Birthday Special: गुजारा करने के लिए सीनियर का खाना बनाते थे नवाजुद्दीन सिद्दीकी, कुछ ऐसी है उनकी Success Story
2004 में कुछ फिल्मों में काम करने के बाद भी नवाज के पास गुजारा करने के लिए पैसे नहीं थे. इस दौरान वो एनएसडी के अपने एक सीनियर के साथ रहे थे. शर्त यह थी कि नवाज उसके लिए रोज खाना बनाएगें.
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View In Appनवाज का सबसे पहला ऑनस्क्रीन ऐड अपीयरेंस पेप्सी के लिए सचिन आला रे कैम्पेन में था. इसमें वो धोबी बने थे. इस काम के लिए उन्हें तब 500 रुपये मिले थे.
नवाज जब छोटे थे तो सुबह चार बजे उठ जाया करते थे और अपने पापा के साथ खेत में उनकी मदद करने जाते थे. उसके बाद वो अपने स्कूल के लिए रवाना होते थे.
अनुराग कश्यप की फिल्म 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' ने नवाजुद्दीन की किस्मत बदल दी. इस फिल्म में उनके काम को खूब पसंद किया गया और इसने उन्हें स्टार बना दिया.
नवाजुद्दीन को उनकी फिल्म 'माझी', 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'रईस', 'हरामखोर', 'बजरंगी भाईजान', 'बाबूमोशाय बंदूकबाज' और 'बदलापुर' के लिए जाना जाता है. बता दें बहुत जल्द नवाजुद्दीन फिल्म 'मंटो' में नजर आने वाले हैं.
हाल ही में नवाज गैरकानूनी तरीके से कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स मामले में फंसे थे. छानबीन के बाद ठाणे पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि इस मामले में उनका सीधे तौर पर कोई रोल नहीं है.
नवाजुद्दीन अपने छोटे भाई के साथ मुंबई में रहते हैं जो एक फिल्म डायरेक्टर हैं. नवाजुद्दीन ने अंजली से शादी की जिससे उनके दो बच्चे हैं. एक बेटी है जिसका नाम शोरा है और एक बेटा भी है जो उनके 41वें जन्मदिन पर पैदा हुआ था.
मुज्जफ्फरनगर के एक छोटे से गांव बुढ़ाना में जन्मे नवाजुद्दीन साल 1996 में दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से अभिनय की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो मुंबई आ गए. यहीं से शुरू हुआ उनके जीवन का संघर्ष जिसके बाद उन्होंने वो सफलता प्राप्त की जिससे आज सारा जमाना वाकिफ है.
बॉलीवुड अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्धीकी आज अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं. ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे उत्तर प्रदेश के मुज्जफ्फरनगर के एक छोटे से गांव बुढ़ाना में पैदा हुए नवाजुद्दीनने के सबके सामने अपने संघर्ष की मिसाल कायम कर डाली. आगे की स्लाइड्स में जानिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी की प्रेरणा देने वाली स्कसेस स्टोरी.
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