम चल रहा था . हम चुपके से होटल के बाथरूम में घुस गए और हमने वहीं नहा कर कपड़े बदले . इसके बाद हम मरीन ड्राइव गए और यहीं शाहरुख ने मेरे सामने कहा- एक दिन मैं इस शहर पर राज करूंगा . One day I am going to rule this city…
शाहरुख की पोसेसिवनेस से परेशान होकर गौरी उन्हें दिल्ली में छोड़कर बिना बताए मुंबई चली गईं. शाहरुख गौरी की तलाश में अपने दोस्त को साथ लेकर मुबंई जा पहुंचे.
गौरी और शाहरुख का प्यार हर दिन परवान चढ़ रहा था शाहरुख गौरी को लेकर बहुत ही पजेसिव थे. इतने पजेसिव की वह अगर अपने बाल तक खोल कर रखें तो शाहरुख उनसे लड़ने लगते थे. एक मैगजीन में छपे अपने एक लेख में शाहरुख ने लिखा- उस समय गौरी को लेकर मेरी दीवानगी बेहद बढ़ चुकी थी . अगर वो स्विमसूट पहनती या अपने बाल खुले रखती तो मैं उससे लड़ने लगता था . जब वो अपने बाल खोलती थी तो बेहद खूबसूरत लगती थी . मैं नहीं चाहता था कि दूसरे लड़के उसे देखें . मेरे अंदर असुरक्षा की भावना आ गई थी क्योंकि हम ज्यादा मिल नहीं पाते थे और अपने रिश्ते के बारे में ज्यादा बात भी नहीं कर पाते थे .
गौरी का नम्बर हासिल करने के बाद मानों शाहरुख हर पल गौरी से बात करना चाहते थे उनसे फोन पर बात करने का तरीका आखिरकार निकाल ही लिया.. वो अपनी किसी दोस्त से गौरी के घर फोन करवाते. गौरी के घर जो भी फोन उठाता, शाहरुख की दोस्त उसे अपना नाम शाहीन बताती. शाहीन कोडवर्ड था जिसे सुनकर गौरी समझ जाती कि फोन शाहरुख का है. गौरी के घर किसी को शक भी नहीं होता था और फिर शाहरुख और गौरी देर तक बातें करते.
रात गई बात गई लेकिन किंग खान के दिल से कोई नहीं गया तो वो थीं गौरी. आखिरकार 25 अक्टूबर, 1984 को तीसरी मुलाकात में शाहरुख ने गौरी के घर का फोन नंबर हासिल कर ही लिया. क्या आपको मालूम है कि गौरी को इंप्रेस करने के लिए शाहरुख ये गाना गाते थे जिसके बोल थे, गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा मैं तो गया मारा....एंबिएंस- गोरी तेरा गांव बड़ा प्यारा मैं तो गया मारा....
शाहरुख गौरी को बस देखते ही रह गए थे. उस पार्टी में शाहरुख खान ने गौरी को किसी और लड़के के साथ डांस करते देखा और उन्हें गौरी से प्यार हो गया. शाहरुख गौरी को देखते ही दिल तो दे बैठे लेकिन उस रात शर्मीले शाहरुख गौरी से बात करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए थे.
शाहरुख बॉलीवुड के सबसे बड़े रोमांटिक हीरो हैं लेकिन रोमांस का अंदाज़ उनकी रियल लाइफ़ में भी शुरु से शामिल था. 1984 में दिल्ली के पंचशील क्लब में चल रही एक पार्टी में 19 साल के शाहरुख की नजर, 14 साल की गौरी पर पड़ी थी.
दिल्ली के सेंट कोलंबाज़ स्कूल में शाहरुख ने पढ़ाई की और वो ना सिर्फ़ कमाल के स्टूडेंट रहे बल्कि हॉकी, फुटबॉल और क्रिकेट में भी स्कूल के चैंपियन खिलाड़ी थे. अवॉर्ड मिलने का सिलसिला भी स्कूल से ही शुरू हो गया था जब उन्हें स्कूल के सबसे बड़े अवॉर्ड sword of honour से नवाज़ा गया.
2 November 1965 को दिल्ली में जन्मे शाहरुख ख़ान की ज़िंदगी के शुरुआती पांच साल मैंगलौर में अपने नाना के घर में गुज़रे. इसके बाद वो अपने माता-पिता के साथ दिल्ली के राजिन्दर नगर में रहने लगे.
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